Home विचार सच होगा पीएम का सपना, खत्म हो जाएगा तीन तलाक!

सच होगा पीएम का सपना, खत्म हो जाएगा तीन तलाक!

21वीं सदी के नाम बड़ी उपलब्धि होगी 'तीन तलाक' को तलाक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना सच होने जा रहा है। 24 अक्टूबर 2016 को यूपी के महोबा की धरती से पीएम मोदी ने ‘तीन तलाक’ को 21वीं सदी में चलने वाला सबसे बड़ा अन्याय बताया था। उन्होंने राजनीति से ऊपर उठकर मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की खुली अपील की थी।

श्री मोदी ने तब पूछा था-

”क्‍या एक व्‍यक्ति का फोन पर तीन बार तलाक कहना और एक मुस्लिम महिला का जीवन बर्बाद हो जाना सही है?”

पीएम मोदी ने दी जुबान तो आंदोलन चढ़ा परवान
पीएम की अपील के बाद मुस्लिम महिलाएं खुलकर अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ मैदान में उतर गयीं। सुप्रीम कोर्ट में इन महिलाओं ने तीन तलाक को खत्म करने की मांग की, वहीं पीड़ित महिलाओं ने अपने प्रिय प्रधानमंत्री को चिट्ठियां लिखकर हस्तक्षेप की भी मांग की। इन महिलाओं ने यूपी में बनी अपनी योगी सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बोलती हो गयी बंद
तीन तलाक पर पीएम मोदी की अपील पर जिस तरह से मुस्लिम महिलाओं ने अपनी आवाज़ बुलन्द की, उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बोलती बंद हो गयी। जो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मामले में अदालत जाने की बात तक को गलत बता रहा था, वही बोर्ड आज ये कहने को मजबूर हुआ है कि वह डेढ़ साल के भीतर खुद इस कुप्रथा को खत्म कर देगा।

‘तीन तलाक’ पर पक्की हुई महिलाओं की जीत
हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की इस बात को अदालत मानेगी या नहीं, अभी पता नहीं लेकिन फिर भी मुस्लिम महिलाओं की जीत हो चुकी है। तीन तलाक की कुप्रथा खत्म होने जा रही है। ये तय हो चुका है। देखना यही है कि सर्वोच्च न्यायालय इसे खत्म करता है या खुद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह मानने को तैयार हो गया है कि-

  • तीन तलाक महिलाओं के साथ अमानवीयता है।
  • तीन तलाक शरीयत के हिसाब से नहीं है।
  • शरीयत के नाम पर तीन तलाक को जारी रखने का गुनहगार भी है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
  • तीन तलाक के दौरान ‘हलाला’ के नाम पर बलात्कार होते रहे हैं।

इनमें से एक बात भी अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मान लेता है तो उसे मुसलमानों की आधी आबादी की नुमाइंदगी करने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे लॉ बोर्ड को मुस्लिम महिलाएं क्यों माने जो लगातार उनकी जिल्लत भरी जिन्दगी की वजह बना रहा?
मोहलत का मतलब ‘हलाला’ के नाम पर ‘रेप’ जारी रखना

क्यों चाहिए डेढ़ साल की मोहलत?

अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को डेढ़ साल की मोहलत क्यों दी जाए? ये मोहलत क्या तीन तलाक के शिकार हुईं, हो रहीं और इन डेढ़ साल में इसका शिकार होने वाली महिलाओं पर जुल्म नहीं होगा? इसलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मोहलत मिलना बिल्कुल गलत होगा।

  • अब इस बात पर भी गौर फरमाना जरूरी है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को डेढ़ साल क्यों चाहिए?
  • महज इसलिए कि अदालत ने जुल्म को जुल्म कह दिया तो उनकी चौधराहट खत्म हो जाएगी?
  • महज इसलिए कि तीन तलाक को ‘घर का मामला’ बताया जाए और अदालत को बाहरी हस्क्षेप?
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को यह नहीं भूलना चाहिए कि उसे जो दर्जा हासिल है उसके पीछे यही कानूनी शक्तियां हैं। जो शक्तियां दे सकती हैं, वो वापस ले भी सकती है।

योगी सरकार भी देगी ‘तीन तलाक’ पर अपनी राय

तीन तलाक के मामले में योगी सरकार भी यूपी सरकार की अपनी भूमिका निभाने को सामने आया है। योगी सरकार ने तय किया है कि उनकी महिला मंत्री मुस्लिम महिलाओं और महिला संगठनों से मिलेंगी और उनकी राय जानने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपनी राय रखेगी।
महिलाओं को जो हिम्मत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली है उसके बाद बदलाव की हवा चली। जुल्म के खिलाफ आवाज ने जोर पकड़ा अब स्थिति ये है कि तीन तलाक के खिलाफ देशभर में जनमत है। मुस्लिम लॉ बोर्ड खुद मुस्लिम समुदाय में अलग-थलग पड़ चुका है। इसलिए अब उसके पास भी कोई चारा नहीं। 21वीं शताब्दी में ट्रिपल तलाक को अलविदा प्रधानमंत्री का मुस्लिम महिलाओं को ऐसा उपहार है जिसकी तुलना 19वीं शताब्दी में सती प्रथा से की जा सकती है जिसे खत्म करने के लिए राजा राम मोहन राय के प्रयासों को समाज हमेशा याद रखेगा।

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