Home नरेंद्र मोदी विशेष सबका साथ, सबका विकास और अवसाद से मुक्ति

सबका साथ, सबका विकास और अवसाद से मुक्ति

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The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing at the launch of the Pradhan Mantri MUDRA (Micro Units Development and Refinance Agency) Yojana, in New Delhi on April 08, 2015.

देश द्रुतगति से विकास के पथ पर अग्रसर है और इस समय देश की तरक्की की रफ्तार करीब 7 फीसदी है। नोटबंदी जैसे कई अहम आर्थिक सुधारों और कामकाज में पारदर्शिता लाकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आलोचकों के मुंह बंद कर दिए हैं। सबका साथ-सबका विकास के मंत्र ने सिर्फ विकास की राह को मजबूत किया है और देश की तरक्की के साथ साथ आमजनों के भी जीवन स्तर में बदलाव आ रहा है। 

लकवाग्रस्त अर्थव्यवस्था को स्वस्थ अवस्था में पहुंचाने का कठिन काम अंजाम देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों के जीवन में खुशहाली का एक और मंत्र दिया है। वह है अवसाद यानी डिप्रेशन से मुक्ति। ‘मन की बात’ के 30वें संस्करण में प्रधानमंत्री मोदी ने अवसाद का वर्णन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि “हम अवसाद के बारे में जानते हैं। हालांकि, अवसाद से पीड़ित लोग दूसरों से अपने अनुभव साझा करने के लिए आगे नहीं आते क्योंकि उन्हें ऐसा करने में शर्म महसूस होती है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा और उन्हें खुलकर बोलने और अपनी तकलीफ बांटने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।” उन्होंने कहा कि अवसाद लाइलाज बीमारी नहीं है और सही मनोवैज्ञानिक माहौल के जरिए पीड़ित को इस समस्या से बाहर निकाला जा सकता है।

अवसाद से निपटने की बात महज वाक्य नहीं है। मोदी सरकार ने सोमवार को लोकसभा में मेंटल हेल्थ केयर बिल 2016 को पास कर दिया। इस बिल के पास होने के बाद मानसिक रोगियो को बेहतर उपचार मिलेगा व उन्हें संपत्ति का अधिकार भी बहाल होगा। इतना ही नहीं इस बिल के पास होने के बाद अब मानसिक रोगियों की आत्महत्या की कोशिश अपराध नहीं मानी जाएगी। अभी तक इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) के तहत आत्महत्या की कोशिश को अपराध माना जाता है। इस बिल को 134 संशोधनों के साथ राज्यसभा ने पिछले साल अगस्त में ही पास कर दिया था। अब लोकसभा से भी बिल पास होने के बाद इसके प्रावधान लागू हो जाएंगे।

क्या-क्या है इस विधेयक में
इस विधेयक में मानसिक रोगियों के लिए कई प्रावधानों की व्यवस्था की गई है। इसमें मानसिक रूप से बीमार लोगों द्वारा आत्महत्या के प्रयास को आईपीसी की धारा में गैर दंडनीय किया गया है। विधेयक में मनोरोगी की बेहतर देखभाल, उपचार और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है। यही नहीं, मानसिक रोगियों के अधिकारों और प्रतिष्ठा में कोई दखल नहीं देगा। इसके तहत महिलाओं को सामुदायिक आधार पर ही विशेष उपचार का प्रावधान किया गया है। मानसिक रोग से ग्रस्त लोगों को संपत्ति का अधिकार भी बहाल होगा। बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति की नसबंदी या नलबंदी नहीं की जाएगी। महिला और बच्चों के लिए भी बिल में खास प्रावधान है. बिल के अनुसार, मानसिक रोग से पीड़ित बच्चे को उसकी मां से तब तक अलग नहीं किया जाएगा, जब तक बहुत जरूरी ना हो।

एक आंकड़े के अनुसार, देश में कुल 6-7 फीसदी लोगों को किसी ना किसी तरह की दिमागी समस्या है जबकि 1-2 फीसदी रोगियों को गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन यानी अवसाद के शिकार हैं। इसके अलावा 3 करोड़ से ज्यादा लोग एंग्जाइटी डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में 32 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन के शिकार हैं, इसके आधे दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम प्रशांत क्षेत्रों यानी भारतीय उपमहाद्वीप और अफ्रीकी देशों में रहते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2005 से 2015 तक 10 साल में अवसाद के मरीजों की संख्या में 18.4 फीसदी का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में मौत की 20 वजहों में एक आत्महत्या है। 2015 में 7.88 लाख लोगों ने आत्महत्या की और इससे कई गुना ज्यादा ने आत्महत्या का प्रयास किया।

भयावह आंकड़े

  • भारत में कुल 5.66 करोड़ लोग डिप्रेशन के शिकार, कुल जनसंख्या का 4.5 प्रतिशत
  • 3.84 करोड़ लोग तनाव के अन्य कारणों के शिकार, कुल जनसंख्या का 3 फीसदी
  • 2005 से 15 के बीच डिप्रेशन के शिकार लोगों की संख्या में 18.4 फीसदी का इजाफा
  • 15 से 29 की उम्र में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है आत्महत्या
    कम आमदनी वाले क्षेत्रों में महिलाओं से 5% ज्यादा है पुरुषों की आत्महत्या की दर

 

-तसलीम खान

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