दुनिया में सबसे लोकप्रिय व्यक्तित्व में से एक हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। वह लाखों-करोड़ों लोगों के लिए रोल मॉडल हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने कभी भी खुद को रोल मॉडल की तरह पेश नहीं किया। प्रधानमंत्री अकसर अपने भाषणों में जन सामान्य को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हैं और उसे देशवासियों के लिए रोल मॉडल बताते हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वयोवृद्धा कुंवर बाई के साथ की तस्वीर और वीडियो ट्वीटर पर शेयर करके उनसे खुद को प्रेरित बताया यानि उन्हें रोल मॉडल के रूप प्रस्तुत किया।
I will always cherish the time when I had the opportunity to seek Kunwar Bai’s blessings during one of my visits to Chhattisgarh. Kunwar Bai lives on in the hearts and minds of all those who are passionate towards fulfilling Bapu’s dream of a clean India. #SheInspiresMe pic.twitter.com/Gdt5STszgr
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2018
कौन हैं कुंवर बाई? क्यों बताया उन्हें रोल मॉडल?
छत्तीसगढ़ में खुले शौच से मुक्त पहला जिला बना धमतरी। इस लक्ष्य को पूरा करने का श्रेय 105 वर्ष वयोवृद्धा कुंवर बाई यादव को जाता है। उनका गांव कोटाभारी राजधानी रायपुर से 100 किलोमीटर दूर है। यहां महानदी पर बांध बनने की वजह से सत्तर के दशक में 18 परिवार विस्थापित होकर बसने आए थे। गरीबी में गुजर-बसर करने वाली कुंवर बाई यादव ने 7 बकरियां बेचकर घर में शौचालय बनवाया है। इतना ही नहीं उन्होंने अपने गांव में लोगों को घरों में शौचालय बनाने के लिए प्रेरित भी किया था। दो हफ्ते पहले 23 फरवरी, 2018 को स्वच्छता दूत कुंवर बाई का निधन हो गया है।
#SheInspiresMe– Kunwar Bai, who died earlier this year at the age of 106. Hailing from Chhattisgarh, she sold her goats in order to build toilets. Her contribution towards a Swachh Bharat can never be forgotten. I am deeply inspired by her noble gesture. pic.twitter.com/eANQz01ZYE
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2018
कुंवर बाई यादव ताउम्र कभी गांव से बाहर नहीं गईं, लेकिन जब उन्हें प्रधानमंत्री से मिलने का न्यौता मिला तो वो अचानक से सेलीब्रिटी बन गईं। इस उम्र में स्वच्छता को बढ़ावा देने के उनके प्रयास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा था। राजनांदगांव जिले में आर-अर्बन मिशन की शुरुआत के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुंवर बाई के पैर छूकर उन्हें सम्मानित किया था।
यह कोई पहली महिला नहीं है, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट, कार्यक्रम और भाषणों में किया है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर Perform India ने ऐसे ही कुछ महिलाओं को ढूंढने का प्रयास किया है, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के लिए रोल मॉडल बताया है।
जीवन परिवर्तन करने वाली अफसर – रत्न प्रभा
5 जनवरी, 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशभर के सबसे पिछले 115 जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में एक महिला अधिकारी का जिक्र करते हुए उसे रोल मॉडल बताया। वह महिला अधिकारी कर्नाटक की मुख्य सचिव रत्नप्रभा थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “मैंने एक lady अफसर का ट्वीट देखा। उसने लिखा कि मेरी जिन्दगी में एक बड़ा संतोष का पल है। मैं जूनियर अफसर थी, एक बार कार से जा रही थी तो एक स्कूल के बाहर एक बच्चा भेड़-बकरी चरा रहा था। तो मैंने गाड़ी खड़ी की, स्कूल के टीचर को बुलाया और बच्चे को स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए कहा। साथ ही उस बच्चे को भी मैंने समझाया-डांटा, जो भी किया वो बच्चा स्कूल गया। पूरे 27 साल के बाद आज मेरे दौरे के दरमियान एक head constable ने मुझे salute किया और बाद में बताया कि मैडम पहचाना, मैं वही हूं जो भेड-बकरियां चराता था और आपने मुझे स्कूल पहुंचाया था, मैं आज यहां पहुंच गया आपके कारण। उस अफसर ने ट्वीट में लिखा है कि एक छोटी-सी चीज कितना बड़ा बदलाव करती है। हम लोगों की जिन्दगी में अवसर मिलते हैं, इन अवसरों को हम पकड़े।” प्रधानमंत्री ने रत्नप्रभा के ट्वीट और उनके प्रयास का जिक्र करके अधिकारियों के लिए एक रोल मॉडल बताया था। पीएम मोदी ने कहा कि “अगर हर अधिकारी उनके (रत्नप्रभा) पदचिन्हों पर चले तो इस देश की प्रगति को कोई नहीं रोक सकता है।” प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा पर रत्नप्रभा खुश हैं। उन्होंने कहा कि अब वे और बेहतर काम कर सकेंगी।
देशभक्ति की मिसाल – स्वाति और निधि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर, 2017 के मन की बात कार्यक्रम में स्वाति महादिक और निधि दुबे को महिला शक्ति और देशभक्ति की अनूठी मिसाल बताया था। दोनों ने भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट ज्वाइन किया है। उन्होंने बताया कि दोनों वीरांगनाएं असामान्य हैं। असामान्य इसलिए क्योंकि स्वाति और निधि दोनों के पति मां भारती की सेवा करते-करते शहीद हुए। छोटी उम्र में अगर परिवार-संसार उजड़ जाये तो मन:स्थिति कैसे होगी? शहीद कर्नल संतोष महादिक की पत्नी स्वाति महादिक ने इन कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए मन में ठान लिया और वह भारत की सेना में भर्ती हो गईं। 11 महीने तक कड़ी मेहनत करके प्रशिक्षण हासिल किया और अपने पति के सपनों को पूरा करने के लिए जिंदगी झोंक दी। उसी प्रकार से निधि दुबे, उनके पति मुकेश दुबे सेना में नायक का काम करते थे और मातृ-भूमि के लिए शहीद हो गए, तो उनकी पत्नी निधि ने मन में ठान ली और वह भी सेना में भर्ती हो गईं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हर देशवासी के लिए हमारी इस मातृ-शक्ति पर, हमारी इन वीरांगनाओं के प्रति आदर होना बहुत स्वाभाविक है। उन्होंने देश के कोटि-कोटि जनों के लिए एक नई प्रेरणा, एक नई चेतना जगाई है।
आदत पैदा करने के लिए आंदोलन करती – गायत्री
मार्च, 2017 के मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देहरादून की रहने वाली ग्यारहवीं की छात्रा गायत्री का जिक्र किया। नदी में कचरा फेंकने और नदी को प्रदूषित करने वालों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए गायत्री प्रधानमंत्री को फोन करके संदेश देती है। वह कहती है कि उसने बस्तियों में रैली निकाली, लोगों को जागरूक करने कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आप अपनी टीम भेजिए या फिर अखबारों में इस बात को उजागर कीजिए। प्रधानमंत्री मन की बात में गायत्री के संदेश को शामिल करते हैं, और कहते हैं कि गायत्री का संदेश हम सबके लिए संदेश बनना चाहिए। स्वच्छता आंदोलन आदत बदलने का आंदोलन है। ये आंदोलन स्वच्छता की आदत पैदा करने का आंदोलन है।
ठान लें तो मुश्किल कुछ नहीं – सुशीला खुरकुटे
महाराष्ट्र में पालघर जिले के नंदगांव की एक आदिवासी महिला सुशीला खुरकुटे भी देश भर के लोगों को लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। नंदगाव की सुशीला को जब खुले में शौच से होने वाली बीमारियों के बारे में पता चला तो उन्होंने सात माह की गर्भवती होने के बाद भी लगातार तीन दिन तक अकेले शौचालय के लिए गड्ढे खोदने का काम किया। इसके लिए उन्होंने ताने सहे, हंसी का पात्र भी बनीं, लेकिन उसके दिल-दिमाग और मन में सिर्फ यही ख्याल था कि उसके गांव को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त करना है। इसके लिए उससे जो बन पड़ेगा, वह करेगी। स्वच्छता के प्रति समर्पण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 मार्च, 2017 को सुशीला को स्वच्छ शक्ति सम्मान से भी सम्मानित किया।