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भारत की अध्यक्षता में G20 का कायाकल्प, इन टॉप-10 कामयाबियों के पीछे है पीएम मोदी का विजन, भारत की सफलता से पाकिस्तान कुलबुलाया और चीन बिलबिलाया

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दुनिया के सबसे ताकतवर देशों का जी-20 सम्मिट अब तक का सबसे सफल जी-20 शिखर सम्मेलन माना जा रहा है। पहली बार G20 शिखर सम्मेलन की भारत ने मेजबानी की है। राजधानी दिल्ली में आयोजित मुख्य समारोह में वसुधैव कुटुम्बकम और वन अर्थ-वन फैमिली-वन फ्यूचर वाले विजन के जरिए इसे मेगा शो बनाने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। ऐतिहासिक नई दिल्ली घोषणापत्र ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इसके साथ-साथ पीएम ने अपनी जबरदस्त कूटनीति के जरिए चीन को पस्त कर दिया। उनके दांव और भारत की सफलता से पाकिस्तान कुलबुला रहा है तो चीन बिलबिलाया हुआ है। भारत की अध्यक्षता में हुए शिखर सम्मेलन के नई दिल्ली घोषणापत्र ने जी-20 का कायाकल्प कर दिया है। यह कह सकते हैं कि भारत की पहल से इस संगठन की प्रोफाइल ही चेंज हो गई है। दुनिया को संदेश गया है कि अब जी-20 विकासशील और गरीब मुल्कों को तवज्जो देने वाला संगठन बन गया है। भारत ने यह कर दिखाया है। रूस-यूक्रेन के मुद्दे पर भारत ने सभी के मध्य सहमति बनाने के लिए मेहनत की। इस सफल सम्मेलन से भारत की साख बढ़ी है। आने वाले दिनों में इसके सकारात्मक दूरगामी परिणाम भी सामने आएंगे। 

इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनोमिक कॉरिडोर ने भारत की भागीदारी के नए द्वार खोले
दिल्ली में जी-20 बैठक ने दुनिया में भारत की भागीदारी के कई द्वार खोले हैं। अमेरिका और यूरोप से सबसे बड़े इंडिया- मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनोमिक कॉरिडोर (आईएमईसी) प्रोजेक्ट में भारत भी शामिल हो गया है। भारत, यूएई, सऊदी अरब, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय यूनियन सहित कुल 8 देशों के इस प्रोजेक्ट का फायदा इजरायल और जॉर्डन को भी मिलेगा। इस कॉरिडोर के बनने के बाद भारत से यूरोप तक सामान के आवागमन में करीब 40% समय की बचत होगी। अभी भारत से किसी भी कार्गो को शिपिंग से जर्मनी पहुंचने में 36 दिन लगते हैं, इस रूट से 14 दिन की बचत होगी।

घोषणा-पत्र पर सर्वसम्मति बनाने में मोदी मैजिक व मोदी की गारंटी काम आई
जी20 घोषणा-पत्र पर सर्वसम्मति बनाने में सबसे बड़ी बाधा थी, रूस – यूक्रेन विवाद। इस पर सर्वसम्मत शब्दावली तय करने के लिए करीब 300 बैठकों में कई घंटे की बातचीत हुई। करीब 15 ड्रॉफ्ट तैयार किए गए और फिर उन्हें फाइनल रूप दिया गया। विदेश मंत्रालय के अफसरों के मुताबिक आखिरकार इसमें मोदी मैजिक व पीएम मोदी की गारंटी काम आई। सबसे पहले दोनों पक्षों को एक शब्दावली पर सहमत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में उनकी प्रतिबद्धताओं के वक्तव्य खंगाले गए। उनके आधार पर नई शब्दावली तैयार की गई।

नई शब्दावली बनाने और दोनों पक्षों को उस पर सहमत करने का विकल्प चुना
इसके बाद में उन मुद्दों को सामने रखा, जिस पर कभी ना कभी दोनों पक्ष सहमत हुए थे। संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं जैसे सुरक्षा परिषद और मानव अधिकार परिषद में दिए गए वक्तव्य निकाले। सर्वसम्मति के लिए दो विकल्प थे। पहला यह कि बाली के जिस जी-20 घोषणापत्र पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई थी उसकी शब्दावली सुधारें। या फिर एकदम नए सिरे से इस बार कोई प्रस्ताव तैयार किया जाए। आखिरकार तय हुआ कि नई शब्दावली बनाएंगे और दोनों पक्षों को उस पर सहमत करेंगे। यह संकल्प और कोशिशें पूरी तरह रंग लाई और दुनियाभर के देशों को इसने हैरान कर दिया।

जी20 लीडर्स के इस घोषणापत्र में कही गई 10 अहम बातें

  • नई दिल्ली जी20 लीडर्स के इस इस घोषणापत्र में जी20 समूह ने कहा कि मजबूत, दीर्घकालिक, संतुलित और समावेशी विकास में तेजी लाने के लिए काम किया जाएगा। इसके साथ ही सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडे को लागू करने की दिशा में काम होगा।
  • इसमें रूस के विदेश मंत्री की मौजूदगी के बावजूद यूक्रेन युद्ध का जिक्र है। रूस और उसके समर्थक देशों की मौजूदगी में यूक्रेन युद्ध की निंदा की गई। पश्चिमी देशों और रूस के बीच भारत ने मध्यस्थता की जो कोई नहीं कर पाया।
  • घोषणापत्र में कहा गया कि हम शांति के लिए सभी धर्मों की प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हैं और नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य रूपों समेत आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करते हैं।
  • नई दिल्ली जी20 लीडर्स घोषणा पत्र में कहा गया कि हम सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी पीछे न छूटे। हम 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए भारतीय राष्ट्रपति पद के प्रयासों की सराहना करते हैं।
  • जी20 ने अपने संयुक्त घोषणापत्र में कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव ए/आरईएस/77/318, विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता, संवाद और सहिष्णुता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के प्रति संकल्पित हैं।
  • इस घोषणापत्र में आगे कहा गया कि हम महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को प्रोत्साहित करते हैं और वैश्विक चुनौतियों से निपटने और समाज के सभी क्षेत्रों के रूप में योगदान देने के लिए निर्णय निर्माताओं के रूप में महिलाओं की पूर्ण, समान, प्रभावी और सार्थक भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • घोषणापत्र में कहा गया कि हम भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान स्टार्ट-अप 20 एंगेजमेंट ग्रुप की स्थापना और इसके जारी रहने का स्वागत करते हैं।
  • हम घोषणापत्र में शामिल डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ को आगे बढ़ाने के लिए स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी जी-20 नीति सिफारिशों का समर्थन करते हैं।
  • इसके साथ ही नई दिल्ली घोषणापत्र में निजी व्यवसाय को लेकर कहा गया कि हम सतत विकास को गति देने और आर्थिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने में निजी उद्यम की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हैं।
  • घोषणापत्र में कहा गया कि हम विकसित देशों से अपनी संबंधित ओडीए प्रतिबद्धताओं को पूरी तरह से पूरा करने का आह्वान करते हैं।

अमेरिका ने साबित किया कि बोला ज्यादा गया, काम कम हुआ- चीन
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि दिल्ली में जी-20 समिट में एक बार फिर अमेरिका ने अपनी पुरानी योजना को आगे बढ़ाया है। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने इस योजना के विस्तार का खाका पेश किया है। चीन का दुनिया में आइसोलेट करने के मकसद के साथ अमेरिका के इस प्रोजेक्ट को अभी अच्छा रेस्पांस नहीं मिला है। गल्फ और अरब देशों रेललाइन का वादा किया गया है लेकिन अमेरिका के पास वास्तविक इरादा और क्षमता नहीं है। अमेरिका ने एक बार फिर साबित किया है कि बोला ज्यादा गया, काम कम हुआ है।

भारत-पश्चिम एशिया व यूरोप के बीच कॉरिडोर के ऐलान ने पाक में बौखलाहट
सम्मेलन की सफलता से चीन और पाकिस्तान में बौखलाहट है। दिलचस्प बात यह है कि जी-20 के मंच से हुए फैसलों से अपने हितों पर चोट पहुंचते देखने के बावजूद चीन विरोध नहीं कर पाया। सम्मेलन में चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग भले ही भारत में समावेशी विकास की बातें कर के गए हों, लेकिन चीनी रक्षा मंत्रालय से जुड़े चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशंस ने आरोप लगाया है कि जी 20 की मेजबानी का उपयोग भारत अपने हितों को बढ़ाने व चीन को नुकसान पहुंचाने के लिए कर रहा है। भारत की अगुवाई में अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का सदस्य बनाया। चीनी कर्ज का जाल काटने व प्रभाव कम करने वाला कदम है। अब चीन के बजाय भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बना है। भारत-पश्चिम एशिया व यूरोप के बीच कॉरिडोर के ऐलान ने पाकिस्तानियों को चिंता में डाल दिया है। इसमें सऊदी अरब और यूएई के शामिल होने से उन्हें लग रहा है कि ऐसा होने के बाद पाकिस्तान अलग-थलग पड़ जाएगा और भारत की पहुंच सीधे अरब देशों और यूरोप तक हो जाएगी।

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