प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद देश में विदेशी पूंजी निवेश में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 में देश में अन्य किसी वर्ष की तुलना में सबसे अधिक 43.47 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ, जिसका चालू वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़ने की पूरी संभावना है। चालू वित्त वर्ष के सितंबर माह तक देश में 25.35 बिलियन डॉलर का निवेश हो चुका है, जो यूपीए के दस सालों के राज में किसी एक वर्ष में विदेशी निवेश से सबसे अधिक है।
मोदी काल में विदेशी निवेश क्यों बढ़ा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आर्थिक व्यवस्था के ढांचे को मजबूत करने के लिए जिन ऐतिहासिक और साहसिक कदमों को उठाया है, उसी का यह परिणाम है कि विदेशी निवेशकों को भी भारत निवेश के लिए आकर्षक लगने लगा है। कोई भी विदेशी निवेशक अपनी पूंजी को उन्हीं देशों में लगाते हैं, जहां स्थायित्व के साथ-साथ उद्योगों को स्थापित करने के नियमों में सरलता और पारदर्शिता होती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने से देश की आर्थिक व्यवस्था अधिक पारदर्शी और फार्मलाइज हुई है।
आर्थिक सुधारों से देश की अर्थव्यवस्था में आये बदलावों पर विश्व के अनेक संस्थानों ने भी अपनी मुहर भी लगा दी है। बॉण्ड-क्रेडिट रेटिंग एजेंसी- मूडीज ने पिछले 14 सालों में पहली बार भारत की विश्व रैंकिंग में परिवर्तन किया, एजेंसी ने स्टेबल आउटलुक देते हुए भारत की रेटिंग बीएए3 से बढ़ाकर बीएए2 कर दिया है। इसके अतिरिक्त, भारत ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में एक लंबी छलांग लगाई है। साल 2017 में इस छलांग के साथ भारत 100वें पायदान पर पहुंच गया जहां साल 2014 में भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में 142वें नंबर पर रहा था।
• नोटबंदी से ‘क्लीन मनी’ अभियान को बढ़ाया
• जीएसटी से देश का आर्थिक एकीकरण किया
• डिजिटलाइजेशन से आर्थिक प्रणाली को पारदर्शी बनाया
• व्यापार संतुलन बनाया
• भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की नीतियां लागू की
• विदेशी कर्ज को घटाया
• विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाया
• तीन सालों में हुए 7000 छोटे और सूक्ष्म नियमों में सुधार किया
प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सुधारों से देश में रिकार्ड विदेशी पूंजी का निवेश– प्रधानमंत्री मोदी ने देश मे सबका विकास के संकल्प को पूरा करने के लिए, धन की आवश्यक्ता को पूरा करने के लिए जिन आर्थिक सुधारों को लागू किया, उसका ही परिणाम है कि देश में ऐतिहासिक विदेशी पूंजी का निवेश हो रहा है। कांग्रेस के दस सालों के शासन के दौरान, जिसमें देश के प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह थे, भी ऐसा पूंजी निवेश नहीं करवा सके जो प्रधानमंत्री मोदी के तीन साल के शासन के दौरान करवा दिया।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से प्राप्त ताजा आंकड़ें इस बात के पक्के सबूत हैं। यूपीए सरकार के दस सालों में सबसे अधिक निवेश 2011-12 में 35.12 बिलियन डॉलर का ही रहा था, जबकि प्रधानमंत्री मोदी के मात्र तीन सालों में ही सबसे अधिक निवेश वर्ष 2016-17 में 43.47 बिलियन डॉलर का हुआ। प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक कदमों का परिणाम है कि 2017-18 के सितंबर माह तक देश में 25.35 बिलियन डॉलर का निवेश हो चुका है और अभी यह वित्तिय वर्ष पूरा होने में छह माह बचे हैं। इस तरह से पूरी संभावना है कि इस साल पिछले साल का भी रिकार्ड टूट जायेगा।