कांग्रेस पार्टी में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है, यह एक बार फिर साबित हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी हनक दिखाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने का कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि हाल ही में जज लोया के मामले में जिस तरह से राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी है, उससे वह बौखला गए हैं और उन्होंने आनन-फानन में सीजेआई के खिलाफ महाभियोग लाने का फैसला ले लिया। राहुल गांधी के फैसले में पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल पूरा साथ दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के कई बड़े नेता राहुल के इस फैसले के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं। यानी राहुल को पार्टी की बागडोर संभाले अभी कुछ महीने ही हुए हैं और उनके फैसले को लेकर खुलेआम विरोध होने लगा है।
सलमान खुर्शीद और अश्विनी कुमार ने विरोध जताया
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने सीजेआई के खिलाफ महाभियोग लाने की कवायद बजट सत्र के दौरान ही शुरू की थी, लेकिन उस वक्त कांग्रेस को पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया था। इसकी वजह थी कि कांग्रेस पार्टी के अंदर भी इसे लेकर एक मत नहीं था। शुक्रवार को जब राहुल गांधी ने महाभियोग लाने का फैसला कर लिया और गुलाम नबी आजाद व कपिल सिब्बल दूसरी पार्टी के सांसदों के साथ उपराष्ट्रपति को प्रस्ताव सौंपने पहुंचे, तो कई पुराने कांग्रेसियों ने इसके खिलाफ विद्रोह कर दिया। सबसे पहले तो राज्यसभा सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम और अभिषेक मनु सिंघवी ने महाभियोग के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए। उसके बाद मीडिया के सामने आए पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद ने महाभियोग को तर्कसंगत नहीं बताया। उन्होंने इसके लिए कपिल सिब्बल पर निशाना भी साधा और कहा कि हर हाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान होना चाहिए।
Impeachment is too serious a matter to be played with frivolously on the grounds of disagreement with any judgement or point of view of the Court.: Salman Khurshid, Congress on the Impeachment Motion against CJI Dipak Misra pic.twitter.com/KZtQ9l2UMI
— ANI (@ANI) 20 April 2018
I am not party to or privy with discussions that have taken place between different parties and for me to reflect specifically on whether the grounds are justified would be unfair: Salman Khurshid, Congress on the Impeachment Motion against CJI Dipak Misra pic.twitter.com/FFFldog9Jb
— ANI (@ANI) 20 April 2018
शाम होते-होते एक और पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेसी नेता अश्विनी कुमार ने भी राहुल गांधी के फैसले के खिलाफ बगावत का ऐलान कर दिया। अश्विनी कुमार ने कहा कि महाभियोग लाना बिलकुल अंतिम फैसला होना चाहिए, इससे पहले दूसरे उपायों पर चर्चा की जानी चाहिए।
Would not like to get into the merits of the controversy,I am on a larger principle & the larger principle is that impeachment is the extreme remedy & that to against the chief justice, which is an unprecedented move.This move could have been avoided: Ashwani Kumar, Congress pic.twitter.com/dWlDIeydC9
— ANI (@ANI) 20 April 2018
If I would have been a member of parliament and had i been given this paper to sign, I would not have signed the impeachment motion: Ashwani Kumar, Congress on Impeachment notice against Chief Justice of India. pic.twitter.com/Tgo3v9pQUr
— ANI (@ANI) 20 April 2018
बिना चर्चा के महाभियोग के फैसले से नाराजागी
कई कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी को इतना बड़ा फैसला लेने से पहले पार्टी के बीच चर्चा करनी चाहिए थी। इन नेताओं का कहना है कि महाभियोग का फैसला गलत है या सही मुद्दा ये नही है। मुद्दा यह है कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले कांग्रेस कार्यसमिति में इसकी चर्चा क्यों नहीं हुई। आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले हुए महाधिवेशन में एआईसीसी सदस्यों ने राहुल गांधी को कार्यसमिति के गठन का जिम्मा सौंपा था, लेकिन राहुल ने अब तक उसका गठन ही नहीं किया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कार्यसमिति नहीं होने पर कम से कम इतना बड़े फैसले के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाकर चर्चा करनी चाहिए थी, आखिर दो-तीन नेताओं के कहने पर महाभियोग का फैसला क्यों लिया गया?
खड़गे ने कहा था अब नहीं आएगा महाभियोग
आपको बता दें कि जब बजट सत्र के दौरान महाभियोग लाने की कवायद फेल हो गई थी तब लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ कहा था कि अब कांग्रेस पार्टी की तरफ से सीजेआई के खिलाफ महाभियोग लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यानी साफ है कि जज लोया के मामले को अपनी नाक का सवाल बनाने वाले राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के तुरंत बाद महाभियोग का निर्णय लिया है।
निजी कंपनी की तरह कांग्रेस को चला रहे हैं राहुल
इस प्रकरण से साफ हो गया है कि राहुल गांधी अपने परिवार को दूसरे सदस्यों की तरह ही पार्टी को निजी कंपनी की तरह चला रहा है। कांग्रेस पार्टी में लोकतंत्र का दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहा है। राहुल गांधी वंशवादा के चलते पार्टी के अध्यक्ष बने। राहुल के पहले उनकी मां सोनिया गांधी 19 वर्षों तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं और अपने खास सलाहकारों के कहने पर ही बड़े-बड़े निर्णय लेती रहीं। उनसे पहले राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, पंडित नेहरू सभी भी कांग्रेस पार्टी को अपने घर की पार्टी की तरह चलाया।