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गांधी परिवार के खिलाफ बजा बगावत का बिगुल!, संदीप दीक्षित ने कांग्रेस आलाकमान पर साधा निशाना

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गांधी परिवार और कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ बगावत की शुरुआत हो गई है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेसियों में बेचैनी बढ़ गई है। कभी कांग्रेस की देशभर में सरकारें थीं लेकिन अब कांग्रेस की महज कुछ ही राज्यों में ही सरकारें बची हैं।

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और पूर्वी दिल्ली से सांसद रहे संदीप दीक्षित ने कांग्रेस आलाकमान और वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधा है। इंडिया एक्सप्रेस से बातचीत में संदीप दीक्षित ने कहा कि इतने महीनों के बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नया अध्यक्ष नियुक्त नहीं कर सके। इसका कारण यह है कि वह यह सोचकर डरते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे? उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास नेताओं की कमी नहीं है। अब भी कांग्रेस में कम से कम 6-8 नेता हैं जो अध्यक्ष बनकर पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं।

संदीप दीक्षित ने आगे कहा कि कभी-कभार आप निष्क्रियता चाहते हैं, क्योंकि आप नहीं चाहते हैं कि कुछ हो। वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्हेोंने कहा कि कुछ सालों में रिटायर होने वाले नेता भी पार्टी के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। मुझे वास्तव में अपने वरिष्ठ नेताओं से बहुत निराशा मिली है। उन्हें निश्चित तौर पर सामने आना चाहिए। उनमें से ज्यादातर जो राज्यसभा में हैं,जो पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वो भी जो वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं,जो बहुत वरिष्ठ हैं। मुझे लगता है कि उन्हें सामने आकर पार्टी के लिए कड़े फैसले लेने का वक्त आ गया है। 

इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में संदीप दीक्षित ने कहा कि अमरिंदर सिंह,अशोक गहलोत, कमल नाथ…ये भी साथ क्यों नहीं आते, बाकी लोगों को भी साथ क्यों नहीं लाते? एके एंटनी, पी. चिदंबरम, सलमान खुर्शीद, अहमद पटेल ने कांग्रेस के लिए महान काम किया है। ये अब अपने राजनीतिक करियर के ढलान पर हैं। उनके पास शायद और चार से पांच साल हैं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि वे बौद्धिक योगदान दें। 

शशि थरूर भी मैदान में उतरे
संदीप दीक्षित के बयान का पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी खुला समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में आलाकमान के खिलाफ नाराजगी चरम पर है, जो दबी जुबान से निकलती भी है। थरूर ने ट्वीट कर कहा कि संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देशभर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं। इनमें से कई नेता पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं। मैं सीडब्ल्यूसी से फिर आग्रह करता हूं कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए नेतृत्व का चुनाव कराएं।

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उठाए सवाल
कांग्रेस पार्टी में दिल्ली चुनाव के बाद ही बगावत के सुर शुरू हो गए। दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बयान पर दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सवाल उठाए और पी चिदबंरम के बयान की निंदा की। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा कि सम्मान के साथ चिदंबरम सर मैं बस जानना चाहती हूं कि कांग्रेस ने राज्यों में बीजेपी को हराने का काम आउटसोर्स किया है क्या? यदि नहीं, तो फिर हम अपनी हार के बजाय AAP की जीत पर गर्व क्यों कर रहे हैं? और यदि आउटसोर्स किया है तो हमें (पीसीसी) अपनी दुकान को बंद कर देना चाहिए। कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदबंरम ने आम आदमी पार्टी की जीत खुशी जाहिर की थी। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी धमकी
कई राज्यों में भी गांधी परिवार के खिलाफ आवाज उठने शुरू हो गए हैं। मध्य प्रदेश में तो ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ सड़क पर उतरने की धमकी तक दे चुके हैं, जबकि राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच की लड़ाई जगजाहिर है। सचिन पायलट आए दिन गहलोत सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते रहते हैं।

कांग्रेस आलाकमान से संजय निरुपम नाराज 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में अपनी पसंद के उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिए जाने पर निरुपम ने पार्टी आलाकमान के फैसले पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ जुड़े लोग साजिश रच रहे हैं। राहुल गांधी से जुड़े लोगों को पार्टी में नजरअंदाज और अलग-थलग किया जा रहा है। ऐसे ही चलते रहा तो मैं लंबे समय तक कांग्रेस में नहीं रह पाऊंगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में अब फीडबैक सिस्टम खत्म हो रहा है।

नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्री पद छोड़ा
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धु के बीच लड़ाई जगजाहिर है। दोनों के बीच इनती कड़वाहट बढ़ गई कि सिद्धू ने उपमुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया। 

अनुच्छेद 370 और 35A पर पार्टी में फूट
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाए जाने पर पार्टी में विरोध में विरोध के स्वर उठे। इस कानून का जहां कांग्रेस पार्टी ने विरोध किया वहीं मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया, हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा, महाराष्ट्र के मिलिंद देवड़ा से लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी तक कई नेताओं ने अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया है। सिंधिया ने ट्वीट कर कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर उठाए गए कदम का समर्थन करता हूं। अच्छा होता कि संवैधानिक प्रक्रिया का पालन होता। तब कोई सवाल नहीं उठता। फिर भी यह हमारे देश के हित में है और मैं इसका समर्थन करता हूं। कांग्रेस के पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस अनुच्छेद को लेकर ट्वीट किया कि 21वीं सदी में इसकी कोई जगह ही नहीं है।

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