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मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि: ब्रिटेन से वापस आया देश का 100 टन सोना

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चुनावी गहमागहमी के बीच नरेन्द्र मोदी की सरकार को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। मोदी सरकार विदेश में जमा भारतीय सोने को देश में वापस लाने में कामयाब रही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI आरबीआई) ने ब्रिटेन में जमा 100 टन से अधिक सोना देश वापस लाकर यह सफलता हासिल की है। यह मोदी राज में देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होने के एक और संकेत है।

देश के करोड़ों लोगों के लिए यह तसल्ली की बात है कि रिजर्व बैंक विदेश से अपना सोना वापस लाने में सफल रही है। जबकि मोदी सरकार से पहले देश सोना गिरवी रखने के लिए मजबूर था। साल 1991 में आर्थिक संकट के कारण देश को विदेश में सोना गिरवी रखने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उस समय देश का खजाना खाली होने और विदेशी मुद्रा भंडार के सिर्फ 25 अरब रुपये होने के बाद भुगतान संकट खड़ा हो गया था।

ऐसे में विदेश से सोना वापस आना बड़ी बात है। साल 1991 के बाद ये पहला मौका है जब इतना सारा सोना देश वापस लाकर आरबीआई की तिजोरी में रखा गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार यह अर्थव्यवस्था की मजबूती और आत्मविश्वास को दिखाता है तो 1991 की स्थिति के बिल्कुल उलट है।

अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने लिखा है कि जब किसी की नजर इधर नहीं थी, तब रिजर्व बैंक ने अपने 100 टन सोने के भंडार को ब्रिटेन से वापस भारत शिफ्ट कर लिया। ज्यादातर देश अपना सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड के वॉल्ट्स में या कुछ ऐसे ही स्थानों पर रखते हैं (और इसके लिए फीस भी देते हैं)। भारत अब अपना अधिकांश सोना अपने पास अपनी तिजारी में रखेगा। 1991 में संकट के समय रातों-रात देश का सोना बाहर ले जाया गया था, तब से अब तक हम काफी आगे बढ़ चुके हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार मार्च 2024 के अंत तक रिजर्व बैंक के पास 822.1 टन सोना था। इसमें से 413.8 टन सोना विदेशों में और 100.3 टन सोना भारत में रखा गया था। इसके साथ ही 308 टन सोना नोट जारी करने के लिए भारत में रखा गया है। रिजर्व बैंक जहां विदेश में रखे सोने को धीरे-धीरे भारत वापस लाने में लगी है, वहीं नया सोना खरीद भी रही है। आरबीआई ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान अपने गोल्ड भंडार में 27.5 टन सोना जोड़ा भी है।

अखबार की खबर के अनुसार आरबीआई ने कुछ साल पहले सोना खरीदना शुरू किया था। और यह समीक्षा करने का फैसला किया था कि वह कहां-कहां से भारत का सोना वापस ला सकता है। चूंकि विदेशों में स्टॉक बढ़ रहा था, इसलिए कुछ सोना भारत लाने का निर्णय लिया गया। साथ ही भविष्‍य की परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की तरह भारतीय रिजर्व बैंक के लिए भी पारंपरिक रूप से बैंक ऑफ इंग्लैंड सोना रखने के लिए एक बड़ा भंडारगृह रहा है। आजादी से पहले से ही भारत भी अपने सोने का कुछ स्टॉक लंदन के इस बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास रखता रहा है। जहां तक देश में सोने के भंडारण की बात है तो यह मुंबई के मिंट रोड के साथ नागपुर में रिजर्व बैंक की तिजोरियों में रखा जाता है।

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