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पीएम मोदी ने देश का पहला राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनवाकर कारगिल शहीदों को दिया था बड़ा सम्मान, स्मारक की दीवारों पर अंकित है शहीदों के नाम

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पूरा देश आज यानि 26 जुलाई, 2021 को कारगिल विजय दिवस की 22वीं सालगिरह मना रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पिछले सात सालों में प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को मजबूत बनाने, सैनिकों का मनोबल बढ़ाने और शहीद सैनिकों को सम्मान दिलाने का ऐतिहासिक कार्य किया है। पहली बार 1960 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का प्रस्ताव सेना की ओर से दिया गया था। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने शहीद सैनिकों के सम्मान में एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का वादा किया था। केंद्र की सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अक्टूबर 2015 में स्मारक बनाने की स्वीकृति दी और 25 फरवरी, 2019 को राष्ट्र को समर्पित किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने 58 साल बाद राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का सपना साकर कर दिया।

40 एकड़ में फैले इस स्मारक में आजादी के बाद देश के लिए शहीद होने वाले 25,942 सैनिकों के नाम अंकित है, जिनमें 1999 में कारगिल युद्ध में शहीद हुए 527 सैनिक भी शामिल है। ये स्‍मारक इस बात का भी प्रतीक है कि संकल्‍प लेकर उसे कैसे सिद्ध किया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवारों का जीवन आसान बनाने के लिए अनेक बड़े कदम उठाए हैं, जिनमें वन रैंक वन पेंशन को लागू करना सबसे महत्वपूर्ण है। इस तरह प्रधानमंत्री मोदी जहां पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की तुलना में शहीद सैनिकों को सम्मान देने में सबसे आगे रहे हैं,वहीं देश की सेना को मजबूत और आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में भी लगातार काम कर रहे हैं।

मोदी राज में साकार हुआ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का सपना

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक देश का पहला ऐसा स्मारक है जहां ट्राई सर्विस यानि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के सैनिकों के नाम एक छत के नीचे लिखे गए हैं। ये नाम 1.5 मीटर की दीवार पर लिखे हैं। स्मारक में चार संकेंद्रित दीवारें या चक्र (अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और रक्षक चक्र) हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों के महत्व को दर्शाते हैं। त्याग चक्र या सर्किल ऑफ सैक्रिफ़ाइस में प्रत्येक सैनिक के लिए उसका नाम, रेजिमेंट और सेना में अंकित पहचान संख्या के लिए एक ग्रेनाइट टैबलेट है।

कारगिल विजय सेना के अद्म्य साहस की मिसाल 

भारतीय इतिहास में 26 जुलाई, 1999 का ही वह दिन था जब भारतीय सेना के जवानों ने अपने अद्म्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ते हुए कारगिल की पहाड़ियों पर तिरंगा लहराया था। 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल का यह युद्ध तकरीबन दो माह तक चला, जिसमें  527 वीर सैनिकों की शहादत देश को देनी पड़ी।1300 से ज्यादा सैनिक इस जंग में घायल हुए। पाकिस्तान के लगभग 1000 से 1200 सैनिकों की इस जंग में मौत हुई। भारतीय सेना ने अदम्य साहस से जिस तरह कारगिल युद्ध में दुश्मन को खदेड़ा, उस पर हर देशवासी को गर्व है।

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