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राजस्थान ‘लीक’ सेवा आयोग: CM Gehlot ने जिस बाबूलाल कटारा को RPSC Member बनाया, उसने टीचर भर्ती पेपर बेच करोड़ों कमाए, आदिवासी समाज के दो लोगों की ‘बलि’ के बाद आरपीएससी में आया कटारा

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राजस्थान लोक सेवा आयोग जिस पर युवाओं का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है, वह खुद ही करप्शन का अड्डा बन गया है। बेरोजगार युवा सालों मेहनत कर जिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, उनके पेपर को करोड़ों में खुद आरपीएससी के मेंबर ही बेच रहे हैं। यानी यदि आरपीएससी को “राजस्थान लीक सेवा आयोग” कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। इन पेपर लीक गैंग में आरपीएससी मेंबर बाबूलाल कटारा ने मास्टरमाइंड के साथ-साथ अपने कुनबे के लोगों को भी शामिल कर रखा था। एसओजी ने आयोग के मेंबर बाबूलाल कटारा, उसके भांजे विजय कटारा, बेटे डॉ. दीपेश कटारा और उसके टीचर दोस्त गौतम कटारा और ड्राइवर गोपाल सिंह को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है। कटारा ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के छह सेट घर पर ले जाकर हर सेट के 80 सवाल भांजे के हाथ से लिखवाकर शेरसिंह को करोड़ों में बेचे थे। कटारा की नियुक्ति करीब तीन साल पहले खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सिफारिश पर हुई थी। आदिवासी समाज के दो लोगों की ‘बलि’ के बाद आरपीएससी मेंबर बना कटारा
गहलोत सरकार द्वारा बाबूलाल कटारा को आरपीएससी सदस्य बनाने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। दरअसल, सितंबर 2020 में डूंगरपुर-बांसवाड़ा में सामान्य वर्ग के 1167 रिक्त पदों पर एसटी वर्ग के शिक्षकों की नियुक्ति की मांग को लेकर बिछीवाड़ा थाना क्षेत्र के कांकरी डूंगरी पहाड़ी पर आदिवासी समाज की ओर से महापड़ाव शुरू किया था। राजस्थान पुलिस इसे सही तरह से टैकल नहीं कर पाई और आदिवासी समाज के लोगों के खिलाफ दो मामले दर्ज कर लिए। इससे कैंडिडेट्स का गुस्सा और भड़क गया। 24 सितंबर, 2020 को आंदोलन उग्र हो गया, जिसमें डूंगरपुर ही नहीं बल्कि बांसवाड़ा से भी जनजाति वर्ग से जुड़े लोग शामिल हो गए। आक्रोशित भीड़ पर पुलिस फायरिंग हुई। लोगों ने एसपी की गाड़ी समेत 3 सरकारी वाहन फूंक दिए गए। पुलिस बल पर गुलेल से पत्थर फेंके गए। पुलिस की फायरिंग में 2 लोगों की मौत हो गई। समाज के गुस्से को शांत करने के लिए ही तब गहलोत सरकार ने बाबूलाल कटारा को आरपीएससी का मेंबर बनाकर उपकृत कर दिया।

बीजेपी सांसद किरोड़ी मीणा ने पेपर लीक में आरपीएससी की बताई थी मिलीभगत
वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा में पेपर लीक में आरपीएससी की मिलीभगत को लेकर सबसे पहले बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने सवाल उठाए थे। लेकिन सरकार ने इन्हें राजनीतिक आरोप करार दिया। इससे तब आरपीएससी पर आंच नहीं आई। लेकिन पेपर लीक के मास्टरमाइंड के गिरफ्तार होने के बाद कड़ी से कड़ी जोड़ी तो एसओजी आरपीएससी तक पहुंच गई। एसओजी के एसपी विकास सांगवान के मुताबिक पहले भूपेंद्र सारण को पेपर बेचने वाला शेर सिंह मीणा गिरफ्तार किया गया था। पड़ताल में यह क्लू मिला कि शेरसिंह मीणा ने भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करने के लिए आरपीएससी मेंबर बाबूलाल कटारा से संपर्क किया। उस समय बाबूलाल कटारा उदयपुर के आदिम जाति शोध संस्थान के निदेशक पद पर कार्यरत था। शेरसिंह मीणा को अपने संपर्कों से पता चला कि बाबूलाल कटारा को आरपीएससी मेंबर बनाने की ऊपरी स्तर पर बात चल रही है। आरपीएससी में सेंध लगाने के लिए वह बाबूलाल कटारा से लगातार संपर्क में रहा। इस दौरान 15 अक्टूबर 2020 को बाबूलाल कटारा आरपीएससी का मेंबर बना। इसके बाद दोनों की नजदीकी और बढ़ गई।ग्रेड सेकेंड परीक्षा की तैयारियों के समय कटारा के संपर्क में था मास्टरमाइंड
एसओजी सूत्रों के मुताबिक शेरसिंह मीणा ग्रेड सेकेंड भर्ती परीक्षा की तैयारियों के समय कटारा से लगातार संपर्क में रहा। इस दौरान वह भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने का प्रयास करता रहा और उसी की मदद से पेपर लीक कर बेचा। इसके बाद स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप(एसओजी) ने ग्रेड सेकेंड शिक्षक(सीनियर टीचर) भर्ती पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। एसओजी ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के मेंबर बाबूलाल कटारा को अजमेर से गिरफ्तार करने के साथ ही उसके भांजे विजय कटारा और ड्राइवर गोपाल सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया। अब एसओजी ने कटारा के बेटे डॉ. दीपेश और उसके टीचर दोस्त को भी पकड़ लिया है। जांच टीम ने 3 अन्य लोगों से भी पूछताछ की है। एसओजी की टीम 19 अप्रैल की रात को डूंगरपुर पहुंची और सुभाष नगर स्थित बाबूलाल कटारा के घर से उनके बेटे डॉ. दीपेश कटारा और दीपेश के दोस्त सरकारी टीचर गौतम कटारा निवासी भाटपुर को पकड़कर अपने साथ ले गई। वहीं कटारा के दामाद डॉ. रवि घोघरा, दीपेश के दोस्त भारतेंदु और विनय ताबियार से भी पूछताछ की जा रही है।उदयपुर के पॉश इलाके में कटारा का आलीशान बंगला, बेटे को कराई एमबीबीएस
पेपरलीक कर बेचने के मामले में मुख्य आरोपी बाबूलाल कटारा का उदयपुर के पॉश इलाके में 2 मंजिला आलीशान बंगला है। डूंगरपुर निवासी कटारा का उदयपुर में हॉस्पिटल रोड पर 2 मंजिला कॉम्प्लेक्स भी है। फिलहाल कटारा को आरपीएससी सदस्य रहते हुए अजमेर में टोडरमल लाइन स्थित सरकारी आवास मिला हुआ था। कटारा के आरपीएससी सदस्य रहते हुए ही उनके बेटे डॉ. दीपेश ने जयपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से 2021-22 में एमबीबीएस पूरी की है। लेकिन अभी कहीं प्रैक्टिस या जॉब नहीं कर रहा। दीपेश का दोस्त गौतम कटारा गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडर स्कूल, शीशोद में टीचर के पद पर तैनात हैं। गौतम ने डूंगरपुर एसबीपी कॉलेज में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा था। 2017-18 में उसकी सरकारी नौकरी लगी थी। इधर उदयपुर कोर्ट में पेशी के बाद कटारा को 10 दिन के लिए रिमांड पर भेजा गया है। अब एसओजी रिमांड के दौरान बाबूलाल कटारा प्रदेशभर में संपत्तियों का पता लगाएगी। साथ ही ये पता लगाएगी कि बाबूलाल कटारा के पास टीचर भर्ती का पेपर कहां से और किस तरह पहुंचा।

टीचर भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कराने में कटारा के साथ के किरदार
उदयपुर पुलिस ने चलती बस में सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों को पकड़ा था। अभ्यर्थियों को 5 से 8 लाख रुपए में ये पेपर बेचा गया था। पेपर लीक मामले में एसओजी कड़ी से कड़ी जोड़कर एक-एक गुनहगार को पकड़ रही है। पुलिस ने आरोपी बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार कर लिया। कटारा ने ही पेपर लीक कर माफिया को बेचा था। हालांकि पेपर लीक की गुत्थी अभी भी पूरी तरह सुलझी नहीं है। अब भी सबसे बड़ा सवाल है कि कटारा तक पेपर किसने पहुंचाया? कटारा के साथ के छोटे किरदार को पुलिस के पकड़ में आए हैं, लेकिन असली किरदार कौन है? एसओजी अभी पड़ताल कर रही है कि कटारा ही सबसे बड़ा दोषी है? या सरकार में उससे भी बड़े ओहदेदार इस खेल में शामिल हैं। एसओजी के कहानी के अभी ये किरदार हैं…

• सुरेश विश्नोई : कार्रवाई के दिन भी वो नकल वाली बस को एस्कॉर्ट कर रहा था।
• सुरेश ढाका : सुरेश विश्नोई की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि उसके जीजा जयपुर के गुर्जर की थड़ी स्थित अधिगम कोचिंग इंस्टीट्यूट के संचालक सुरेशा ढाका ने अभ्यर्थियों को पेपर बेचने के लिए अपने साथ मिलाया।
• भूपेंद्र सारण : भूपेंद्र सारण फर्जी डिग्रियां बेचने और पेपर लीक का काम करता था। भूपेंद्र सारण ने इससे पहले कांस्टेबल, जीएनएम भर्ती परीक्षा का पेपर भी लीक करवाया था। भूपेंद्र ने सुरेश ढाका के अलावा घमाराम विश्नोई को भी पेपर बेचा था।
• शेर सिंह मीणा : भूपेंद्र सारण से पूछताछ में शेर सिंह मीणा का नाम सामने आया। सिरोही के स्वरूपगंज में भावरी गांव में वाइस प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत शेर सिंह उर्फ अनिल मीणा ने पेपर लीक को अंजाम देने के लिए अपनी टीम में तीन लोगों को लगा रखा था।
• रामगोपाल मीणा : पहला बिजनेस पार्टनर और उसका अकाउंटेंट का काम देखने वाला जयपुर का प्रॉपर्टी डीलर रामगोपाल मीणा, दूसरा साथी जयपुर के चौमू में रहने वाले प्रवीण सुतालिया। प्रवीण अजमेर में रेलवे में वेल्डर प्रथम के पद पर कार्यरत था। शेर सिंह की तीसरी साथी उसकी गर्लफ्रेंड अनिता है।
• अनिता मीणा: जयपुर के सी-स्कीम में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की ब्रांच में डिप्टी मैनेजर के पद पर कार्यरत थी। अनिता मीणा मूलत: झुंझुनूं की रहने वाली है। अनिता अविवाहित है। शेर सिंह मीणा और अनीता पिछले लंबे समय से रिलेशन में है। भूपेंद्र की गिरफ्तारी के बाद शेरसिंह फरार हो गया था। पुलिस ने उसे ओडिशा के एक गांव से गिरफ्तार किया, जहां वो मजदूर बनकर रह रहा था।
• बाबूलाल कटारा : भूपेंद्र को पेपर भले विजय डामोर ने बेचा था, लेकिन विजय सिर्फ एक मोहरा था। असली खेल बाबूलाल कटारा का था। चार साल पहले उसकी दोस्ती शेर सिंह मीणा से हुई थी। कटारा के मेंबर बनने के बाद शेर सिंह मीणा ने बाबूलाल के साथ पेपर आउट कराने का प्लान बनाया।
• विजय डामोर: बाबूलाल कटारा के कई सहयोगी है। इनमें एक उनका भांजा विजय डामोर और दूसरा उनका ड्राइवर गोपाल सिंह है। किसी को भनक नहीं लगे, इसके लिए ऑफिस के बाहर डील करने की जिम्मेदारी बाबूलाल ने अपने भांजे विजय डामोर को दी थी। कटारा परीक्षा से तीन सप्ताह पहले ही पेपर फाइनल होते ही जीके के छह सेट घर ले आया और डामोर से ही हर पेपर के 80-80 प्रश्न हाथ से दूसरे कागज पर लिखवाए, ताकि सुबूत न बचें।

 

 

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