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मोदी को घेरने की जल्दबाजी में राहुल ने कर लिया अपना ही नुकसान

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कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी जल्दबाजी में है ताकि कांग्रेस का सत्ता का सूखा किसी तरह दूर हो सके। इसके लिए लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर संगीन आरोप मढ़ने की कोशिश में है। इसमें वो संवैधानिक संस्थाओं को भी निशाना बनाने से चूक नहीं रहे। राहुल गांधी जानते हैं कि मौजूदा सरकार की सबसे बड़ी पूंजी खुद पीएम मोदी है, इसलिए वो हर कोशिश कर रहे हैं जिससे मोदी की छवि मलिन हो सके।  लेकिन वक्त के साथ साथ ये हमले बूमरैंग की शक्ल में कांग्रेस और राहुल को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं।

कांग्रेस और राहुल गांधी, मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में ईवीएम पर चुनाव आयोग, राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट, जीएसटी पर सभी राज्यों के प्रतिनिधित्व वाली जीएसटी काउंसिल और आईटी एक्ट में भारत सरकार की संप्रभुता पर हमला कर रहे है। राहुल की टीम ने आम लोगों के गले उतारने के लिए चुटीले नारे भी गढ़ती रही और मीडिया भी बगैर गहराई से जांच किए, इन चटपटे आरोपों को उछालने लग गया। लेकिन जैसे जैसे इन आरोपों की गहराई से पड़ताल हुई, इनका पिलपिलापन और राहुल का झूठ उजागर होते देर न लगी।

राहुल के झूठ उजागर  


EVM  
2014 में मोदी सरकार आने के बाद से अलग अलग राज्यों में बीजेपी की जीत हुई तो राहुल ने EVM में गड़बड़ी का शोर मचाया। सरकार के साथ चुनाव आयोग की साख से भी खिलवाड़ किया लेकिन अब 3 राज्यों में कांग्रेस की जीत के बाद कांग्रेस के मुंह पर ताला लग गया।

GST  
GST को राहुल ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताते रहे जबकि वो सभी राज्यों और पार्टियों की सहमति से लागू हुआ। GST काउंसिल ने जब 22 दिसंबर को टैक्स स्लैब में कमी का फैसला लिया तो एमपी,राजस्थान, छत्तीसगढ़ सरकार ने सबसे ज्यादा विरोध किया। केवल एक जीएसटी स्लैब लागू करने वाले मलेशिया ने अपनी गलती मानकर इसे खत्म कर दिया। क्योंकि एक जीएसटी स्लैब अर्थशास्त्र के बुनियादी नियमों के खिलाफ है। GST में केवल 34 उत्पाद 28% के स्लैब में है जबकि यूपीए सरकार में सभी उत्पादों पर औसतन 31% टैक्स होता था।

राफेल डील 
रक्षा सौदे में मोदी सरकार को घेरने की कोशिश उलटी पड़ी। जब भारत से लेकर फ्रांस सरकार और रिलायंस से लेकर दसॉल्ट तक ने आरोपों को झूठा बताया तो राहुल नहीं माने। ‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछालते रहे लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने डील को पाक साफ बताया तो फैसले को गलत बता दिया। अब कांग्रेस वायुसेना अध्यक्ष को झूठा कह रही है।

आईटी संशोधन बिल 
2009 में यूपीए सरकार ये बिल लाई थी जिसमें किसी की भी साइबर जासूसी हो सकती थी। मोदी सरकार ने इसकी सीमाएं तय की, प्रक्रिया बनाई। लेकिन कांग्रेस अब इसे लोगों की जासूसी बता रही है। राहुल ने मोदी को ‘असुरक्षित तानाशाह’ बताया लेकिन वो ये ये भूल गए कि कांग्रेस सरकार ने संसद में खुद माना था कि राष्ट्रीय सुरक्षा और टैक्स चोरी रोकने के लिए निगरानी जरूरी है।

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