कहते हैं, झूठ के पांव नहीं होते, इसलिए वह ज्यादा दूर तक नहीं चल पाता। उसकी सच्चाई जल्द ही उजागर हो जाती है और वह पकड़ा जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सिलसिले में यह कहावत सौ फीसदी लागू होती है। भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी पर झूठे आरोप मढ़ने की बात हो या फिर जनता से झूठे वादे करने की बात- राहुल गांधी का इसमें कोई सानी नहीं है। राफेल और किसान कर्जमाफी से लेकर न्यूनतम आय गारंटी तक के चुनावी सब्जबाग तक राहुल के झूठ के रंग हजार हैं !
दरअसल, चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुए लोग संघर्ष की पथरीली राहों पर नहीं चल सकते। यही वजह है कि राहुल गांधी देशवासियों के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की बजाय सिर्फ उन्हें झूठ के सब्जबाग दिखाते हैं। राहुल के झूठ की फेहरिस्त लंबी है।
इन राज्यों में सरकार बनाने के बाद राहुल के सुर ही बदल गए। उन्होंने कहा- कर्जमाफी सॉल्यूशन नहीं है। सॉल्यूशन ज्यादा कॉम्पलैक्स होगा। सॉल्यूशन किसानों को सपोर्ट करने का होगा, इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का होगा, टेक्नॉलजी बनाने का होगा और सॉल्यूशन बहुत चैलेंजिंग होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर भी झूठ बोला है। राहुल गांधी ने दावा किया था कि आरएसएस के कहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी लागू की थी। उन्होंने कहा कि संघ परिवार के एक खास विचारक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोटबंदी का विचार दिया था। हालांकि, अपने बयान के पक्ष राहुल गांधी कोई सबूत नहीं दे पाए थे। राहुल गांधी का यह बयान भी सरासर झूठा है। सच्चाई यह है कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने और कालाधन पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने काफी गहन विचार-विमर्श के बाद नोटबंदी का ऐलान किया था। रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी भी कह चुके हैं कि नोटबंदी का पहला विचार फरवरी 2016 में आया था और सरकार ने विमुद्रीकरण के बारे में रिजर्व बैंक की राय मांगी थी। आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने पहले तो सरकार को मौखिक रूप से इस पर राय दी। बाद में एक विस्तृत नोट बनाकर सरकार को भेजा गया जिसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया कि नोटबंदी की खामियां और खूबियां क्या-क्या हैं। इसके बाद पूरी तैयारी के साथ नोटबंदी का ऐलान किया गया था। इसके फायदे भी आपके सामने हैं नोटबंदी के बाद जहां डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिला, वहीं कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में सफलता मिली।
राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में विकास की योजनाओं को लेकर भी मोदी सरकार पर झूठे आरोप लगा चुके हैं। राहुल गांधी कहते रहे हैं कि मोदी सरकार के आने के बाद से रायबरेली के साथ भेदभाव किया जाता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि यूपीए के जमाने में राजीव गांधी के नाम पर रायबरेली में जो पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी स्थापित की गई थी, उसे पांच वर्षों के दौरान यूपीए सरकार ने महज 1 करोड़ रुपये दिए थे। जबकि मोदी सरकार ने पहले दो वर्षों में इस यूनिवर्सिटी के लिए 360 करोड़ रुपये देकर इसे एक संस्थान के रूप में विकसित किया। इतना ही नहीं, रायबरेली में स्थित इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज नाम का संस्थान बंद होने की कगार पर था और वहां अफसरों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस संस्थान को 500 करोड़ आवंटित कर जीवनदान दिया और 1100 करोड़ रुपये का आर्डर भी दिलाया।
अगस्त, 2013 में राहुल ने इलाहाबाद के पंडित गोविन्द वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के एक कार्यक्रम में कहा था, ‘गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति है। इसका भोजन, रुपये या भौतिक चीजों से कोई लेना-देना नहीं। उन्होंने यहां तक कहा कि जबतक आदमी खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा, उसकी गरीबी खत्म नहीं होगी।’ आप खुद समझ सकते हैं कि जिस पार्टी ने कभी गरीबी हटाओ का नारा दिया हो, उसका वर्तमान अध्यक्ष गरीबी को लेकर क्या सोचता है। यही कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी का दोहरापन है।
राहुल गांधी ने 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान “22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब” अभियान के तहत प्रधानमंत्री मोदी से महिला सुरक्षा, पोषण और महिला साक्षरता से जुड़ा सवाल पूछा था, लेकिन इस सवाल के साथ राहुल ने जो इन्फोग्राफिक्स पोस्ट किया था, उसमें गुजरात की महिला साक्षरता के गलत आंकड़े दिखाए थे। इन आंकड़ों में दिखाया गया था कि 2001 से 2011 के बीच गुजरात में महिला साक्षरता दर में 70.73 से गिरकर 57.8 फीसदी हो गई है। राहुल गांधी ने जो आंकड़े दिखाए थे वे सरासर गलत थे। सही आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में 2001 से 2011 के बीच महिला साक्षरता में 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि 1991 से 2001 के बीच हुई 8.9 फीसदी बढ़ोतरी से काफी ज्यादा है।
24 नवंबर 2017 को गुजरात में दो रैलियों में राहुल गांधी ने बेरोजगारी के अलग-अलग आंकड़े पेश कर दिए। 24 नवंबर को पोरबंदर में राहुल गांधी ने कहा कि गुजरात में 50 लाख बेरोजगार युवा क्यों हैं? वहीं, उसी दिन अहमदाबाद में चुनावी सभा में कहा कि गुजरात में 30 लाख बेरोजगार क्यों हैं?