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राहुल गांधी, मिस्ट्री गर्ल और चीनी लिंक… जानिए वायरल वीडियो ने आखिर क्यों बढ़ाया शक

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो को काठमांडू के एक नाइटक्लब का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि वीडियो में राहुल गांधी के साथ जो विदेशी महिला है वो नेपाल में चीन की राजदूत होउ यांकी हैं। किसी भी महिला से मिलना या पार्टी करना आम बात है, लेकिन चीन की महिला से मिलना लोगों को रास नहीं आ रहा है क्योंकि चीनी महिला पर कई राजनेताओं को हनीट्रैप करने का आरोप लगता रहा है। साथ ही चीन के साथ सीमा विवाद के दौरान कांग्रेस का जो चीनी लिंक सामने आया था उसे लेकर यह मामले की गंभीरता दर्शाता है।

राहुल गांधी चीन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और मोदी सरकार पर कई आरोप लगाते रहे हैं। राहुल गांधी कई बार चीनी प्रोपेगेंडा को हवा भी देते रहे हैं। राहुल गांधी पर चीनी विवाद के दौरान ही सेना का मनोबल गिराने का भी आरोप लगा था। उसी समय कांग्रेस और चीन के बीच गु्प्त समझौते के बारे में भी देश को पचा चला था और डोकलाम विवाद के दौरान ही राहुल गांधी के गुपचुप तरीके से चीनी अधिकारियों से मिलने की बात सामने आई थी। इतना ही नहीं चीनी दूतावास और चीन की ओर से राजीव गांधी फाउंडेशन को चंदा मिलने की खबर भी निकलकर सामने आई थी। ऐसे में कांग्रेस जिस व्यक्ति को देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश करती है, उस व्यक्ति की चीन से संदेहास्पद संबंध देशहित में कैसे माना जा सकता है।

एक नजर डालते हैं कि आखिर शक पैदा हो क्यों रहा है-

गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बीच इस खुलासा से सनसनी फैल गई थी कि राजीव गांधी फाउंडेशन को दान के नाम पर चीन से काफी ज्यादा वित्तीय मदद मिली थी। कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एमओयू के बाद अब यह खबर भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी थी।

टाइम्स नाउ न्यूज चैनल ने अपनी खास खबर में बताया कि राजीव गांधी फाउंडेशन को यह वित्तीय मदद करोड़ों रुपये में दी गई।

टाइम्स नाउ के अनुसार भारत स्थित चीनी दूतावास राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करता रहा है। खबर के अनुसार चीन की सरकार वर्ष 2005, 2006, 2007 और 2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन में डोनेशन करती है और इसके बाद वर्ष 2010 में एक अध्ययन जारी कर बताया जाता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार समझौतों को बढ़ावे की जरूरत है।
राजीव गांधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट 2005-06 में भी कहा गया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से फंडिंग हुई है।

चीनी दूतावास के अनुसार, भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी ने 10 लाख रुपए दान दिए थे। इस फंडिंग का नतीजा ये रहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में कई स्टडी की और इसे जरूरी बताया।

कांग्रेस के थिंक-टैंक ने की FTA की पैरवी, व्यापार घाटा 33 गुणा बढ़ा
कांग्रेस पार्टी के थिंक-टैंक ने चीन के साथ एफटीए की पैरवी की, जिसके बाद 2003-04 और 2013-14 के बीच व्यापार घाटा 33 गुणा बढ़ गया। इसके अलावा 2008 में कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) का RGF के साथ संबंध बताते हुए लगातार कांग्रेस पर सवाल उठाए जाते रहे हैं।

राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी का चीनी कन्युनिस्ट पार्टी के साथ एमओयू, डोकलाम विवाद के समय राहुल का चोरी-छिपे चीनी दूतावास के अधिकारियों से मिलना, चीनी झड़प के दौरान सरकार-सेना पर सवाल उठाना, सरकार की जगह पार्टी से परिवार के लोगों का चीन जाना, कैलास मानसरोवर की यात्रा के दौरान चीनी अधिकारियों से गुपचुप मुलाकात करना यह सब कांग्रेस पार्टी के साथ गांधी परिवार को संदेह के घेरे में खड़ा करता रहा है।

राहुल गांधी का चीन से चोरी-चोरी मिलने का क्या है राज
6 जून 2017 को डोकलाम पर भारतीय सेना ने चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोक दिया, पूरी दुनिया प्रधानमंत्री मोदी की त्वरित कार्रवाई से हैरत में थी और हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा था। लेकिन एक तरफ भारत के सैनिक डोकलाम में चीनी सैनिकों को रोक रहे थे और दूसरी तरफ राहुल गांधी दिल्ली में चीनी राजदूत से गुपचुप मिल रहे थे। राहुल गांधी ने 8 जुलाई 2017 को सरकार और जनता से छुपकर, चोरी-चोरी चीनी राजदूत से मुलाकात की थी। राहुल की चीनी राजदूत से हुई मुलाकात के रहस्य का पर्दा 17 मार्च 2018 को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पत्र से उठा था।

राहुल गांधी: चोरी-चोरी, चुपके-चुपके  एक तरफ डोकलाम में चीनी सेना के सामने भारतीय सेना आंखों में आंखे डाले खड़ी थी, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने कूटनीति से विश्व मंच पर चीन की घेराबंदी कर रखी थी। ऐसे नाजुक और पल-पल बदलते घटनाक्रम में भारत के प्रधानमंत्री जो फैसले ले रहे थे देश की जनता उनके साथ खड़ी थी, लेकिन राहुल गांधी ने इस मौके पर भी अपनी राजनीति चमकाने से बाज नहीं आए। राजनीतिक चमकाने के लिए राहुल गांधी ने 7 जुलाई 2017 को Tweet कर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा। राहुल ने Tweet में लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी डोकलाम पर शांत क्यों हैं, कुछ बोलते क्यों नहीं?

7 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने वाला ट्वीट कर राहुल गांधी स्वयं 8 जुलाई को चीन के राजदूत से मिलने के लिए चले गए। राहुल गांधी द्वारा चोरी छिपे की गई इस मुलाकात की जानकारी देश को 10 जुलाई को चीनी दूतावास की वेबसाइट पर जारी की गई फोटो से हुई। इसी फोटो ने मुलाकात को नकारने वाली राहुल गांधी और कांग्रेस की चोरी पकड़वा दी। 

राहुल गांधी के मुलाकात वाली फोटो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही  इसको लेकर सवाल पूछे जाने लगे, लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता ने राहुल गांधी की ऐसी किसी भी मुलाकात से साफ इंकार कर दिया।

लेकिन सच्चाई तो सामने आ चुकी थी और सोशल मीडिया पर सवालों की बौछार रुकने का नाम नहीं ले रही थी। झूठ से अपने को बचा पाने में उलझ चुके कांग्रेस प्रवक्ता को आखिर राहुल गांधी की मुलाकात की घटना को स्वीकार करना पड़ा। कांग्रेस ने फिर भी यह नहीं बताया कि राहुल गांधी की इस मुलाकात का मकसद क्या था?

राहुल गांधी को मिला चीन का बधाई संदेश – गुजरात चुनाव में हार के बाद, राहुल गांधी को साल 2018 में कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद मिला। इस वर्ष 17-18 मार्च को कांग्रेस का 84वां महाधिवेशन राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुआ, जो राहुल गांधी और देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए उत्सव का अवसर था। इस उत्सव में उनके खास राजनीतिक संगी साथियों ने उनको देश-विदेश से बधाई संदेश भेजे। सबसे महत्वपूर्ण संदेश चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से आया। इस पत्र में लिखा था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी माननीय राहुल गांधी को बधाई और शुभकामना देती है। आगे इस पत्र में लिखा है कि The INC plays an important role in the political life of India and has made positive contribution to the development of China-India relation. The CPC is willing to work together with the INC to explore, through increased communication and exchange, a new type of party-to-party relation that seeks to expand common ground।बधाई संदेश ने डोकलाम का रहस्य खोला– चीन के कम्युनिस्ट पार्टी से राहुल गांधी को आए इस संदेश ने यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच चोली दामन का साथ है, जिसे इस पत्र में स्वीकार किया गया है। इसी मित्रता को निभाने के लिए 8 जुलाई 2017 को चोरी-चोरी राहुल गांधी ने चीनी राजदूत से मुलाकात की थी। इस मुलाकात का मकसद था कि प्रधानमंत्री मोदी पर डोकलाम को लेकर जनता की तरफ से दबाव बनाया जाए, जिसका फायदा चीन उठा सके, लेकिन राहुल की लाख कोशिशों के बाबजूद, जनता प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ी रही और चीन के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

चीन और राहुल गांधी की चाल- 16 जून को शुरु हुआ डोकलाम  तनाव 28 अगस्त 2017 को चीनी सेना के पीछे हट जाने और 16 जून के पूर्व की स्थिति के लौट आने के बाद समाप्त हुआ। अक्टूबर 2017 में कुछ पत्रकारों की खोखली रिपोर्टस के आधार पर राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव बनाना शुरु किया कि डोकलाम में अभी भी चीन के 500 सैनिक जमे हुए हैं और भारत ने डोकलाम से अपनी सेना हटा ली है। वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं था, सच्चाई यह थी कि भारत ने चीन को पीछे खडे रहने के लिए मजबूर कर दिया था। राहुल गांधी इस राजनीतिक दबाव से अपने परम मित्र चीन की मदद करना चाहते थे।

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