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पीएम मोदी को बदनाम करने के लिए कई बार अपना करियर खराब कर चुके हैं राहुल गांधी

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि खराब करने के लिए अब तक जितनी भी कोशिशें की हैं, उन्हें नाकामी हाथ लगी है। प्रधानमंत्री मोदी पर जनता का इतना अटूट विश्वास है कि किसी भी ताकत के लिए झूठे आरोपों के जरिए उस विश्वास को तोड़ना नामुमकिन है। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते रहे। इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने ने साफ कहा, “पीएम मोदी की ताकत उनकी इमेज है और मैं इसे खराब कर दूंगा। मैंने ऐसा करना शुरू भी कर दिया है।” लेकिन राहुल गांधी का यह दावा सिर्फ दावा बनकर ही रह गया। आइए बताते हैं, किस तरह राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी की छवि खराब करने के प्रयास में अपना करियर बर्बाद करते चले गए। 

1. राफेल के मामले में झूठ बोल-बोलकर अपना करियर खराब किया

  • राहुल ने कहा था, सुप्रीम कोर्ट ने माना चौकीदार चोर है। कोर्ट ने झूठ बताया और राहुल ने माफी मांगी।
  • फ्रेंच मीडिया हाउस की रिपोर्ट को ट्विस्ट किया। डसॉल्ट के CEO ने इसे खारिज कर दिया।
  • डिफेंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी के ट्रांसफर पर राहुल ने झूठ बोला, जबकि वह ट्रेनिंग के लिए गए थे।
  • फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के ओलांद के नाम पर झूठ फैलाने की कोशिश, ओलांद ने ही उस झूठ को एक्सपोज कर दिया।
  • राहुल गांधी ने संसद में कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति से मिले थे। फ्रांस की सरकार ने इसका खुद खंडन किया।
  • राहुल गांधी राफेल के अलग-अलग दाम बताते हैं, जबकि मोदी सरकार ने फुली लोडेड राफेल डील की है।
  • मृत्यु शैया पर लेटे मनोहर पर्रिकर से मिलने के बाद झूठी कहानी बनाई। पर्रिकर ने किया था खंडन।

2. डोकलाम में झूठ बोल-बोलकर और राजदूत से मिलकर अपना करियर खराब किया

डोकलाम विवाद के बीच राहुल गांधी ने 8 जुलाई 2017 को चोरी-छिपे भारत में मौजूद चीन के राजदूत लिओ झाओहुई से दिल्ली में मुलाकात की थी। सरकार और जनता से छिपकर की गई इस मुलाकात की खबरें जब सामने आईं तब भी कांग्रेस पार्टी ने झूठ बोला। हालांकि राहुल की चीनी राजदूत से हुई मुलाकात के रहस्य का पर्दा तब उठा जब 10 जुलाई को चीनी दूतावास की वेबसाइट पर मुलकात की तस्वीरें जारी कर दी गई। जाहिर है राहुल गांधी ने इस मामले में भी झूठ बोला और देश को धोखा देने की कोशिश की। 

खोखली रिपोर्टस के आधार पर राहुल गांधी ने दावा किया था कि डोकलाम में चीन के 500 सैनिक जमे हुए हैं और भारत ने डोकलाम से अपनी सेना हटा ली है। वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं था, सच्चाई यह थी कि भारत ने चीन को पीछे खडे रहने के लिए मजबूर कर दिया था। 

3. लद्दाख सीमा पर चीन के कब्जे को लेकर राहुल गांधी ने बोला झूठ

राहुल गांधी ने लद्दाख के कुछ स्थानीय लोगों के माध्यम से मोदी सरकार पर झूठा आरोप लगाया था। लेकिन जल्द ही उसका भंडाफोड़ हो गया। राहुल गांधी ने जिन लोगों को आधार बनाकर झूठ बोला था कि चीन ने भारतीय जमीन पर कब्जा किया है, वे सभी कांग्रेसी नेता निकले। इसका खुलासा होते ही राहुल गांधी की बोलती बंद हो गई। आप खुद देख लीजिए वे सभी कांग्रेस के स्थानीय नेता हैं। उनमें कांग्रेस के पूर्व काउंसलर नामग्याल दुर्बुक, हिमाचल प्रदेश एनयूएसआई के प्रदेश महासचिव सचिन मिरुपा, लद्दाख में यूथ कांग्रेस के महासचिव तुंदुप नुबु और जिला यूथ कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष दोर्जी गिल्टसन शामिल हैं।

देखिए वीडियो-

4. प्रधानमंत्री मोदी से गले मिलने के बाद आंख मारकर अपना करियर खराब किया

जुलाई 2018 में संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के वक्त राहुल गांधी ने अपना भाषण खत्म करने के बाद कुछ ऐसी हरकत कर दी, जिसका किसी को भी अंदाजा नहीं था। भाषण खत्म करने के बाद अचानक राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास पहुंचे और उनके गले लग गए। इसके बाद राहुल गांधी अपने साथी सांसदों की ओर आंख मारते पकड़े गए। उनकी ये हरकत कैमरे पर कैद हो गई। राहुल गांधी ने आंख मार कर अपनी अपरिपक्वता का एक और उदाहरण पेश किया। उन्होंने अपने आचरण से साबित कर दिया कि जिस पद के लिए वह सियासी ड्रामा कर रहे हैं, उसके लिए जनता उन्हें उपयुक्त नहीं मानती है। 

5. कांग्रेस अध्यक्ष रहते लोकसभा में बुरी तरह हारकर अपना करियर खराब किया

कांग्रेस ने राहुल गांधी की अध्यक्षता में 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। यहां तक की राहुल गांधी अमेठी लोकसभा सीट भी नहीं बचा सके। नेहरू-गांधी परिवार की परंपरागत सीट पर राहुल को बीजेपी की स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में पार्टी को सिर्फ 52 सीटों पर संतोष करना पड़ा। कांग्रेस लोकसभा में नेता विपक्ष बनने लायक पार्टी भी नहीं बची। राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हाथ धोना पड़ गया। आज वह कांग्रेस के एक सांसद बनकर रह गए हैं। 2019 के जनादेश ने बता दिया कि राहुल गांधी कभी प्रधानमंत्री मोदी का विकल्‍प नहीं बन सकते। हालांकि आगे उनका करियर क्या होगा, इसको लेकर अटकलें लगायी जाती रहती हैं। लेकिन जिस तरह जनता ने उन्हें नकारा है, उससे उनका सियासी भविष्य खतरे में दिखाई देता है।

6. विदेश नीति के मामले में राहुल के झूठा का जयशंकर ने किया पर्दाफाश

राहुल गांधी ने विदेश नीति के मामले में झूठा आरोप लगाते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 10 ट्वीट्स करके सबूतों के साथ राहुल गांधी के झूठ का पर्दाफाश कर दिया। 

अब ज़्यादा मुखर हो कर अपनी बातें रखता है भारत

जयशंकर ने राहुल गांधी के वीडियो को टैग करते हुए अपने सिलसिलेवार ट्वीट के जरिये बिंदुवार उनके आरोपों का जवाब दिया। विदेश मंत्री ने ट्वीट में कहा, ”राहुल गांधी ने विदेश नीति पर सवाल पूछे हैं। यहां पर कुछ उत्तर हैं। हमारा महत्वपूर्ण गठजोड़ मजबूत हुआ है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कद बढ़ा है। अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान के साथ शिखर वार्ता और अनौपचारिक बैठकें होती रहती हैं। चीन के साथ हम राजनीतिक रूप से अधिक बराबरी के स्तर पर बात करते हैं। विश्लेषकों से पूछें।”

एस जयशंकर ने कहा कि भारत अब कहीं ज़्यादा मुखर हो कर अपनी बातें रखता हैं। चाहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) और चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मामला हो, या दक्षिण चीन सागर का या फिर संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों का मामला हो। इसके बारे में मीडिया से पूछें।

एस जयशंकर ने यह भी कहा है कि मोदी सरकार सेना को मज़बूत करने की कोशिश कर रही है। 2008-14 की तुलना में 2014-2020 के बीच सेना के लिए बजट 280 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। 32 प्रतिशत ज़्यादा सड़कें और 99 प्रतिशत ज़्यादा पुल बनाए गए हैं।

पड़ोसी देशों के साथ भारत के बेहतर रिश्ते

पड़ोसी देशों के साथ भारत के रिश्तों को लेकर भी राहुल गांधी ने अपने वीडियो में कहा है कि पाकिस्तान को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देशों से सहज रिश्ते थे, लेकिन अभी ऐसा नहीं है। इसके जवाब में एस जयशंकर ने एक एक पड़ोसी देश के साथ भारत के मौजूदा रिश्ते के बारे में बताया और यूपीए सरकार को भी घेरा। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के साथ (जिसे आपने छोड़ दिया) निश्चित तौर पर एक तरफ बालाकोट और उरी तो दूसरी तरफ शर्म अल शेख, हवाना और 26/11 के बीच अंतर है। इस बारे में स्वयं से पूछें।”

श्रीलंका ने हब्बनटोटा बंदरगाह का ठेका भारत को ना देकर चीन को दिया है। इस मामले में विदेश मंत्री ने कहा, ”कुछ तथ्य हमारे पड़ोसियों के बारे में भी। श्रीलंका और चीन के बीच 2008 में हब्बनटोटा बंदरगाह को लेकर समझौता हुआ था। उनसे पूछें जो इससे निपट रहे थे।”

जयशंकर ने कहा कि मालदीव के साथ कठिन संबंध था, जब 2012 में भारत राष्ट्रपति नाशीद की सरकार को गिरता देख रहा था ….और चीजें बदली हैं। हमारे कारोबारियों से पूछें।

बांग्लादेश के बारे में जयशंकर ने कहा कि 2015 में भू-सीमा मुद्दा सुलझने के बाद अधिक विकास और पारगमन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि अब वहां आतंकवादियों के लिए पनाहगाह नहीं है, हमारे सुरक्षा बलों से पूछें।

भारत और नेपाल के बीच हाल के दिनों में तनातनी पर राहुल गांधी ने सवाल उठाया था। इस मामले में जयशंकर ने कहा, ”नेपाल में 17 वर्षों के बाद प्रधानमंत्री की यात्रा होती है। ऊर्जा, ईधन, अस्पताल, सड़क सहित अनेक विकास परियोजना बढ़ती हैं, उनके नागरिकों से पूछें।”

जयशंकर ने कहा कि भूटान अब भारत को एक मजबूत सुरक्षा और विकास भागीदार पाता है और अब वे 2013 के विपरीत अपनी रसोई गैस के बारे में चिंता नहीं करते, भूटान के परिवारों से पूछें।

विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में सलमा बांध और संसद जैसी परियोजनाएं पूरी होती हैं, प्रशिक्षण कार्य और कनेक्टिविटी बढ़ती है, अफगानिस्तान से पूछें।

दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपना एक वीडियो जारी कर बताया कि बीते छह सालों में ऐसा क्या हुआ जो चीन ने भारत के ख़िलाफ़ आक्रामक होने के लिए यही वक्त चुना। वीडियो में वो समझाते हैं “एक देश को एक साथ कई चीज़ों की वजह से सुरक्षा मिलती है। इसमें पड़ोसियों और दूसरे मुल्कों के साथ उसके संबंध, अपनी ख़ुद की अर्थव्यवस्था और देश के नागरिकों की भावना और सोच शामिल हैं।”

 

 

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