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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- आर्थिक पैकेज से किसानों की आय बढ़ेगी और रूरल इकोनॉमी को मदद मिलेगी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित किए गए आर्थिक पैकेज के तीसरे चरण से जहां एक तरफ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ इससे किसानों की आय बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को ट्विटर किया, ‘‘मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकज का स्वागत करता हूं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था, मेहनत करने वाले किसानों, मछुआरों, पशु पालकों और डेयरी क्षेत्र को मदद मिलेगी।’’ जाहिर है कि आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की तीसरी किस्त में शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिये 1.63 लाख करोड़ रुपये के विभिन्न उपायों की घोषणा की है।

वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करने और अनाज, दाल, खाद्य तेल, तिलहन, आलू, प्याज जैसी रोजमर्रा के उपभोग वाली वस्तुओं को इस कानून के दायरे से मुक्त करने की भी घोषणा की। इससे किसानों को अपनी उपज को अपनी पसंद के बाजार में बेचने की सुविधा मिलेगी। वित्त मंत्री ने पैकेज का ब्योरा साझा करते हुए कहा कि सरकार एक लाख करोड़ रुपये का कृषि संरचना कोष बनाएगी। वहीं दो लाख सूक्ष्म खाद्य इकाइयों (एमएफई) को समर्थन के लिए 10,000 करोड़ रुपये का कोष बनाया जाएगा। इसके जरिये हेल्थ एंड वेलनेस, हर्बल, जैविक और पोषक उत्पादों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की भी घोषणा की है। इसके तहत समुद्र और अंतर्देशीय मछलीपालन का विकास किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि डेयरी प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन, मवेशी चारा क्षेत्र में निवेश को समर्थन के लिए 15,000 करोड़ रुपये का पशुपालन संरचना विकास कोष स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी तरह औषधीय जड़ी बूटी की खेती को प्रोत्साहन के लिए 4,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय औषधीय पौध कोष की घोषणा की गयी। इसके तहत 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को इस तरह की स्वास्थ्यवर्धक जड़ी बूटियों की खेती के तहत लाने का लक्ष्य है।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कोरोना वायरस से शिथिल पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिये कुल 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। यह राशि देश की जीडीपी का 10 प्रतिशत के करीब बैठती है। इसमें उस सहायता पैकेज की 1.70 लाख करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है जिसकी घोषणा 25 मार्च को देशव्यापाी लॉकडाउन लागू करने के कुछ ही दिन में कर दी गई थी। इसके बाद रिजर्व बैंक ने भी विभिन्न मौद्रिक उपायों के जरिये करीब 5.6 लाख करोड़ रुपये के मौद्रिक प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की। इसके बाद पिछले दो दिन में 9.10 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहना पैकेज की घोषणा की गई जिसमें किसानों को सस्ता कर्ज, एनबीएफसी को नकदी और बिजली वितरण कंपनियों को संकट से उबारने के लिये सहायता की घोषणा की गई।

एक नजर डालते हैं कोरोना संकट के दौरान किस प्रकार पहले भी किसानों के साथ खड़ी रही है मोदी सरकार-

लॉकडाउन में खेती-किसानी पर मोदी सरकार का विशेष ध्यान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा किसान कल्याण को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई है। कोरोना लॉकडाउन से उत्पन्न हुए हालात में भी मोदी सरकार के विशेष ध्यान किसानों के कल्याण पर ही है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज में भी में मोदी सरकार को फोकस किसानों के कल्याण पर ही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारण में आर्थिक पैकेज की दूसरी किस्त का जब ऐलान किया, तो उसमें किसानों की बेहतरी के लिए बहुत कुछ था। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम किसान, फसल बीमा योजना जैसे कई स्कीम के जरिए किसानों की काफी मदद करने की कोशिश की है।

वित्तमंत्री ने कहा, “कृषि क्षेत्र की मदद के लिए कोरोना के संकट के बीच 86,600 करोड़ रुपये के 63 लाख कृषि लोन दिए गए हैं। यह मार्च और अप्रैल की अवधि के लिए है। इसके साथ ही नाबार्ड ने कॉपरेटिव बैंक और रीजनल रूरल बैंक के माध्यम से 29,500 करोड़ रुपये की रिफाइनेंसिंग की है। मार्च 2020 की अवधि के लिए रूरल इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के लिए राज्यों को ₹4200 करोड़ दिए गए हैं। इसके साथ ही राज्य सरकारों को कृषि उत्पाद या कृषि उपज की खरीद के लिए मार्च में ₹6700 करोड़ दिए गए हैं।”

वित्त मंत्री के मुताबिक 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में देश के ढाई करोड़ किसानों को कम ब्याज पर लोन देने के लिए दो लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके जरिए किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से देश के किसान सस्ती ब्याज दर पर कर्ज ले सकेंगे। इसमें किसानों के साथ मछुआरों और पशुपालकों को भी शामिल किया जाएगा। देश के ढाई करोड़ किसानों को दो लाख करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।

खरीफ फसलों के लिए किसानों की मदद को तैयार मोदी सरकार
आम आदमी हो या खास, फैक्ट्र‍ियां हों या कंपनियां सभी कृषि से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हुए हैं। इसलिए मोदी सरकार ने कोरोना वायरस संकट काल में जब किसानों के सामने कृषि संबंधी समस्याएं आईं तो उसे दूर करने की हर संभव कोशिश की। देश के किसानों को कोई ज्यादा दिक्कत न हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम किसान निधि की रकम डालने और कटाई-बुआई में छूट देने का फैसला किया। इतना ही नहीं लॉकडाउन में किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय ने कई ठोस कदम उठाए हैं। तभी तो पूरे देश में रबी की कटाई में किसानों को अधिक समस्या नहीं आने दी। लेकिन अब देश के किसानों के सामने रबी के बाद खरीफ फसलों की बुआई करने की चुनौती आन पड़ी है। खरीफ फसलों की बुआई जरूरी है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस मामले में देश के किसानों को हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।

छोटे किसानों तक सुविधा पहुंचाने का इंतजाम

हाल ही में कृषि मंत्री ने राज्यों के कृषि मंत्री के अलावा कृषि से संबंधित सभी सचिवों और बड़े अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में किसानों को बुआई के लिए सभी जरूरी उपकरण से लेकर मशीनों के अलावा बीज, खाद की तत्काल व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। सरकार का उद्देश्य है कि ये सभी जरूरी व्यवस्था केवल बड़े किसानों तक ही नहीं, बल्कि छोटे किसानों और माइक्रो लेवल पर भी पहुंचे। ताकि देश के कोई भी अन्नदाता प्रभावित न हो। वे चाहे बड़े किसान हो या फिर छोटे से छोटे किसान। मालूम हो कि लॉकडाउन का कृषि के क्षेत्र में कोई व्यापक प्रभाव नहीं पड़ा है। अब मॉनसून का इंतजार है। मौसम भी इस बार अनुकूल रहने के आसार हैं। ऐसे में सरकार निश्चित ही इस बार के तय किए गए लक्ष्य 298.3 मिलियन टन खाद्यान्न पूरा करने में कामयाब होगी।

इस बार भी हुआ खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन

एनआईएपी के निदेशक डॉ सुरेश पाल का कहना है कि देश में इस बार खाद्यान का रिकॉर्ड 291 मिलियन से अधिक उत्पादन हुआ है। मोदी सरकार की यह एक बड़ी उपलब्धि है कि चुनौती के समय में भी कृषि ने अपना बड़ा योगदान दिया है। इसलिए किसानों का हित सरकार का पहला लक्ष्य है। जिसके लिए वह प्रयासरत भी है। सरकार का फोकस है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोगों के आय का साधन कृषि है, ऐसे में उन्हें नुकसान न हो और उनका आजीविका प्रभावित न हो। इसके लिए पीएम किसान निधि सम्मान के तहत राशि दी गई। फसलों की बढ़ी हुई एमएसपी पर फसल खरीदने के राज्यों के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा ई-नाम, किसान रथ यानि टेक्नोलॉजी का बहुत फायदा हुआ है।

सरकार का कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण पर जोर

कृषि आयुक्त, डॉ. एस के मल्होत्रा बताते हैं कि लॉकडाउन चल रहा है ऐसे में कई जगहों पर मजदूर को लेकर परेशानी आ रही है। दूसरे राज्यों में आने-जाने पर रोक है। ऐसे में सरकार का जोर है कि किसान अपनी खेती में मशीनों का प्रयोग करें। जो किसान के लिए आने वाले समय में काफी सहायक होंगे। इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि यह किफायती भी होगा और समय पर काम पूरा होने से फसल भी सही समय पर तैयार हो जाएंगी। मालूम हो कि छोटे और मझले किसान बड़ी-बड़ी और महंगी मशीने नहीं खरीद पाएंगे। इनके लिए कस्टम हायर सेंटर बनाए जा रहे हैं, जहां से वे किराए पर मशीन ले सकते हैं। इस इंतजाम से किसानों को बहुत ही कम खर्च में महंगी से महंगी मशीन उपलब्ध होगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे किसानों को काफी फायदा मिलेगा और समय भी बचेगा।

घर बैठे उत्पाद बेचने की व्यवस्था में जुटी सरकार  

सरकार इस ओर भी ध्यान दे रही है कि किसान अपने उत्पाद का डायरेक्ट सप्लाई करें। अभी तक किसान मंडी तक आकर आपने माल को बेचते हैं लेकिन अब तकनीक का सहारा लेकर वे घर बैठे खाद्यान या उत्पाद बेच सकते हैं। लॉकडाउन में कई जगह व्यापारी सीधे खेत तक पहुंच कर किसान से कृषि उत्पाद खरीद रहे हैं, जिससे किसानों को ट्रांसपोर्टेशन में भी बचत हो रही है।

लॉकडाउन के बाद सरकार ने उठाए कई कदम

किसानों का देश के विकास में अहम योगदान है। इसलिए सरकार का पूरा फोकस है कि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो पाए। सरकार ने बाजार तक कृषि उत्पादों को पहुंचाने के लिए परिवहन की सुविधा पर गंभीरता से ध्यान दिया है। लॉकडाउन लागू होते ही बागवानी, फल, सब्जी से जुड़े किसानों की समस्याओं पर फोकस करते हुए उनके उत्पाद सप्लाई के लिए प्रभावी कदम उठाए गए। इसके लिए देश की करीब 1600 मंडियों को खोल दिया गया। कृषि मंत्री ने मामले में पूरा खाका तैयार कर कई कारगर कदम उठाए।

सरकार ने किसान रथ ऐप लॉन्च किए

किसानों को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े इसके लिए मोदी सरकार ने किसान रथ ऐप लॉन्च किए। यह ऐप किसानों के उत्पादन के विपणन में काफी मददगार है। इस बीच एक समस्या ट्रांसपोर्ट की आ रही थी। इससे निपटने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया गया। और 2.3 लाख ट्रांसपोर्टर जुड़े। इनके माध्यम से 11.37 लाख ट्रक जुड़े जो पूरे देश में सामान पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा कई बार ट्रकों को राज्यों के बॉर्डर पर रोक दिया जाता था। इस दिक्कत को संज्ञान में लेते हुए तत्काल टोल फ्री नंबर 18001804200 जारी किया गया। राज्य सरकार की ओर से नोडल ऑफिसर बनाए गए। कृषि उत्पाद वाली गाड़ियों के राज्य की सीमाओं पर अटकने पर जानकारी मिलते ही नोडल ऑफिसर तुंरत समस्या का समधान करते हैं। गेहूं की खरीद के लिए प्रभावी कदम उठाते हुए पहले से 1485 क्रय सेंटर की संख्या को बढ़ाकर 2790 कर दिए गए हैं।

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