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विदेशी इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म की मनमानी पर शिकंजा कसने की तैयारी, किसी पोस्ट से जुड़े आपराधिक मामलों पर हो सकती है कार्रवाई

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इंटरनेट मीडिया जितनी सरल है, उसका दुरूपयोग उतना ही खतरनाक है। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसी विदेशी सोशल मीडिया कंपनियां देश के कानून और सरकार के निर्देशों का खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हैं। वो अब सरकार से भी ज्यादा ताकतवर और संप्रभु बनने लगी है। ऐसे में इनकी कार्यप्रणाली को लेकर समाज के हर क्षेत्र से सवाल उठ रहे हैं। सरकार की ओर से भी कई बार आगाह किया जा चुका है कि मध्यस्थ की बजाय अपनी सुविधा और मंशा के अनुसार ये प्लेटफार्म जज की तरह काम करने से बचे लेकिन ये प्लेटफॉर्म अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। इस लिए केंद्र की मोदी सरकार ने इनकी निरंकुशता पर लगाम लगाने का संकेत दिया है।

सूत्रों के अनुसार इन कंपनियों के रुख से नाराज सरकार सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। आइटी कानून की धारा 79 के तहत इन्हें एक मध्यस्थ प्लेटफार्म के रूप में थर्ड पार्टी पोस्ट से छूट मिली हुई है। यानि अगर कोई ग्राहक आपत्तिजनक पोस्ट डालता है, कार्रवाई उस ग्राहक पर होती है प्लेटफार्म पर नहीं। बताया जाता है कि सरकार देश के कानून और सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करने वाले प्लेटफार्म से यह छूट वापस ले सकती है। ऐसे में ये प्लेटफार्म भी किसी पोस्ट से जुड़े आपराधिक मामलों के घेरे में आ जाएंगे और उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

गौरतलब है कि भारत से मोटी कमाई कर रही इन विदेशी कंपनियों की मनमानी का आलम ये है कि इन्होंने भारत में ग्रीवांस आफिसर, कंप्लायंस आफिसर, नोडल आफिसर की तैनाती, 15 दिन के अंदर शिकायत का निपटारा करने की व्यवस्था, आपत्तिजनक पोस्ट की निगरानी जैसी सामान्य व्यवस्था करने से भी इन्कार कर दिया है। सरकार ने 25 फरवरी, 2021 को तीन महीने के अंदर इसका पालन करने का निर्देश दिया था, लेकिन कंपनियां अपने पुराने रुख पर ही अड़ी हुई हैं।

किसान आंदोलन के दौरान सरकार की ओर से आगाह किए जाने के बावजूद कई भड़काउ पोस्ट कई दिनों तक चलते रहे। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इनका अपना फैक्ट चेकिंग तंत्र है, जिसके बारे में पारदर्शिता नहीं है कि उन्हें किस आधार पर नियुक्त किया जाता है या वे किस आधार पर एक जैसे होने पर भी किसी पोस्ट को ब्लाक करते हैं और किसी को छोड़ देते हैं। 

ऐसे में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने फरवरी में दिशानिर्देश जारी किया था और भारत के अंदर पूरी व्यवस्था खड़ी करने को कहा था। फिलहाल इन कंपनियों ने भारत में कोई नोडल अफसर तक नहीं नियुक्त किया है। इनका कोई ऐसा काल सेंटर नहीं है जहां शिकायत की जा सके। आश्चर्य की बात है कि 26 मई को तीन महीने पूरे हो जाएंगे, लेकिन भारतीय सोशल मीडिया कंपनी कू को छोड़कर किसी ने भी नोडल आफिसर, ग्रीवांस आफिसर की नियुक्ति नहीं भी की है। बजाय इसके उनमें से अधिकतर का कहना है अमेरिका स्थित हेडक्वार्टर से उन्हें अभी कोई निर्देश नहीं मिला है।

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