मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हर जगह दिल्ली शिक्षा मॉडल की डफली बजाते फिरते हैं। उनके डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव और उन्नति के दावे करने का कोई मौका नहीं चूकते हैं। लेकिन उनके इस शिक्षा मॉडल की पोल खुलती जा रही है। केजरीवाल के ‘रेवड़ी कल्चर’ ने दिल्ली सरकार का खजाना खाली कर दिया है। इसकी वजह से कॉलेज अध्यापकों को वेतन देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय के महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापकों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है। उनके सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई। केजरीवाल सरकार की बेरुखी ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। इससे परेशान होकर अध्यापक सड़क पर जूते पॉलिश कर अपना विरोध जता रहे हैं। इसमें बड़ी संख्या में छात्र भी अध्यापकों का साथ दे रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के महाराजा अग्रसेन कॉलेज में पिछले 4 माह से वेतन नहीं मिलने के विरोध में कॉलेज शिक्षकों ने जूता पॉलिस कर जताया विरोध।@UnivofDelhi @DU_Teacher #protest pic.twitter.com/Hgxu6CkGks
— Abhinaw Upadhyay (@abhiter) January 27, 2023
केजरीवाल के राज में अध्यापक जूता पॉलिस करने के लिए मजबूर
दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत आने वाले 12 कॉलेजों में से एक महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापक आज सड़क पर है। कॉलेज के प्रोफेसरों ने कॉलेज के बाहर ही दिल्ली सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने और अपनी बदहाली पर ध्यान आकर्षित करने के लिए लोगों के जूते पॉलिश कर रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा इस कॉलजे का शत-प्रतिशत वित्तपोषण किया जाता है। लेकिन सरकार का खजाना खाली होने से कॉलेज के शिक्षकों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
स्कूल फीस,लोन की किश्तों का भुगतान और बीमारी का इलाज हुआ मुश्किल
प्रोफेसर पीके शर्मा के मुताबिक महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापकों और कर्मचारियों को चार महीनों से वेतन नहीं मिला है। वेतन न मिलने की स्थिति में कर्मचारी और अध्यापक अपने बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, ये अपने लोन के भुगतान की किश्तें भी नहीं दे पाए हैं। अध्यापकों का आरोप है कि पिछले तीन सालों से इन कॉलेजों को मिलने वाले अनुदान में कमी की गई है और इनका समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। बीमारी और कई के परिवार में किसी मृत्यु की स्थिति में उधार मांगकर क्रिया-कर्म निपटाने जैसे मामले भी सामने आए हैं।
स्थायी समाधान तक आर-पार की लड़ाई के मूड में अध्यापक
दिल्ली सरकार बेरुखी और आर्थिक तंगी से परेशान होकर अध्यापकों ने आंदोलन करने का फैसला लिया ताकि सरकार कुछ ठोस कदम उठाए। अब अध्यापक आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी बातों पर ध्यान नहीं देती है और स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक नए नए तरीकों से आंदोलन जारी रहेगा। अध्यापकों ने हर महीने वेतन का नियमित भुगतान संतोषजनक तरीके से करने की मांग की है।
जूता पॉलिश कर प्रोफेसरों ने दर्ज कराया विरोध..
नियमित वेतन ना मिलने के कारण राज्य सरकार के ख़िलाफ़ रोष..#Delhi के महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापकों का प्रदर्शन..#delhiuniversity pic.twitter.com/v6g4DoHlkZ
— आदित्य RSBD (@AdityaRsbd) January 27, 2023
कॉलेज के अध्यापकों के आरोप
- महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापकों को चार महीने से वेतन नहीं मिल रहा है।
- तदर्थ शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के एरियर भी अभी तक नहीं मिले हैं।
- पिछले तीन सालों से शिक्षकों को चिकित्सा बिलों का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
- एलटीसी सुविधा का भुगतान और बाल शिक्षा भत्ता भी नहीं मिल रहा है।
दिल्ली शिक्षा मॉडल में भुखमरी के कगार पर पहुंचे कॉलेज अध्यापक
सम्मानजनक पेशे से जुड़े अध्यापक खुद को एकदम बेबस और अपमानित महसूस कर रहे हैं और मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। इससे परेशान अध्यापकों ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर भी हमला बोला है। शिक्षकों का आरोप है कि शिक्षा क्षेत्र में बढ़-चढ़कर बखान करने वाली दिल्ली सरकार ने उन्हें भुखमरी के कगार पर ला दिया है। दिल्ली सरकार को बजट की समस्या से हो रही है जिसकी वजह से उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है। सरकार सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन दे रही है।
“Our cars are being towed because we can’t pay our bills on time” “will be forced to sweep the streets if this continues” says a professor at Maharaja Agrasen College, Delhi University. #MACPROTEST #PROFESSORSPROTEST #DELHIUNIVERSITY pic.twitter.com/xplHZTFRMT
— Roome Mishra (@RoomeMishra) January 27, 2023
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शिक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके कार्यों पर एक नजर-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली शिक्षा मॉडल को देश में सबसे बेस्ट बताते हैं। गुजरात चुनाव के दौरान उन्होंने अपने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के लिए यहां तक कह दिया कि शिक्षा के क्षेत्र में उनके काम के लिए उनको भारत रत्न मिलना चाहिए। अब वही केजरीवाल फिनलैंड के शिक्षा मॉडल का अध्ययन करने के लिए टीम वहां भेजना चाहते हैं। यहां यह सवाल उठता है कि अगर दिल्ली का शिक्षा मॉडल बेस्ट है तो दिल्ली को फिनलैंड जाने की क्या जरूरत है फिर तो फिनलैंड को दिल्ली आकर अध्ययन करना चाहिए। आश्चर्य की बात यह है कि फिनलैंड की टीम खुद पिछले साल केरल शिक्षा मॉडल का अध्ययन करने भारत आई थी। सवाल यहां फिर उठता है कि है कि फिनलैंड की टीम जब शिक्षा मॉडल का अध्ययन करने भारत आई तो दिल्ली क्यों नहीं आई। दिल्ली के उपराज्यपाल ने जब फिनलैंड जाने की मंजूरी नहीं दी तो केजरीवाल अराजक हो गए।
Voww this is intresting
Last year Finland team visited Kerala to learn Kerala education model n to implement in Finland
Now Kejriwal team will visit to Finland to learn those things that Finland learnt from Kerala
Dal mai kala nahi, ab toh puri Dal hi kali hai@LtGovDelhi pic.twitter.com/RXaIgR44d0
— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) January 17, 2023
फिनलैंड ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत करने के लिए विशेषज्ञ नियुक्त किया
फिनलैंड ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत करने के लिए दिल्ली में एक फिनिश शिक्षा विशेषज्ञ की प्रतिनियुक्ति की है। फिनलैंड में शिक्षा विभाग के राज्य सचिव डैन कोइवलासो ने कहा कि भारत को शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने वाले प्रमुख देशों में से एक के रूप में देखा जाता है। नोबेल पीस सेंटर के कार्यकारी निदेशक जेर्स्टी फ्लगस्टैड ने कहा कि विश्व शांति बैठक आयोजित करने के सरकार के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
13 प्लॉट दिए @ArvindKejriwal सत्कार को DDA ने लेकिन एक भी प्लॉट पर स्कूल नहीं बना
नीयत ही नही थी..नीयत तो शराब के ठेके खोलने की थी। निकम्मी सरकार! https://t.co/ufYbkyUEOt
— Modi Bharosa (@ModiBharosa) January 15, 2023
डीडीए ने 13 जगह भूमि आवंटित की, एक पर भी स्कूल नहीं बना
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने पिछले 8 वर्षों में शहर में स्कूलों के निर्माण के लिए दिल्ली सरकार को 13 जगह भूमि आवंटित की, लेकिन अब तक इन पर एक भी स्कूल नहीं बनाया गया। जानकारी के अनुसार, उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने हाल ही में एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकृष्ट किया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 1,600 और 8,000 वर्ग मीटर के बीच के 13 भूखंडों को डीडीए द्वारा दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को आवंटित किया गया था। वर्ष 2015 और अगस्त 2022 के बीच 13 भूखंड आवंटित किए गए। इन भूखंडों में सबसे छोटा, 1,600 वर्ग मीटर में फैला हुआ है, जो उत्तरी दिल्ली में शाही ईदगाह में स्थित है और सबसे बड़ा वसंत कुंज में 8,093.72 वर्ग मीटर है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सभी भूखंड वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के निर्माण के लिए आवंटित किए गए थे, लेकिन इनमें से एक भी काम शुरू नहीं हो पाया।
वर्ष 2015 में गीता कालोनी और वसंत कुंज में आवंटित किए गए थे दो प्लाट
डीडीए ने पहला प्लॉट 3 जुलाई 2015 को गीता कॉलोनी में और दूसरा उसी साल 15 अक्टूबर को वसंत कुंज में आवंटित किया गया था। आने वाले वर्षों में दो और भूखंड आवंटित किए गए – एक 18 दिसंबर, 2018 को शाही ईदगाह में और 3 मार्च, 2021 को रोहिणी में। इसके अलावा शालीमार बाग, रोहिणी और नरेला जैसे क्षेत्रों में भूमि आवंटित किए गए थे। वर्ष 2022 की बात करें तो जनवरी 2022 में एक भूखंड आवंटित किया गया था, जबकि दो फरवरी में सौंपे गए थे वहीं अगस्त के महीने में छह भूमि आवंटित किए गए। अधिकारी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों या उनके आसपास के क्षेत्रों में भूखंड आवंटित करने का उद्देश्य वहां शिक्षा को बढ़ावा देना सुनिश्चित करना था। उपराज्यपाल ने 13 जनवरी 2023 को बैठक के दौरान मुख्यमंत्री के समक्ष यह मुद्दा उठाया था।
मुबारक हो @ArvindKejriwal !
दिल्ली की @AamAadmiParty सरकार Guinness World Records में शामिल
विश्व की सबसे ज्यादा घोटाले करने वाली पार्टी बनी 👏👏
अब 'Ghost Teachers' के नाम पर पैसो का गबन.
ये है केजरी का World Class Education Model pic.twitter.com/Uz5iufjSD0
— Modi Bharosa (@ModiBharosa) September 22, 2022
दिल्ली में 25 हजार गेस्ट टीचर की नियुक्ति में बड़ा घोटाला, शिक्षकों के स्कूल में नाम नहीं फिर भी सैलरी बांटी गई
दिल्ली में 25 हजार गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति प्रक्रिया पर अब सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में किए गए एक ऑडिट में हेराफेरी का मामला सामने आया है। इसमें पाया गया कि दिल्ली के मानसरोवर पार्क के सीनियर सेकेंडरी स्कूल (GBSSS-I) में गेस्ट टीचर्स के नाम पर तीन लोगों को 4 लाख 21 हजार रुपए सैलरी दी गई, जबकि इनकी नियुक्ति इस स्कूल में थी ही नहीं। सक्सेना ने पैसे के गबन के मामले में पिछले हफ्ते ही दिल्ली सरकार के एक स्कूल के चार वाइस प्रिंसिपल के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) कर रही है।
भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ा शहीद भगत सिंह सैनिक स्कूल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 27 अगस्त, 2022 को दिल्ली के झरोदा कलां में शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी स्कूल का उद्घाटन किया। यह दिल्ली का पहला सैनिक स्कूल है। लेकिन इस स्कूल के खुलने की पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है। केजरीवाल सरकार ने अपनी ही आम आदमी पार्टी की नेता श्रीशा राव को कंपनी खुलवाकर ठेका दे दिया। हैरानी की बात यह है कि अभी कंपनी के खुले हुए दो महीने भी नहीं हुए थे और कंपनी के पास सैनिक स्कूल के प्रबंधन का कोई अनुभव भी नहीं था, फिर भी दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की मेहरबानी से सरकारी खजाने को लूटने का ठेका मिल गया।
शिक्षा के नाम पर AAP का ₹2000 करोड़ का घोटाला, जिन 34 ठेकेदारों को टेंडर दिए गए, उनमें उनके रिश्तेदार शामिल
#KejriwalExposed pic.twitter.com/4qOMCHiQk5— Ram kumar rana (@Ram36597087) February 24, 2022
आम आदमी पार्टी का 2000 करोड़ का शिक्षा घोटाला, आरटीआई से हुआ खुलासा
कुछ समय पहले दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया का एक घोटाला सामने आया था। ये घोटाला स्कूलों के निर्माण से जुड़ा है। दरअसल एक आरटीआई में ये खुलासा हुआ है कि एक स्कूल का कमरा 24,85,323 रुपए में बनाया गया है। आरटीआई से पता चला है कि 312 कमरे 77,54,21,000 रुपये में और 12748 कमरे 2892.65 करोड़ रुपये में बनाए गए हैं। लोग केजरीवाल और सिसोदिया से ये सवाल पूछ रहे हैं कि एक कमरे की लागत में 24 लाख रुपये कैसे हो सकती है। क्या केजरीवाल जी ने कमरे में सोने की टाइल्स लगवाईं हैं?
गजब बेशर्मी लेकर घूम रहे हो @ArvindKejriwal
जी, थोड़ी तो शर्म कर लेते…!आखिर बच्चे कैसे "खूब पढ़ेंगे और खूब बढ़ेंगे" बोलिए जवाब दीजिए..!
जब दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के 84% पद और टीचर के 33% पद खाली हैं।
यही है तुम्हारा "गोलमाल शिक्षा मॉडल"..! pic.twitter.com/rBAf5DiOp6
— Lalan Kumar (@LalanKumarINC) September 21, 2022
दिल्ली के अधिकांश सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल ही नहीं, 84 प्रतिशत पद खाली
देश की राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल, वाइस-प्रिंसिपल और शिक्षकों के ढेरों पद खाली हैं। इससे दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के अधिकतर स्कूल कई सालों से बिना प्रिंसिपल के ही चल रहे हैं। स्वयं दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DoE) की तरफ से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, शहर के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के 84 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए प्रिंसिपल के कुल 950 पद स्वीकृत हैं जिसमें से अब तक केवल 154 ही भरे गए हैं, जबकि 796 पद खाली हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ज्यादातर स्कूल को वाइस-प्रिंसिपल चला रहे हैं। हालांकि, इन स्कूलों में वाइस-प्रिंसिपल की भी भारी कमी है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में वाइस-प्रिंसिपल के कुल 1,670 पद हैं और इनमें से 565 पद अभी भी खाली हैं।
दिल्ली के स्कूलों में शिक्षकों के 33 प्रतिशत पद खाली
शिक्षकों को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 65,979 पदों में से सिर्फ 21,910 को ही भरा जा सका। यानी की इन स्कूलों में अभी भी शिक्षकों के लगभग 33 प्रतिशत पद खाली हैं। दिल्ली सरकार ने इन रिक्तियों के कारण आए अंतर को 20,408 अतिथि शिक्षकों से जरूर भरा है, लेकिन इसके बाद भी इन स्कूलों में अभी 1,502 शिक्षकों की कमी है।
दिल्ली के वर्ल्ड क्लास स्कूल में टीचर ही नही आते हैं @ArvindKejriwal जी? देखिए बच्चों ने बताई सच्चाई.pic.twitter.com/FOxJ5tc1UW
— Rahul Kumar Valmiki (@irahulvalmiki) September 19, 2022
दिल्ली के स्कूलों में TGT के 13,421 और PGT के 3,838 पद खाली
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में ट्रेन्ड ग्रेजुएट टीचर्स (TGT) के कुल 33,761 पदों में से 13,421 खाली हैं, जबकि 20,340 पद भरे जा चुके हैं। वहीं पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (PGT) की अगर बात करें तो कुल 17,714 पदों में से 13,886 पद भरे गये हैं और 3,838 पद अभी भी खाली हैं। बता दें कि TGT पास शिक्षक कक्षा 10 तक के छात्रों को पढ़ाते हैं, जबकि PGT पास शिक्षक कक्षा 12 तक के छात्रों को पढ़ाते हैं।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में गिरता रिजल्ट केजरीवाल के वर्ल्ड क्लास शिक्षा मॉडल की खोल रहा पोल@ArvindKejriwal pic.twitter.com/CzkVFrvI6g
— Angry Yogi (@angryyogiji) July 23, 2022
केजरीवाल-सिसोदिया के शिक्षा मॉडल की खुली पोल: दसवीं की टॉप 10 रैंकिंग से दिल्ली बाहर
दिल्ली में सरकारी स्कूलों के दसवीं का रिजल्ट 81.27 प्रतिशत रहा है, जो देश के ओवरऑल 94.40 प्रतिशत से काफी कम है। दिल्ली ना सिर्फ रिजल्ट बल्कि रैंकिंग के मामले में काफी नीचे आ गई है। दसवीं की रैंकिंग में दिल्ली टॉप 10 से बाहर हो गई है। दिल्ली को 15वें नंबर से संतोष करना पड़ा है। नोएडा और पटना रैंकिंग में दिल्ली से आगे हैं। इतना ही नहीं इस बार दिल्ली 10वीं और 12 वीं दोनों की रैंकिंग में टॉप तीन से बाहर है। ये है केजरीवाल के शिक्षा का दिल्ली मॉडल।
केजरीवाल की कारस्तानी, स्कूली बच्चों से मांगी माता-पिता के मोबाइल नंबर और वोटर आईडी की जानकारी
दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्लीवासियों की सुविधाओं से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें सिर्फ अपनी राजनीति की ही फिक्र है। अपना वोटबैंक बढ़ाने के लिए केजरीवाल कुछ भी करने पर आमादा हैं। कुछ दिन पहले ही केजरीवाल की सरकार ने ऐसा कारनामा किया, जिसके बारे में कभी कोई सोच भी नहीं सकता। केजरीवाल ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए स्कूली बच्चों को भी मोहरा बना दिया। मुख्यमंत्री केजरीवाल के निर्देश पर दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों को अजीबोगरीब फरमान जारी किया था। इस फरमान के मुताबिक स्कूली बच्चों से उनके माता-पिता और दूसरे परिजनों की मोबाइल नंबर और वोटर आईडी की जानकारी मांगी गई थी।
स्कूल में एडमिशन नहीं, भेज दिया बधाई पत्र
दिल्ली के स्कूलों में इडब्ल्यूएस कोटे के तहत बच्चों का नामांकन कराना आसान नहीं है। नामांकन कोटे के तहत एडमिशन का श्रेय दिल्ली सरकार खुद को दे रही है। मुख्यमंत्री का दावा है कि उनके कारण स्कूलों में इडब्ल्यूएस कोटे के तहत गरीब परिवार के बच्चों का एडमिशन हो रहा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार एक चार साल की बच्ची को दाखिला के लिए अरविंद केजरीवाल का बधाई पत्र मिला है। आमतौर पर मुख्यमंत्री का बधाई संदेश आता है तो पूरा परिवार हर्ष और उल्लास से भर जाता है, लेकिन यह परिवार गुस्से में है। अंजलि चार साल की है। उसके पिता ने काफी दौड़-भाग की, लेकिन स्कूल वालों ने नाम वेटिंग लिस्ट में डाल दिया। अब जले पर नमक छिड़कने के लिए अरविंद केजरीवाल का बधाई पत्र आ गया।
Arvind Kejriwal continues to lie to the people of Delhi, pull wool over their eyes.
Today, he appointed a Bollywood celebrity as brand ambassador of Desh ke Mentor, a still to be launched program.
Did the CM tell him that he hasn’t allotted land for 7 JNVs in Delhi since 2016-17? pic.twitter.com/j8rmCZlZtC— Amit Malviya (@amitmalviya) August 27, 2021
7 जवाहर नवोदय विद्यालयों के लिए नहीं दी जमीन, पांच सालों से अटका हुआ है निर्माण कार्य
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने केजरीवाल पर दिल्ली के लोगों के आंखों में धूल झोंकने का आरोप लगया। उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल सरकार ने जवाहर नवोदय विद्यालयों के लिए जमीन आवंटन का मामला चार सालों से लटका रखा है। मालवीय ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया। उन्होंने कहा, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लोगों से झूठ बोलते रहते हैं, उनकी आंखों में धूल झोंकते रहते हैं। आज उन्होंने एक बॉलीवुड सेलिब्रिटी को ‘देश के मेंटर’ प्रोग्राम का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया। इस अभियान को अभी लॉन्च किया जाना है। क्या सीएम ने उन्हें बताया कि उन्होंने 2016-17 से दिल्ली में 7 जेएनवी के लिए जमीन आवंटित नहीं की है? केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से मनोज तिवारी को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए मालवीय ने यह ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि 2016-17 के दौरान देशभर में 62 नए जवाहर नवोदय विद्यायल स्वीकृत किए गए थे। इनमें से 7 नए नवोदय विद्यालय दिल्ली के तहत स्वीकृत किए गए थे। हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से इन नवोदय विद्यालयों की स्थापना के लिए जरूरी भूमि और स्थायी आवास उपलब्ध न कराए जाने से ये विद्यालय शुरू नहीं हो पाए। इससे पता चलता है कि केजरीवाल सरकार शिक्षा को लेकर कितना संजीदा है।फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में दो जवाहर नवोदय विद्यालय चल रहे हैं।
आज शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति की शुरुआत हो रही है। आज देश का पहला वर्चुअल स्कूल दिल्ली में शुरू। https://t.co/PIms2geisB
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 31, 2022
पकड़ा गया केजरीवाल का झूठ, दिल्ली सरकार ने नहीं शुरू किया देश का पहला वर्चुअल स्कूल
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 31 अगस्त, 2022 को ट्वीट कर कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति की शुरुआत हो रही है। आज देश का पहला वर्चुअल स्कूल दिल्ली में शुरू। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आगे कहा कि हमें बाबा साहब का सपना पूरा करना है, देश के हर बच्चे तक अच्छी शिक्षा पहुंचानी है, दिल्ली के डिजिटल स्कूल में नौवीं क्लास के लिए एडमिशन शुरू हो गए हैं। इस वेबसाइट DMVS.ac.in पर जाकर बच्चे एडमिशन ले सकते हैं। जब अरविंद केजरीवाल के इस दावे की पड़ताल की गई, तो यह पूरी तरह से झूठा नकला। दरअसल दिल्ली में खोला गया वर्चुअल स्कूल देश का पहला वर्चुअल स्कूल नहीं है। सबसे पहले 2020 में बीजेपी शासित राज्य उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में देश के पहले वर्चुअल स्कूल की शुरुआत की थी। इस स्कूल के जरिये भारतीय ज्ञान परंपरा, वैदिक गणित, विज्ञान, भारतीय शास्त्रीय संगीत, संस्कृति, कला और परंपराओं की शिक्षा दी जा रही है। वर्चुअल होम स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम में अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों के लोग वर्चुअली जुड़े हुए थे।
3-9 वर्ष के 7.5 करोड़ छात्रों को पढ़ने, लिखने और अंकगणित में निपुण बनाने के लिए ई संसाधन हों या शिक्षक और शिक्षार्थी की दूरी को कम करने तथा छात्रों का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने कि दिशा में शुरू हुए वर्चूअल स्कूल यह सब मोदी सरकार की शिक्षा की ओर प्रतिबद्धता को दृष्टिगत करता है। pic.twitter.com/42TEso0lFl
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) August 24, 2021
केजरीवाल सरकार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती VIDEO
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया लगातार दावा कर रहे हैं कि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को सुधार दिया है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। दिल्ली में 1100 से ज्यादा स्कूल हैं लेकिन ज्यादातर स्कूलों की हालत खराब है। अरविद केजरीवाल ने अपने मैनिफेस्टो में दावा किया था कि वे 500 नये और 20 नये कॉलेज खोलेंगे लेकिन पांच साल खत्म होने के बाद भी आज तक एक भी न तो स्कूल और न ही एक भी कॉलेज खोला जा सका है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षको की भारी कमी है। गेस्ट टीचर्स की मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। केजरीवाल सरकार के दावों और हकीकत को आप इस वीडियो के जरिए समझ सकते हैं।