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दिल्ली ब्लास्ट पर राजनीति बनाम तथ्य: सुरक्षा एजेंसियों की 8 बड़ी सफलताएं, जिसे विपक्ष कर रहा नजरअंदाज

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राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर 2025 को हुए धमाके से देश स्तब्ध है। इस विस्फोट में 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक घायल हुए। इस एक विस्फोट ने जहां देश की तमाम बड़ी सुरक्षा एजेंसियों को तत्काल कार्रवाई के लिए प्रेरित किया, वहीं विपक्षी दलों ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर तुच्छ राजनीति शुरू कर दी है। दिल्ली ब्लास्ट पर विपक्ष की तुच्छ राजनीति के बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारी मन और गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए राष्ट्र को आश्वस्त किया। उन्होंने साफ किया कि यह घटना पूरे राष्ट्र को झकझोरने वाली है, लेकिन सरकार और एजेंसियां पूरी रात जांच में लगी रहीं। सूचनाएं खंगाली जा रही हैं और हर पहलू की तह तक जाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने साफ किया कि हमारी एजेंसियां इस षड्यंत्र की तह तक जाएगी। इसके पीछे के षड्यंत्रकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। सभी दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।

विस्फोट के तुरंत बाद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने वहां मौजूद दिल्ली पुलिस कमिश्नर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से स्थिति की जानकारी ली। अमित शाह खुद पल-पल की जानकारी प्रधानमंत्री मोदी को देते रहे। गृह मंत्री ने कहा कि हर दृष्टि से मामले की गहन जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि घटना की सूचना मिलते ही दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच, एनआईए,एनएसजी, एफएसएल की टीमें मौके पर पहुंच गईं और धमाके के कारण का पता लगा लगा रही हैं। अमित शाह ने जोर देकर कहा कि कि सभी संभावित कोणों से जांच चल रही है और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी।

मोदी सरकार की नीति और सुरक्षा परिदृश्य में बदलाव
यह ध्यान रखने की बात है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कह दिया कि साजिशकर्ता को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उसे सख्त सजा दी जाएगी, तो आप ये तय मान कर चलिए कि इस मामले में कोई भी गुनहगार नहीं बचेगा। क्योंकि साल 2014 में सरकार बदलने के बाद देश की आंतरिक सुरक्षा नीति में मूलभूत बदलाव आया है। कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान देश में अक्सर आतंकी घटनाएं और विस्फोट होते रहते थे, लेकिन मोदी सरकार ने ‘आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस’ की नीति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इस नीति के कारण आतंकी घटनाओं पर लगाम लगी हैं। आतंकियों को चुन-चुनकर मारा जा रहा है और आतंक के पनाहगारों को नष्ट किया जा रहा है, जिससे देश के नागरिक आमतौर पर अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं। और इस धमाके के बाद मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि दिल्ली ब्लास्ट के पीछे जो भी हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

आपके लिए यह जानना जरूरी है कि साल 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद, देश में और विशेष रूप से दिल्ली में अक्सर होने वाली आतंकी घटनाएं लगभग नहीं के बराबर हुई हैं। इसके बावजूद, विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने घटना के तुरंत बाद खुफिया विफलता का आरोप लगा सरकार को घेरने की कोशिश की है। अगर आप ध्यान देंगे तो मानेंगे कि विपक्षी पार्टियों की यह आलोचना पूरी तरह से तथ्यहीन है, क्योंकि पिछले एक महीने में ही भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने आठ से अधिक बड़े आतंकी षड्यंत्रों को सफलतापूर्वक विफल किया है। विपक्ष इन सफलताओं को नजरअंदाज कर, राष्ट्रीय सुरक्षा के गंभीर मसले पर राजनीति करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि दिल्ली ब्लास्ट के पीछे जो भी हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

पिछले एक महीने में विफल हुए 8 प्रमुख षड्यंत्र
मोदी राज में गृह मंत्रालय, राज्य पुलिस, एटीएस और स्पेशल सेल की इकाइयों के उत्कृष्ट समन्वय का यह सबूत है कि पिछले कुछ हफ्तों में कई आतंकी साजिश विफल किए गए हैं-

1. भारी विस्फोटक बरामद (10 नवंबर):
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस ने फरीदाबाद में लगभग 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया और JeM/अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े प्रोफेसर व डॉक्टर को गिरफ्तार किया।

2. रिसिन प्लॉट विफल (9 नवंबर):
गुजरात एटीएस और यूपी पुलिस ने ISIS-खुरासान प्लॉट को नाकाम किया। हैदराबाद के एक डॉक्टर सहित तीन लोगों को घातक जहर रिसिन बनाने के रसायनों और पाकिस्तान से ड्रोन-ड्रॉप हथियारों के साथ पकड़ा गया।

3. TTP कनेक्शन (7 नवंबर):
राजस्थान एटीएस ने जालौर में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से जुड़े एक मौलवी को गिरफ्तार किया, जो कट्टरपंथी उपदेश और फंडिंग में शामिल था।

4. अल-कायदा की भर्ती (28 अक्टूबर):
महाराष्ट्र एटीएस ने पुणे में अल-कायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट से जुड़े एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को गिरफ्तार किया और ऑनलाइन भर्ती के डिजिटल सबूत जब्त किए।

5. आत्मघाती मॉड्यूल ध्वस्त (24 अक्टूबर):
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने ISIS-प्रेरित ऑनलाइन मॉड्यूल को नष्ट किया, जो आत्मघाती हमलों के लिए प्रशिक्षण दे रहा था, और हथियार जुटाने से पहले दो को गिरफ्तार किया।

6. सीमा-पार नेटवर्क (15 अक्टूबर):
पंजाब पुलिस ने एक ड्रोन-आधारित हथियार और मादक पदार्थों के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया और 10 पिस्तौल व अफीम जब्त की।

7. JeM फंडिंग (13 अक्टूबर):
आंध्र प्रदेश, यूपी और महाराष्ट्र पुलिस ने संयुक्त रूप से जैश-ए-मोहम्मद के कट्टरता और फंडिंग नेटवर्क का खुलासा किया और ऑनलाइन भर्ती चला रहे दो गुर्गों को गिरफ्तार किया।

8. IED बरामदगी (9 अक्टूबर):
पंजाब पुलिस ने आईएसआई-समर्थित बब्बर खालसा इंटरनेशनल प्लॉट को विफल करते हुए, एक बड़े हमले के लिए इरादा 2.5 किलोग्राम का एक आईईडी बरामद किया।

ये सफल ऑपरेशन दिखाते हैं कि हमारी एजेंसियां कितनी सतर्क और सक्रिय हैं। सत्ता पक्ष का आरोप है कि विपक्ष जानबूझकर इन सफलताओं को दरकिनार कर रहा है। ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अडिग सरकार का साफ संदेश है कि सुरक्षा के गंभीर राष्ट्रीय मसले पर राजनीति करने के बजाय, विपक्ष को एजेंसियों का समर्थन करना चाहिए।

मोदी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति ने आतंकवाद पर बेहतरीन काम किया है, जिसमें गृह मंत्रालय, राज्य पुलिस, एटीएस, स्पेशल सेल सहित कई एजेंसियों के बीच समन्वय मुख्य भूमिका निभा रहा है। इस नीति का नतीजा है कि आतंकी संगठन अब खुलकर हमलावर नहीं हो पा रहे और सुरक्षा एजेंसाएं समय रहते ही खतरनाक योजनाओं को नाकाम कर रही हैं। जबकि यूपीए शासनकाल में 2004 से 2014 तक देश के प्रमुख शहरों में अक्सर आतंकी हमले होते रहते थे।

आइए एक नजर डालते हैं यूपीए शासनकाल में 2004 से 2014 के बीच हुए प्रमुख आतंकी हमलों पर-

1. 2005 – दिल्ली सीरियल बम धमाके
अक्टूबर 2005 में दिवाली से ठीक पहले, दिल्ली के सरोजिनी नगर, पहाड़गंज, गोविंदपुरी जैसे व्यस्त बाजारों में एक साथ हुए सीरियल ब्लास्ट में 60 से अधिक नागरिक मारे गए और 200 से अधिक घायल हुए।

2. 2006 – वाराणसी और मुंबई पर हमला
मार्च 2006 में वाराणसी के संकट मोचन मंदिर और रेलवे स्टेशन पर हुए धमाकों में 28 से अधिक लोग मारे गए। इसके बाद जुलाई 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में 7 स्थानों पर सीरियल बम धमाके हुए, जिसमें अकेले 209 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए थे।

3. 2007 – हैदराबाद डबल ब्लास्ट
अगस्त 2007 में हैदराबाद के लुम्बिनी पार्क और गोकुल चाट भंडार में एक के बाद एक दोहरा बम धमाका हुआ। इन हमलों में 42 लोग मारे गए और 50 से अधिक घायल हुए थे।

4. 2008 – जयपुर सीरियल ब्लास्ट
मई 2008 में जयपुर के व्यस्त बाजारों में एक के बाद एक 9 बम धमाके किए गए। इस हमले में 80 से अधिक नागरिक मारे गए और 170 से अधिक घायल हुए थे।

5. 2008 – 26/11 मुंबई हमला
नवंबर 2008 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने ताज महल पैलेस होटल, सीएसएमटी, ओबेरॉय ट्राइडेंट जैसे प्रमुख स्थानों को निशाना बनाया। यह भारत के इतिहास का सबसे भीषण हमला था, जिसमें 166 लोग मारे गए थे।

6. 2010 – पुणे जर्मन बेकरी धमाका
फरवरी 2010 में पुणे की जर्मन बेकरी में शक्तिशाली बम विस्फोट हुआ, जिसका आरोप इंडियन मुजाहिदीन (IM) पर लगा था। इस हमले में 17 लोग मारे गए और 60 से अधिक घायल हुए थे।

7. 2011 – दिल्ली हाई कोर्ट धमाका
सितंबर 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट के गेट नंबर 5 के बाहर बम धमाका हुआ। इस हमले में 13 लोग मारे गए और 70 से अधिक घायल हुए।

8. 2013 – हैदराबाद दिलसुखनगर ब्लास्ट
फरवरी 2013 में हैदराबाद के दिलसुखनगर इलाके में दो साइकिलों पर रखे गए बमों में विस्फोट हुआ। इस हमले में 18 लोग मारे गए और 130 से अधिक घायल हुए थे।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि खुद यूपीए काल के पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया था कि मुंबई हमलों के बाद आतंकियों पर जवाबी सैन्य कार्रवाई करने से उन्हें रोक दिया गया था। विपक्ष की यह स्वीकारोक्ति उनके कार्यकाल की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी को दर्शाती है। उस समय की माफी वाली राजनीति को अब हमारी ‘जीरो टॉलरेंस’ और निर्णायक कार्रवाई की नीति से तुलना करना विपक्ष का सबसे बड़ा पाखंड है।

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