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आग की लपटें पुस्तकें जला सकती हैं, ज्ञान नहीं- नालंदा में प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 19 जून को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्धघाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि नालंदा, ये केवल एक नाम नहीं है। नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है। नालंदा उद्घोष है इस सत्य का कि आग की लपटों में पुस्तकें भलें जल जाएं, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं। नालंदा के ध्वंस ने भारत को अंधकार से भर दिया था। अब इसकी पुनर्स्थापना भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत करने जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा। नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है। इसमें विश्व के, एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है। बिहार अपने गौरव को वापस लाने के लिए जिस तरह विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, नालंदा का ये कैंपस उसकी एक प्रेरणा है।

उन्होंने कहा कि नालंदा, कभी भारत की परंपरा और पहचान का जीवंत केंद्र हुआ करता था। प्राचीन नालंदा में बच्चों का एड्मिशन उनकी पहचान, उनकी राष्ट्रीयता को देखकर नहीं होता था। हर देश, हर वर्ग के युवा यहां आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए कैंपस में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से मजबूती देनी है। और मुझे ये देखकर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से यहां स्टूडेंट्स आने लगे हैं। यहां नालंदा में 20 से ज्यादा देशों के स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। ये वसुधैव कुटुंबकम की भावना का कितना सुंदर प्रतीक है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम प्रगति और पर्यावरण को एक साथ लेकर चले हैं। नालंदा यूनिवर्सिटी का ये कैंपस भी इसी भावना को आगे बढ़ाता है। ये देश का पहला ऐसा कैंपस है, जो Net Zero Energy, Net Zero Emissions, Net Zero Water, and Net Zero Waste मॉडल पर काम करेगा। अप्प दीपो भव: के मंत्र पर चलते हुए ये कैंपस पूरी मानवता को नया रास्ता दिखाएगा।

नालंदा में उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा किजब शिक्षा का विकास होता है, तो अर्थव्यवस्था और संस्कृति भी मजबूत होती है। अगर हम विकसित देशों को देखें, तो वे शैक्षिक नेता बनने के बाद आर्थिक और सांस्कृतिक नेता बन गए। आज, दुनिया भर के छात्र और प्रतिभाशाली लोग वहां अध्ययन करना चाहते हैं। एक समय था जब यहां नालंदा और विक्रमशिला जैसी जगहों पर ऐसी स्थिति थी। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि जब भारत शिक्षा में आगे था, तो उसकी आर्थिक क्षमता भी नई ऊंचाई पर थी। उन्होंने कहा कि मेरा मिशन है कि भारत दुनिया के लिए शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बने। मेरा मिशन है, भारत की पहचान फिर से दुनिया के सबसे Prominent Knowledge centre के रूप में हो। और इसके लिए भारत आज बहुत कम उम्र से ही अपने छात्रों को इनोवेशन की ऊर्जा से जोड़ रहा है।

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