प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड से देश के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए 201.58 करोड़ रुपये जारी किया है। इस रकम से देश भर में 162 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनेरेशन प्लांट्स लगाए जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस फैसले से जहां मरीजों को बड़ी राहत दी है, वहीं विपक्ष को करारा जवाब दिया है, जो बार-बार पीएम केयर्स फंड के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठा रहा था।
स्थापित किए जाने वाले 162 ऑक्सीजन प्लांट्स की क्षमता 154.19 मिट्रिक टन होगी। इन ऑक्सीजन प्लांट को 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लगाया जाएगा। 201 करोड़ रुपये में 137.33 करोड़ रुपये मशीनों की आपूर्ति, कमीशनिंग और सेंट्रल मेडिकल सप्लाई स्टोर का मैनेजमेंट शुल्क है। 64.25 करोड़ रुपये वार्षिक रखरखाव के लिए खर्च किया जाएगा।
ऑक्सीजन प्लांट को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से चयनित सरकारी अस्पतालों में लगाया जाएगा। इन प्लांट्स की वारंटी पहले तीन सालों की होगी। इसके बाद अगले सात सालों के लिए व्यापक वार्षिक रखरखाव भी शामिल है। इस तरह से 10 साल बाद अस्पताल या राज्य इन प्लांटों की देखभाल खुद करेंगे।
इन ऑक्सीजन प्लांट्स की स्थापना से सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की समस्या से निजात मिलेगी। देश के कई भागों से अक्सर ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत की खबरें आती रहती हैं। ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन की पर्याप्त और लगातार सप्लाई मरीजों के इलाज के लिए जरूरी है। पीएम केयर्स की इस व्यवस्था से अस्पतालों में लंबे समय तक के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई संभव हो सकेगी।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के काल में लोगों के स्वैच्छिक मदद के लिए पीएम केयर्स फंड की स्थापना की गई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसके चेयरपर्सन हैं। प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर इस फंड में आम आदमी के साथ-साथ देश के कॉरपोरेट घरानों ने बढ़-चढ़कर मदद की।
पीएम केयर्स फंड के जरिए कोरोना के खिलाफ जंग में राज्यों की काफी मदद की गई है। डालते हैं एक नजर-
मोदी सरकार ने पीएम केयर फंड से ही बिहार में दो कोविड हॉस्पिटल में सुविधाएं जुटाने के लिए धनराशि देने का फैसला किया। पीएमओ की तरफ से किए गए ट्वीट के मुातबिक बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर में 500 बेड के कोविड हॉस्पिटल को फंड देने का निर्णय किया गया।
PM-CARES Fund Trust has decided to allocate funds for fight against COVID-19 by way of establishment of 500-bed COVID-19 Makeshift Hospitals at Patna & Muzaffarpur, Bihar by DRDO. This will go a long way in improving COVID care in Bihar. pic.twitter.com/AAPEIDDcRc
— PMO India (@PMOIndia) August 24, 2020
पीएमओ ने ट्वीट कर लिखा है कि पीएम केयर्स फंड ट्रस्ट ने पटना और मुजफ्फरपुर में डीआरडीओ द्वारा निर्माणाधीन 500 बेड के कोविड अस्पतालों में फंड देने का फैसला किया है। इससे बिहार में कोविड केयर में सुधार आएगा।
The 500 bed hospital at Bihta, Patna will be inaugurated today and the 500 bed hospital at Muzaffarpur will be inaugurated very soon. pic.twitter.com/BUDD78qkje
— PMO India (@PMOIndia) August 24, 2020
पीएम केयर्स फंड से ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बने 50 हजार वेंटीलेटर्स
मोदी सरकार ने 13 मई, 2020 को 50 हजार वेंटीलेटर खरीदने और प्रवासी मजदूरों के लिए पीएम केयर्स फंड से 3100 करोड़ रुपये जारी किया। सीडीडीईटी की रिपोर्ट में इस बात का पता चला कि पीएम केयर्स फंड का पैसा कहां-कहां खर्च हुआ और इसे देश में कोरोना की लड़ाई के लिए किन संसाधनों में लगाया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम केयर्स फंड से देश में 50 हजार वेंटिलेटर्स तैयार किए गए है।
PM-CARES Fund Trust Allocates Rs. 3100 Crore for Fight against COVID-19. https://t.co/jMaY8ZTE7F
via NaMo App pic.twitter.com/fwlgJYVeRO
— PMO India (@PMOIndia) May 13, 2020
‘मेड इन इंडिया’ के तहत वेंटीलेटर्स का निर्माण
सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सरकारी अस्पतालों में ‘मेड इन इंडिया’ के तहत तैयार इन वेंटीलेटर्स के लिए पीएम केयर्स फंड से 2000 करोड़ रुपये खर्च किए गए। आइए देखते हैं मेक इन इंडिया के तहत कुल 50 हजार वेंटीलेटर्स का निर्माण किन-किन कंपनियों द्वारा किया गया-
50 हजार वेंटीलेटर्स का निर्माण
वेंटीलेटर्स निर्माता कंपनी | वेंटीलेटर्स की संख्या |
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड | 30,000 |
अग्वा हेल्थकेयर | 10,000 |
एएमटीजेड बेसिक | 5,650 |
एएमटिजेड हाई एंड | 4,000 |
एलायड मेडिकल | 350 |
प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए 1000 करोड़ रुपये
वहीं, प्रवासी मजदूरों के कल्याण से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। राज्यों को एक फॉर्मूले के तहत यह फंड दिया गया। इसमें सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को 2011 की जनसंख्या के लिए 50 प्रतिशत भार, पॉजिटिव कोविड-19 मामलों की संख्या के लिए 40 प्रतिशत भार और सभी को समान रूप से 10 प्रतिशत के फॉर्मूले के आधार पर कोष का वितरण किया गया। दस प्रतिशत हिस्सा हर राज्य को दिया गया, ताकि वहां न्यूनतम व्यवस्था रहे। इस फंड का उपयोग प्रवासी मजदूरों के आवास, भोजन, इलाज और परिवहन की व्यवस्था के लिए किया गया।
राज्यों में फंड का आवंटन
राज्य रकम (रुपये में)
महाराष्ट्र | 181 करोड़ |
उत्तर प्रदेश | 103 करोड़ |
तमिलनाडु | 83 करोड़ |
गुजरात | 66 करोड़ |
दिल्ली | 55 करोड़ |
पश्चिम बंगाल | 53 करोड़ |
बिहार | 51 करोड़ |
मध्य प्रदेश | 50 करोड़ |
राजस्थान | 50 करोड़ |
कर्नाटक | 34 करोड़ |