अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त को कहा था कि ये मेरा सौभाग्य है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुझे आमंत्रित किया। इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का अवसर दिया। आज पूरा भारत राममय है। पूरा देश भावुक, रोमांचित है और हर मन दीपमय है। पीएम मोदी एक बार फिर पूरे देश को ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में फैले राम भक्तों का सदियों का इंतजार खत्म कराकर उन्हें अपने आराध्य से मिलाने के पावन-पुनीत कार्य करने जा रहे हैं। उनके लोकसभा क्षेत्र काशी के प्रख्यात ज्योतिषियों द्वारा तय मुहूर्त के मुताबिक 22 जनवरी, 2024 को दिन में 11.30 से 12.30 बजे के बीच यजमान के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्राण- प्रतिष्ठा करेंगे। इसके साथ ही पांच सौ साल चल चला अतुलनीय संघर्ष प्रभु राम लला के भव्य और दिव्य मंदिर के रूप में साक्षात सामने होगा। श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का 22 जनवरी को सुबह 11.30 से मुहूर्त
करोड़ों लोगों को शायद ये विश्वास ही नहीं होगा कि उनके जीते-जी इस पावन दिन को साकार होते वे देख पा रहे हैं। लेकिन मोदी है तो मुमकिन है…को सार्थक करते हुए पीएम मोदी ने न सिर्फ राम मंदिर के संघर्ष में भाग लिया, मंदिर का भूमि पूजन किया और अब भव्य-दिव्य का शुभारंभ भी करने जा रहे हैं। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 22 जनवरी, सोमवार को प्राण- प्रतिष्ठा का मुहूर्त तय हो गया है। वाराणसी ज्योतिषियों द्वारा तय मुहूर्त के मुताबिक, दिन में 11.30 से 12.30 बजे के बीच यजमान के रूप में प्रधानमंत्री मोदी प्राण- प्रतिष्ठा करेंगे। श्रीरामलला की गर्भगृह में दो चल-अचल प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की जाएंगी
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तय किया है कि गर्भगृह में श्रीरामलला की दो प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की जाएंगी। इनमें एक स्थायी रूप से विराजमान होगी, जबकि दूसरी चल प्रतिमा होगी। चल प्रतिमा को विशेष अवसरों पर मंदिर से बाहर जनता के बीच ले जाया जा सकेगा। समारोह 16 जनवरी से शुरू होगा। 21 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह को साफ-सुथरा कर दोनों प्रतिमाओं का जलाभिषेक होगा। वाराणसी के पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि देश के 100 से अधिक वैदिक विद्वान प्राण-प्रतिष्ठा समारोह संपन्न कराएंगे।सदियों के संघर्ष का प्रतिफल है अयोध्या में भव्य-दिव्य राम मंदिर
अयोध्या में आज जो मंदिर तैयार हो रहा है यह सदियों के संघर्ष का प्रतिफल है। इसीलिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 500 सालों तक चले मंदिर आंदोलन की एक-एक कड़ी को सहेजते हुए डॉक्यूमेंट्री फिल्म (वृत्तचित्र) बनाने की योजना तैयार की है। इस फिल्म में मंदिर के लिए कब-कब संघर्ष हुए, क्या-क्या मुसीबतें आई सहित बलिदानियों की गाथा भी दर्शायी जाएगी। ट्रस्टी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कामेश्वर चौपाल का कहना है कि राममंदिर आंदोलन की गाथा को एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म (वृत्तचित्र) के जरिए सहेजा जाएगा। मंदिर आंदोलन के संघर्ष की जानकारी हर किसी को होनी चाहिए। खासकर युवा पीढ़ी को जरूर यह ज्ञात होना चाहिए कि अपनी अस्मिता व सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए कितना बड़ा संघर्ष हुआ है। राममंदिर के लिए 1528 से शुरू हुए संघर्ष का प्रतिफल 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचे के ध्वस्तीकरण के बाद आया। इस संघर्ष की सुखद परिणति 9 नवंबर 2019 को भी हुई, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर-मस्जिद विवाद में राममंदिर के हक में फैसला सुनाया। ट्रस्ट का मानना है कि राममंदिर निर्माण के लिए हुए विराट संघर्ष व लाखों बलिदान के बारे में युवा पीढ़ी को भी जानकारी होनी चाहिए।राम लला के मंदिर में गर्भ गृह के अलावा पांच मंडपों का काम तेज
अयोध्या में तीन मंजिला राम मंदिर के भूतल का काम अपने अंतिम चरण में है। अगले माह तक इसे पूरा करने के लिए सहायक संरचनाओं का काम जोरों पर जारी है। मंदिर के अधिकारियों की जानकारी के अनुसार, ‘‘राम मंदिर के भूतल के निर्माण कार्य की प्रगति की हाल में निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा सहित ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा समीक्षा की गई थी।’’ इसमें कहा गया है कि ‘लार्सन एंड टुब्रो’ और ‘टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स’ की इंजीनियरिंग टीमों और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रतिनिधियों ने निर्माण कार्य की समीक्षा में हिस्सा लिया। इसमें कहा गया है कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दैनिक आधार पर निर्माण कार्य की प्रगति की निगरानी की जाती है। गर्भगृह के अलावा, मंदिर में पांच मंडप – गुड मंडप, रंग मंडप, नृत्य मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप हैं। पांच मंडपों के गुंबद का आकार 34 फुट चौड़ा और 32 फुट लंबा और आंगन से ऊंचाई 69 फुट से 111 फुट तक हैअयोध्या में एयरपोर्ट भी राम मंदिर के मॉडल के तर्ज पर ही
मोदी सरकार दुनिया और देश के राम भक्तों को मंदिर के साथ एक और तोहफा देने जा रही है। दरअसल, अयोध्या के मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम एयरपोर्ट के रनवे का कार्य पूरा हो गया है। वहीं, टर्मिनल बिल्डिंग का 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। विमानन मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो इस भव्य एयरपोर्ट का काम दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के साथ-साथ अयोध्या से घरेलू उड़ानें शुरू हो सकती हैं। अयोध्या में बन रहे एयरपोर्ट को राम मंदिर के मॉडल के तर्ज पर बनाया जा रहा है। विमानन मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एयरपोर्ट के कुछ ट्रैक पर यह कार्य पूरा कर लिया गया है। टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण पूरा न होने के चलते अक्टूबर से विमानों का संचालन नहीं हो सकेगा। इसके लिए लोगों को दिसंबर तक इंतजार करना पड़ेगा। पहले तल का कार्य पूरा हो गया है। अयोध्या में अक्टूबर नवंबर तक विमानों के संचालन की आस लगाई जा रही थी, लेकिन टर्मिनल बिल्डिंग के निर्माण में देरी के चलते राम नगरी आने वाले यात्रियों को और इंतजार करना पड़ सकता है।राम मंदिर परिसर में संग्रहालय के लिए शीघ्र तैयार होगा प्रोजेक्ट
राम जन्मभूमि परिसर में एक संग्रहालय भी बनाया जाएगा। इस संग्रहालय में राम, रामायण व अयोध्या को लेकर अनसुनी जानकारियां होंगी। इसको लेकर एक उपसमिति बनाई गई है। जो परिसर में बनने वाले म्यूजियम को लेकर अपनी राय देगी। समिति राम से जुड़े तथ्य, साहित्य व पुरातत्व महत्व के अवशेषों पर काम करने वाले विद्वानों, इतिहासकार व लोगों को जोड़ेगी। रामकथा के मर्मज्ञ व अयोध्या के इतिहास के जानकारों से राय लेकर म्यूजियम के विस्तार के बारे में मंथन कर प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा। दूसरी ओर राममंदिर निर्माण के हर एक चरण की ट्रस्ट द्वारा पहले से ही वीडियोग्राफी कराई जा रही है। डॉक्यूमेंट्री फिल्म में मंदिर निर्माण के प्रत्येक पहलू का जिक्र किया जाएगा। फिल्म के निर्माण की जिम्मेदारी हैदराबाद तेलंगाना के निवासी विराट याज्ञिक को सौंपी गई है। इसकी मॉनीटरिंग ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि करेंगे। डॉक्यूमेंटी पर शीघ्र ही काम शुरू हो जाएगा।आइए देखते हैं प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की 20 बड़ी बातें-
1. कन्याकुमारी से क्षीर भवानी तक, कोटेश्वर से कामाख्या तक, जगन्नाथ से केदारनाथ तक, सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तक, सम्मेद शिखर से श्रवणबेलगोला तक, बोधगया से सारनाथ तक, अमृतसर से पटना साहिब तक, अंडमान से अजमेर तक, लक्षद्वीप से लेह तक, आज पूरा भारत राममय है।
2. सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज यह विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अपने जीते-जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं।
3. बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हो गई है।
4. राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक, कई-कई पीढ़ियों ने अखंड, अविरत, एकनिष्ठ प्रयास किए हैं। आज का यह दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।
5. राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था।
6. राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं। कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं।
7. राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
8. राम के सब काम हनुमान ही तो करते हैं। राम के आदर्शों की कलियुग में रक्षा करने की जिम्मेदारी भी हनुमान जी की ही है।
9. राम मंदिर के निर्माण की यह प्रक्रिया राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम है। यह महोत्सव है- विश्वास को विद्यमान से जोड़ने का, नर को नारायण से जोड़ने का, लोक को आस्था से जोड़ने का, वर्तमान को अतीत से जोड़ने का, और स्व को संस्कार से जोड़ने का।
10. आज के ये ऐतिहासिक पल युगों-युगों तक, दिग-दिगन्त तक भारत की कीर्ति पताका फहराते रहेंगे। आज का यह दिन करोड़ों रामभक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है। आज का यह दिन सत्य, अहिंसा, आस्था और बलिदान को न्यायप्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है।
11. जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर और केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को भगवान राम की विजय का माध्यम बनने का सौभाग्य मिला, उसी तरह आज देशभर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का यह पुण्य-कार्य प्रारंभ हुआ है।
12. श्रीराम के काम में मर्यादा का जैसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए, देश ने वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया था, जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
13. जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों। भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है, जिसमें प्रभु राम झलकते न हों। भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं। भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं।
14. अलग अलग रामायणों में, अलग अलग जगहों पर राम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे, लेकिन राम सब जगह हैं, राम सबके हैं। इसीलिए, राम भारत की ‘अनेकता में एकता’ के सूत्र हैं।
15. श्रीराम का चरित्र सबसे अधिक जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है, वो है सत्य पर अडिग रहना। इसीलिए श्रीराम संपूर्ण हैं। इसलिए ही वो हजारों वर्षों से भारत के लिए प्रकाश स्तंभ बने हुए हैं।
16. दुनिया में कितने ही देश राम के नाम का वंदन करते हैं, वहां के नागरिक, खुद को श्रीराम से जुड़ा हुआ मानते हैं। विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है, वो है इंडोनेशिया। वहां हमारे देश की ही तरह ‘काकाविन’ रामायण, स्वर्णद्वीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायणें हैं। राम आज भी वहां पूजनीय हैं।
17. मुझे विश्वास है कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला यह भव्य राममंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा और अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा।
18. राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं, करते हैं। राम हमें समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं, चलना सिखाते हैं।
19. राम परिवर्तन के पक्षधर हैं, राम आधुनिकता के पक्षधर हैं। उनकी इन्हीं प्रेरणाओं और आदर्शों के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है।
20. श्रीराम की ही नीति है- “भय बिनु होइ न प्रीति”॥ इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी। राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है।
मंदिर वहीं बनाएंगे, और हम तारीख भी बताएंगे- अमित शाह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया था, तभी दिव्य और भव्यतम मंदिर बनने का आगाज हो गया था। पांच सौ वर्षों के संघर्ष के बाद पीएम मोदी ने वो अद्भुत और अद्वितीय पल दिखाया था। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीराम मंदिर के उद्घाटन की तारीख भी बता दी है। यह उन हिंदू विरोधी नेताओं के मुंह पर तमाचा था, जो बार-बार कहते थे- मंदिर वहीं बनाएंगे, पर तारीख नहीं बताएंगे। राहुल गांधी से लेकर केजरीवाल तक, ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। गृह मंत्री ने कहा, राहुल गांधी कान खोल कर सुन लें। जनवरी 2024 को अयोध्या में गगनचुंबी राम मंदिर बनकर तैयार मिलेगा। जनसभा में अमित शाह ने कांग्रेस पर भी बड़ा हमला किया। शाह ने कहा कि 2019 में जब मैं बीजेपी का अध्यक्ष था और राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। तब राहुल बाबा रोज पूछते थे। मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे। बीजेपी नेता ने कहा, राहुल गांधी समेत वो नेता भी कान खोलकर सुन लें, जो मंदिर की तारीख पर भाषण दिया करते थे। अगले साल जनवरी में भव्य मंदिर बनकर तैयार होगा।
कांग्रेस ने राम मंदिर के मुद्दे को काफी लंबे समय तक कोर्ट में उलझाए रखा
अब अमित शाह के ऐलान के बाद विपक्ष को जवाब के साथ ही उनके हाथ से यह मुद्दा भी निकल गया है। अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्यतम मंदिर का जनवरी 2024 को उद्घाटन हो जाएगा। शाह ने कहा कि कांग्रेस ने राम मंदिर के मुद्दे को लंबे समय तक कोर्ट में उलझाए रखा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण का रास्ता साफ हो गया था। नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था। साथ ही मस्जिद के निर्माण के लिए केंद्र सरकार को 5 एकड़ का एक भूखंड आवंटित करने का निर्देश भी दिया था। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर भूमि पूजन किया था।
राम मंदिर के बारे में राहुल गांधी ही नहीं कई और नेताओं ने विवादित और गलत बयान दिए हैं। राहुल और सोनिया गांधी ने तो इस साल राम मंदिर भूमि पूजन दिवस के मौके पर काले कपड़े पहनकर विरोध प्रदर्शन भी किया। आइये कुछ अन्य नेताओं की हिंदू विरोधी भावनाओं से अवगत होते हैं…कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने कई बार खुद को ‘ढोंगी’ हिंदू साबित किया
जुलाई, 2009
विकिलीक्स को बताया कि अलकायदा-लश्कर से खतरनाक हैं हिंदू
अगस्त, 2014
मंदिर दर्शन को जाने वाले हिंदुओं को लड़कियां छेड़ने वाला बताया
मार्च 2017
काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा के दौरान नमाज की मुद्रा बना ली
नवंबर, 2017
सोमनाथ मंदिर के एंट्री रजिस्टर में अपने नाम के आगे ‘M’ लिखा
जुलाई, 2018
मुस्लिम बुद्धिजीवियों से राहुल ने कहा- ‘’कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी’’
फरवरी, 2018
कर्नाटक में हंपी के विरुपाक्ष शिव मंदिर में जाने से किया इनकार
12 दिसंबर 2021
जयपुर की रैली में अजब व्याख्या- मैं हिंदू हूं, हिंदुत्ववादी नहींकेजरीवाल तो राम मंदिर पर राजनीति करने के लिए अपनी नानी को ही घसीट लाए
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक रैली में कहा था, “जब बाबरी मंदिर का ध्वंस हुआ तब मैंने अपनी नानी से पूछा कि नानी आप तो अब बहुत खुश होंगी? अब तो आपके भगवान राम का मंदिर बनेगा। नानी ने जवाब दिया – ना बेटा, मेरा राम किसी की मस्जिद तोड़ कर ऐसे मंदिर में नहीं बस सकता।” केजरीवाल ने मार्च 2014 में ऐसा बयान दिया था। एक अन्य बयान में उन्होंने एक बार फिर ‘मंदिर वहीं बनाएँगे, पर तारीख़ नहीं बताएँगे’ वाले नैरेटिव को आगे बढ़ाया था। अरविंद केजरीवाल ने तब कहा था, “अब बार-बार भाजपा ने कहना चालू कर दिया है कि मंदिर वहीं बनाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। हम पूछते हैं कि कब बनाओगे? तो वो जवाब देते हैं कि तारीख़ नहीं बताएंगे। लेकिन, हर 5 साल बाद कहते हैं कि मंदिर वहीं बनाएंगे।” वहीं 2018 में उन्होंने कहा था कि अगर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ‘स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ की जगह मंदिर बनाया होता तो देश का विकास नहीं होता। पीएम मोदी द्वारा अयोध्या में भूमि पूजन के बाद इस पलटूराम केजरीवाल ने भी अयोध्या जाकर भगवान के सामने शीश छुकाया।
कांतिलाल भूरिया, कांग्रेस नेता, मध्य प्रदेश
राम नगरी अयोध्या में मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है लेकिन आज भी राजनीतिक पार्टी के नेता मंदिर निर्माण पर भी उल्टे सीधे बयान देने से बाज नही आ रहे। दरसल एमपी के झाबुआ से कांग्रेस के विधायक कांतिलाल भूरिया ने राम मंदिर पर विवादित बयान देते हुए कहा कि भाजपा दिन में राम मंदिर के नाम पर चंदा मांगती है और भाजपा के लोग शाम को शराब पी लेते हैं । जिसको लेकर संतों ने नाराजगी व्यक्त की है।
शशि थरुर, कांग्रेस नेता
कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर ने भी राम मंदिर पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा कि ‘अच्छे हिंदू अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं चाहते।’ थरूर के इस बयान पर भड़कते हुए स्वामी ने उन्हें नीच आदमी कहते हुए कहा कि उनका यह बयान कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाएगा।
भरत सिंह सोलंकी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष, गुजरात
गुजरात कांग्रेस के पूर्व चीफ भरतसिंह सोलंकी ने राम मंदिर को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा कि रामशिला को इस देश के लोगों ने खूब श्रद्धा, आस्था और विश्वास के साथ दर्शन-पूजन कर भेजा। गांव में किनारे रखकर ये सोचा कि इससे मंदिर बनेगा, लेकिन इस पर कुत्ते पेशाब करते हैं।
अयोध्या में बाबरी मस्जिद से भव्यतम श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण तक
• 1528: बाबर ने यहां मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण कराया, जिसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया। यह वही स्थान था, जहां पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।
• 1853: हिंदुओं का आरोप कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई।
• 1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी।
• 1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी ढांचे से लगे राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।
• 23 दिसंबर 1949: हिंदुओं ने कथित मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर भगवान राम लला की मूर्ति मिली। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया।
• 16 जनवरी 1950: गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी।
• 5 दिसंबर 1950: महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया। मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया गया।
• 17 दिसंबर 1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।
• 18 दिसंबर 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
• 1984: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया।
• 1 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए।
• जून 1989: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया।
• 1 जुलाई 1989: भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया।
• 25 सितंबर 1990: बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली।
• नवंबर 1990: लालकृष्ण आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
• अक्टूबर 1991: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया।
• 6 दिसंबर 1992: हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी ढांचे को ढहा दिया। एक अस्थायी राम मंदिर बनाया गया।• 16 दिसंबर 1992: मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।
• जनवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था।
• अप्रैल 2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।
• मार्च-अगस्त 2003: इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में साफ सामने आया कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं।
• जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उन्होंने कुछ नहीं किया।
• 28 सितंबर 2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।
• 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी।
• 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
• 21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही।
• 19 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।
• 8 फरवरी, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
• 2019: सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया।
• 6 अगस्त, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना मामले की सुनवाई शुरू की।
• 16 अक्तूबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा।
• 9 नवंबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा: विवादित भूमि पर बनेगा मंदिर, मुस्लिम पक्ष को कहीं और मिलेगी जमीन
• 5 अगस्त, 2021: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर भूमि पूजन किया