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बेहद व्यस्त रहेगी प्रधानमंत्री मोदी की इजरायल यात्रा, सांस लेने की भी फुर्सत नहीं

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तीन साल दो महीने गुजर गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजतक एक भी छुट्टी नहीं ली। देश में रहें या देश के लिए विदेश में रहें प्रधानमंत्री मोदी के जीवन के सिर्फ एक ही मायने हैं भारत माता के लिए काम ही काम। मंगलवार से वो इजरायल दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरान भी उनका कार्यक्रम बहुत व्यस्त रहने वाला है। तीन दिवसीय दौरे में उन्हें सांस लेने की भी फुर्सत नहीं मिलेगी। इजरायल की धरती पर वो जितने समय रहेंगे उस एक-एक क्षण वो किसी न किसी कार्यक्रम में शामिल रहेंगे। अपने देश के प्रति ऐसा समर्पण आजतक विश्व के किसी राजनेता में नहीं देखा गया। विश्व में ग्लोबल लीडर के तौर पर स्थापित हो चुके प्रधानमंत्री मोदी की कर्मठता के बारे में सुनकर इजरायल की जनता भी चकित है।

बहुत ही व्यस्त कार्यक्रम
इजरायल में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम बहुत ही व्यस्त है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो इजरायल पहुंचकर पहले होटल नहीं जाएंगे। बल्कि, एयरपोर्ट पर उतरते ही सबसे पहले फूलों की खेती में नवीनतम परिवर्तन और प्रगति का अनुभव प्राप्त करने के लिए Danziger Flower Farm जाएंगे। कृषि, आपदा प्रबंधन, आर्थिक संबंध और लोगों के बीच बेहतर संबंध प्रधानमंत्री की इस यात्रा के प्रमुख बिंदू हैं। बड़ी बात ये है कि पूरी यात्रा के दौरान इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू प्रधानमंत्री मोदी के साथ रहेंगे। 

बातचीत के कई दौर
प्रधानमंत्री मोदी और इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू एवं वहां के राष्ट्रपति रियुवेन रिवलिन के साथ बातचीत के दौरान सुरक्षा, आतंकवाद समेत आर्थिक सहयोग पर चर्चा होने की संभावना है। इसके अलावा बिजनेस जगत के लोगों, NRI और प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित लोगों से भी प्रधानमंत्री के मुलाकात का कार्यक्रम है। अगर यूं कहें कि इजरायल यात्रा के दौरान पीएम का कार्यक्रम इतना व्यस्त है कि उन्हें सांस लेने की भी फुर्सत नहीं मिलेगी, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस दौरान प्रधानमंत्री एक सामुदायिक कार्यक्रम को भी संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम का आधार भारत-इजरायल की दोस्ती और दोनों देशों की जनता के बीच का परस्पर संबंध है। प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में इजरायल सरकार ने एक विशेष डिनर भी आयोजित किया है।

Yad Vashem भी जाएंगे
पीएम मोदी लाखों बहादुर यहूदी महिलाओं और पुरुषों के प्रति एकजुटता की भावना प्रकट करने के लिए Yad Vashem की भी यात्रा करेंगे। यहां पर शांति और मानवता के मूल्यों की रक्षा के लिए लाखों यहूदियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों ने यहूदियों का नरसंहार किया था, जिनकी याद में यहां मेमोरियल बना हुआ है।

Haifa में देंगे वीरों को श्रद्धांजलि
इजरायल यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री Haifa में वो भारतीय सैनिकों की स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि देंगे। ये वीर सैनिक प्रथम विश्व युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।

वोट बैंक ने इजरायल को किया नजरअंदाज
इतिहास टटोलें तो तो सबसे अधिक सत्ता पर काबिज रहने के बावजूद गांधी परिवार ने इजरायल से हमेशा दूरी ही बनाए रखा। इसके पीछे सिर्फ एक रणनीति रही। उन्हें लगा कि इजरायल से किनारा और फिलीस्तीन से दोस्ती से वो अपने वोट बैंक को आसानी से साध सकते हैं। जबकि कूटनीति में सिर्फ अपने देश के हित को देखा जाना चाहिए। लेकिन गांधी परिवार ने वोट के लिए देश हित को ही तार पर रख दिया।

अटल जी के समय से बदलाव की शुरुआत
वैसे तो इजरायल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंधों की शुरुआत तो 25 वर्ष पहले 1992 में पूर्व पीएम नरसिम्हां राव के कार्यकाल में हुई थी। लेकिन जब अटल जी की सरकार बनी तो भारत-इजरायल के संबंध परवान चढ़ने लगे। 2000 में तत्कालीन गृहमंत्री एल के आडवाणी ने इजरायल का दौरा किया। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2014 में गृहमंत्री राजनाथ सिंह इजरायल गए। जबकि 2015 में प्रणब मुखर्जी इजरायल जाने वाले पहले राष्ट्रपति बने।

इजरायल में प्रधानमंत्री का बेसब्री से इंतजार
सिर्फ दोनों देशों की जनता ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा पर दुनिया भर के देश टकटकी लगाए बैठे हैं। प्रधानमंत्री की ये यात्रा विश्व की दो बड़ी सैन्य ताकतों के हिसाब से ही नहीं कूटनीतिक हिसाब से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू खुद पीएम मोदी की आगवानी के लिए एयरपोर्ट पर उपस्थित रहेंगे, जो अब तक सिर्फ पोप या फिर अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए होता आया है। प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत का बेसब्री से इंतजार कर रहे नेतन्याहू ने कहा है कि, “भारतीय पीएम की यह ऐतिहासिक यात्रा है। 70 साल में अभी तक भारत का कोई पीएम इजरायल नहीं आया है। इस दौरे से दोनों देशों के मिलिट्री, इकोनॉमिक और डिप्लोमैटिक रिश्ते मजबूत होंगे। दोनों देशों के रिलेशन नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे।”

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