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पीएम मोदी के विजन से भारत बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा मछली निर्यातक, 90 प्रतिशत की वृद्धि

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल और सक्षम नेतृत्व में आज भारत हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। मोदी सरकार की सफल नीतियों का परिणाम है कि भारत निर्यात के हर मोर्चे पर भी अव्वल साबित हो रहा है। 2014 से पहले भारत को निर्यात के मामले में फिसड्डी समझा जाता था। लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले नौ साल में भारत ने निर्यात में जो रिकार्ड कायम किया है वह अकल्पनीय है। भारत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 750 बिलियन डालर से अधिक का निर्यात कर विश्व का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है जबकि भारत 1 साल पहले 9वें नंबर पर था। इसी तरह भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा मछली निर्यातक बन गया है। यह सब पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की शुरुआत के बाद से देश में मछली उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। देश में मछली का उत्पादन और मत्स्य निर्यात का उद्योग बढ़ाने हेतु पीएम मोदी ने 10 सितंबर 2020 को मत्स्य संपदा योजना का शुभारंभ किया था।

भारत बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा मछली निर्यातक

वर्ष 2013-14 में मछली का निर्यात जहां 30213.26 करोड़ रुपये था वहीं वर्ष 2021-22 में यह 90 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 57586.48 करोड़ रुपये हो गया। यानि पिछले वित्त वर्ष में देश से अब तक का सबसे ज्यादा मछली का निर्यात किया गया। यह अपने आप में रिकार्ड है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश

केंद्र सरकार देश में तटीय समुदाय के लोगों विशेषकर समुद्री मछुआरों के जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक कल्याण में सुधार लाने की दिशा में निरंतर काम कर रही है। केंद्रीय मंत्री परषोतम रूपाला ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है और विश्व का आठ प्रतिशत मछली उत्पादन भारत में होता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत के बाद से देश में मछली उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। देश में 2021-22 में मछली उत्पादन 162 लाख टन से अधिक रहा जो 2019-20 में लगभग 141 लाख टन था।

मत्स्य क्षेत्र में 2.8 करोड़ से अधिक लोगों को स्थायी आजीविका

आज भारतीय मत्स्य क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहा है। भारत पहले ही तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक है वहीं यह दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक भी है। यह क्षेत्र 2.8 करोड़ से अधिक लोगों को स्थायी आजीविका प्रदान करता है जो ज्यादातर हाशिए पर और कमजोर समुदायों के भीतर हैं और गरीबों और दलितों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में स्थायी सुधार लाने में सहायक रहे हैं।

बजट में मत्स्य क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान

वर्ष 2022-23 के दौरान मत्स्य पालन विभाग के लिए 1624.18 करोड़ रुपये और 2021-22 के दौरान 1360 करोड़ रुपये के मुकाबले 2248.77 करोड़ रुपये की राशि दी गई है। यह वित्त वर्ष 2022-23 के बजट की तुलना में 38.45 प्रतिशत की समग्र वृद्धि को दर्शाता है और यह विभाग के लिए अब तक के सबसे अधिक वार्षिक बजटीय सहयोग में से एक है। इसके अलावा PMMSY योजना के तहत मत्स्य पालन के लिए 6,000 करोड़ रुपये का लक्षित निवेश है, जिसका उद्देश्य मछुआरे, मछली विक्रेता और मत्स्य क्षेत्र में लगे सूक्ष्म और लघु उद्यमी की आय को और बढ़ाना है।

पीएम मोदी की नीली क्रांति से समुद्री अर्थव्यवस्था पर विशेष ध्यान

केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के अलावा समुद्री अर्थव्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दे रही हैं। ऐसे में तटीय इकोसिस्टम के संरक्षण और समृद्धि के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। पीएम मोदी द्वारा शुरू की गई नीली क्रांति, आर्थिक क्रांति की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो रही है और लाखों लोगों के लिए रोजगार, उत्पादन और निर्यात का जरिया बन रही है। इसके साथ ही केंद्र सरकार मछली पालन के काम में लगे लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड भी दे रही है ताकि पूंजी की कमी से किसी भी तरह का व्यवधान पैदा न हो। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने पहली बार आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत लक्षित मत्स्य उत्पादन प्राप्त करने के लिए उद्यमियों द्वारा स्टार्टअप को बढ़ावा देना शुरू किया है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना क्या है?
 
मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और जिम्मेदार विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाने की दृष्टि है।

मत्स्य पालन क्षेत्र में PMMSY का मुख्य आदर्श वाक्य ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ है।

मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय कार्यान्वयन एजेंसी है।

PMMSY दो अलग-अलग घटकों के साथ एक छत्र योजना है – केंद्रीय क्षेत्र योजना और केंद्र प्रायोजित योजना।

केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) घटक को आगे गैर-लाभार्थी उन्मुख और लाभार्थी उन्मुख उप-घटकों/गतिविधियों में विभाजित किया गया है।

पीएम मोदी के विजन से और उनके नेतृत्व में निर्यात में भारत लगातार तरक्की के रास्ते पर है और नित नए रिकार्ड बना रहा है, इस पर एक नजर-

नई विदेश व्यापार नीति में 2 ट्रिलियन डॉलर निर्यात का लक्ष्य

केंद्र सरकार ने हाल में ही विदेश व्यापार नीति 2023 जारी किया है। ये नई विदेश व्यापार नीति एक अप्रैल से लागू हो गई। नई विदेश व्यापार नीति में घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में 750 बिलियन डालर से ज्यादा का निर्यात कर विश्व का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है जबकि भारत 1 साल पहले 9वें नंबर पर था। अब नई विदेश व्यापार नीति में घरेलू उत्पादन बढ़ने से जहां भारत आत्मनिर्भर बनेगा वहीं निर्यात बढ़ने से देश में आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। सरकार का उद्देश्य ये है कि साल 2030 तक निर्यात का ये आंकड़ा दो ट्रिलियन डॉलर से अधिक किया जाए।

रुपये को ग्लोबल करेंसी बनाने पर फोकस

नई विदेश व्यापार नीति में व्यापार नीति को और क्रियाशील बनाने की बात कही गई है। इसके साथ ही भारतीय रुपये को वैश्विक वाणिज्यिक स्तर पर स्वीकार्य करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यानि रुपये को ग्लोबल करेंसी बनाने की ओर सरकार कदम उठा रही है।

विदेश व्यापार नीति में क्या है खास?

नई विदेश व्यापार नीति को इंसेंटिव रिजीम से रिमीशन रिजीम की तरफ ले कर जाने का प्रयास किया गया है।

लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (MSME) के लिए आवेदन शुल्क को 50-60% कम किया गया है।

निर्यात को मान्यता के लिए थ्रेशोल्ड को कम किया गया है।

सबसे खास यह है कि भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। खासतौर पर उन देशों से जो डॉलर की कमी या फिर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

नई विदेश व्यापार नीति में 39 Towns of Export Excellence (TEE) में चार नए शहरों को जोड़ा गया है। इसमें फरीदाबाद, मुरादाबाद, मिर्जापुर और वाराणसी शामिल है।

ई कॉमर्स के साथ ही नए एक्सपोर्ट हब तैयार किए जाएंगे

कोरोना के चलते 2020 के बाद अब जाकर नई विदेश व्यापार नीति लाई गई है। ये नीति अगले पांच साल के लिए होगी। DGFT संतोष सारंगी ने कहा कि इस पॉलिसी के जरिए निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। वहीं ODOP के लिए विशेष प्रयोजन किया जाएगा। इसके अलावा ई कॉमर्स, नए एक्सपोर्ट हब तैयार किए जाएंगे।

SEZ को अपग्रेड और मोडिफाई कर ‘देश’ बनाया जाएगा

कंपिटेटिव और क्वालिटी एक्सपोर्ट प्रमोशन के लिए इन्सेंटिव भी देने का प्रावधान किया गया है। अलग से एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल का गठन किया जाएगा। इसके अलावा SEZ को अपग्रेड और मोडिफाई कर ‘देश’ (DESH: Development of Enterprise and Services Hub) बनाया जाएगा।

हर जिले में एक्सपोर्ट हब बनाया जाएगा

नई विदेश व्यापार नीति के तहत पहले चरण के लिए 2200-2500 करोड़ की योजना तैयार की गई है। मंत्रालय इसको बढ़ावा देने के लिए रोडमैप तैयार कर चुका है। हर जिले में एक्सपोर्ट हब बनाया जाएगा। निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से हर जिले में एक्सपोर्ट प्रमोशन कमिटी बनाई गई है।

पीएम मोदी के विजन से विश्व का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक बना भारत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल और सक्षम नेतृत्व में भारत हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। मोदी सरकार की सफल नीतियों का परिणाम है कि भारत जहां दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शुमार है, वहीं तमाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बावजूद भारत को लगातार आर्थिक मोर्चे पर बड़ी उपलब्धियां हासिल हो रही हैं। 02 सितंबर, 2022 को ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई। अब भारत से आगे सिर्फ 4 देश हैं। वो हैं अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी। इसी तरह अब भारत के नाम एक और रिकार्ड आ गया है। भारत इस वित्तीय वर्ष में 750 बिलियन अमरीकी डालर का निर्यात कर विश्व का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है जबकि भारत 1 साल पहले 9वें नंबर पर था।

विश्व के शीर्ष निर्यातक देशों की सूची (राशि अरब डॉलर में) :

1. चीन – 3000
2. यूएसए – 1750
3. जर्मनी – 1600
4. जापान – 757
5. भारत – 750
6. नीदरलैंड – 690
7. हांगकांग – 670
8. दक्षिण कोरिया – 640
9. इटली – 610

भारत को पांचवें नंबर पर लाने में रक्षा निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका

भारत को पांचवें नंबर पर लाने में रक्षा निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एक समय रक्षा निर्यात शून्य हुआ करता था लेकिन पीएम मोदी की पहल और उनके नेतृत्व में अब यह 14000 करोड़ रुपये (लगभग 2 बिलियन डॉलर) हो गया है। भारत आज 80 देशों को रक्षा निर्यात कर रहा है और 2026 तक यह बढ़कर 40000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।

भारत की निर्यात वृद्धि के प्रमुख 5 सेक्टर

अभी 2022-23 का डेटा उपलब्ध नहीं है, इसलिए यहां 2021-22 (600 बिलियन) डेटा पेश किया जा रहा है।

1. इंजीनियरिंग सामान : 101 अरब डॉलर
2. पेट्रोलियम उत्पाद: 56 अरब डॉलर
3. रत्न आभूषण: 36 अरब डॉलर
4. कृषि उत्पाद
5. दवा एवं फार्मा

वैश्विक निर्यात का आकार 30 ट्रिलियन डॉलर है

वैश्विक निर्यात का आकार करीब 30 ट्रिलियन डॉलर है। मोदी सरकार ने इस पर ध्यान देते हुए मेक इन इंडिया शुरू किया और इसे आगे बढ़ाया उसकी वजह से विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उत्पादन और निर्यात को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत अगले 5 वर्षों में दुनिया के शीर्ष 3 सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल होगा।

देश के विकास के लिए निर्यात है जरूरी

अधिक निर्यात के फायदे-

– अधिक पैसे
– अधिक आर्थिक समृद्धि
– और अधिक नौकरियां
– अधिक नवाचार और आर एंड डी
– वैश्विक कूटनीति में अधिक सामरिक शक्ति

ब्रांडेड कपड़े का निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़कर 4200 करोड़ रुपये

पीएम मोदी के सत्ता में आने से पहले अप्रैल-फरवरी 2013-2014 में ब्रांडेड कपड़े का निर्यात 1337 करोड़ रुपये का हुआ था। वहीं अप्रैल-फरवरी 2022-2023 में यह करीब साढ़े तीन गुना बढ़कर 4266 करोड़ रुपये हो गया है। नौ साल में ही साढ़े तीन गुना की वृद्धि सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाओं की वजह से ही संभव हो पाया है।

रक्षा निर्यात में आठ गुना वृद्धि, 13 हजार करोड़ से ज्यादा हुआ एक्सपोर्ट

कांग्रेस के शासनकाल में उपेक्षित छोड़ दिए गए रक्षा क्षेत्र को पीएम मोदी अपने विजन से खड़ा किया और पिछले पांच साल में ही इसने बुलंदियों को छू लिया। मोदी काल में ही 2016-17 में रक्षा निर्यात 1522 करोड़ रुपये का हुआ था जबकि 2022-23 में यह बढ़कर 13,399 करोड़ रुपये हो गया। यानी इसमें 750 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

खिलौना आयात 67 प्रतिशत कम हुआ, देश का पैसा विदेश जाने से बचा

पीएम मोदी के विजन से देश में उत्पादन बढ़ने से केवल निर्यात ही नहीं बढ़ रहा है बल्कि आयात भी घट रहा है। जहां निर्यात बढ़ने से देश में पैसा आ रहा है वहीं आयात घटने से देश का पैसा विदेश जाने से बच रहा है। इसका ताजा उदाहरण है खिलौना उद्योग। इस उद्योग ने 2014-15 में 322.55 मिलियन डॉलर (करीब 26 अरब रुपये) के खिलौने आयात किए थे। वहीं 2021-22 में खिलौना आयात घटकर 109.72 मिलियन डॉलर (करीब 8 अरब रुपये) रह गया है।

संगीत वाद्ययंत्रों का निर्यात करीब 4 गुना बढ़कर 346 करोड़ रुपये

भारतीय वाद्ययंत्रों (म्यूजिकल इंट्रूमेंट्स) का निर्यात अप्रैल-फरवरी 2013-14 में 85 करोड़ रुपये का हुआ था जबकि अप्रैल-फरवरी 2022-23 में करीब गुना बढ़कर 346 करोड़ रुपये हो गया। इन आंकड़ों से आप कल्पना कर सकते हैं कि जहां आजादी के 65 वर्षों बाद 2013 तक 85 करोड़ निर्यात होता था वहीं पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 साल में यह बढ़कर 346 करोड़ रुपये हो गया। आज भारतीय म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट 173 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। सबसे बड़े खरीदार देशों में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान और यूके जैसे विकसित देश शामिल हैं। इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति और संगीत का क्रेज दुनियाभर में बढ़ रहा है। सबसे ज्यादा निर्यात वाले वाद्य यंत्रों में डमरू, तबला, हारमोनियम, ढोलक, मंजीरा जैसे वाद्य यंत्र शामिल हैं।

चीनी निर्यात करीब 7 गुना बढ़कर 46 हजार करोड़ रुपये पहुंचा

चीनी का निर्यात अप्रैल-फरवरी 2013-14 में 7188 करोड़ रुपये था जबकि अप्रैल-फरवरी 2022-23 में यह करीब 7 गुना बढ़कर 46289 करोड़ रुपये हो गया। चालू विपणन वर्ष 2022-23 के फरवरी तक चीनी उत्पादन 24.7 मिलियन टन पर पहुंच गया है। सरकार ने इस साल 6 लाख टन (6 मिलियन टन) चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है और शीर्ष निर्यातकों में से एक है।

दुनिया को भा रहा भारत के दही व पनीर का स्वाद, निर्यात 5 गुना बढ़ा

भारत के दही व पनीर के निर्यात के बारे में पहले बात भी नहीं की जाती थी लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में इस सेक्टर का निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है और इसका स्वाद दुनिया को पसंद आ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां दही-पनीर का निर्यात करीब 54 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह पांच गुना से ज्यादा बढ़कर 276 करोड़ रुपये हो गया।

दुनिया भारतीय चॉकलेट से कर रही मुंह मीठा, निर्यात दोगुना बढ़ा

देश में दूध और कोको की पैदावार बढ़ने से देश के चॉकलेट उद्योग को पंख लग रहे हैं। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ चुका है वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से चॉकलेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में भारतीय चॉकलेट का निर्यात जहां 304 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह दोगुना से ज्यादा बढ़कर 677 करोड़ रुपये हो गया। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में भारत में कोको उत्पादन दोगुना होने के साथ 30 हजार टन होने की उम्मीद है। ऐसे में भारत के चाकलेट उद्योग को बड़ी मात्रा में कच्चे माल के रूप में चाकलेट मिलेगा और भारत चाकलेट के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हो जाएगा।

स्वाद से भरपूर देसी मकई की दीवानी हुई दुनिया, निर्यात 1.5 गुना बढ़ा

दुनिया के कुछ प्रमुख मक्का उत्पादक देशों में इस साल उत्पादन घटा है। उत्पादन में गिरावट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की किल्लत है। नतीजतन, कीमत में अच्छी वृद्धि हुई है, और इसका लाभ किसानों को मिल रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 4274 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह डेढ़ गुना बढ़कर 6507 करोड़ रुपये हो गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इससे भारत से मक्का का निर्यात भी बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2022-23 में मक्का के निर्यात में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस साल 6 हजार 507 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया है।

भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपये

भारत अब दुनिया के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी योगदान कर रहा है। आयरन और स्टील निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 41,142 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 79,623 करोड़ रुपये हो गया। भारत ने जनवरी-नवंबर 2022 की अवधि में 11.34 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया, जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत अधिक है। सरकार का लक्ष्य कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को 15 करोड़ टन के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने तक पहुंचाना है। इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने एक साक्षात्कार में कहा कि वर्ष 2023 में इस्पात क्षेत्र के लिए और पहल की जाएंगी।

इलेक्ट्रिल मशीनरी निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़ा

अप्रैल-दिसंबर 2013 में इलेक्ट्रिल मशीनरी का निर्यात 47,008 करोड़ रुपये था जो कि अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह साढ़े तीन गुना बढ़कर 1,64,293 करोड़ रुपये हो गया। भारतीय इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्री दशकों से खराब गुणवत्ता से ग्रस्त रहा है। इस वजह से इसके उत्पाद वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे थे। पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया का विजन दिया जिससे अब यह सुनिश्चित होगा कि घरेलू उत्पाद विश्व स्तर पर बराबरी वाले दर्जे के हों। भारतीय गुणवत्ता के भरोसे को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाना होगा और इससे उन वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जो भारत को चीन प्लस वन की रणनीति देखने के इच्छुक हैं।

कालीन निर्यात 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा

भारत का कालीन उद्योग प्राचीन काल से प्रख्यात रहा है लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर सेक्टर पर ध्यान दिया और इसकी वजह से आज कालीन निर्यात नए रिकार्ड बना रही है इससे जुड़ा उद्योग भी फल-फूल रहा है। वित्त वर्ष 2013-14 के अप्रैल-दिसंबर अवधि में कालीन निर्यात 7,127 करोड़ रुपये थी। वहीं 2022-23 में इसी अवधि में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़कर 11,274 करोड़ रुपये हो गया। यह पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया कि कालीन निर्यात पिछले नौ साल में दोगुना के करीब पहुंचने वाला है।

खिलौना निर्यात 6 गुना बढ़कर 1000 हजार करोड़ रुपये पहुंचा

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद भारत के विकास की तस्वीर बदल दी। बंद पड़े खाद कारखानों से लेकर कई उद्योगों एवं फैक्टरी को फिर से शुरू किया गया। इन्हीं उद्योगों में एक था खिलौना उद्योग जिसे कांग्रेस ने मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया था। लेकिन पीएम मोदी के विजन से खिलौना उद्योग सफलता के नए कीर्तिमान रच रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान देश का खिलौनों का निर्यात छह गुना बढ़कर 1,017 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जबकि इसी अवधि में 2013 में यह 167 करोड़ रुपये था। वर्ष 2021-22 में निर्यात 2,601 करोड़ रुपये रहा था।

दवाओं का निर्यात एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंचा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ‘विश्व की फार्मेसी’ बनने की ओर अग्रसर है। अप्रैल-दिसंबर 2022 में दवाओं एवं फार्मास्युटिकल उत्पादों का निर्यात 2013 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 2.4 गुना बढ़ गया। अप्रैल-दिसंबर 2013-14 में भारत से दवाओं का निर्यात जहां 49,200 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022-23 में यह बढ़कर 1,17,740 करोड़ रुपये हो गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत से दवा का निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 27 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छू सकता है। फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (Pharmexcil) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह अब तक का सबसे अधिक मूल्यांकन वाला निर्यात होगा।

मेड इन इंडिया का कमाल, 2.5 अरब डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट

पहले भारत में चीन में निर्मित सस्ते स्मार्ट फोन की बड़ी मांग थी, लेकिन अब भारत में बने आईफोन की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई हैं। एप्पल ने 2022-23 के पहले नौ महीने यानी पिछले साल अप्रैल-दिसंबर माह में भारत से 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट किया, जो पूरे वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) में किए गए निर्यात का लगभग दोगुना है। तेजी से बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे एप्पल अपने उत्पादन को चीन के बाहर स्थानांतरित कर रही है। इस क्षेत्र के जानकारों मुताबिक भारत में आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी समूह और विस्ट्रॉन कॉर्प ने साल 2022-23 के पहले नौ महीने में एक-एक अरब डॉलर से ज्यादा के एप्पल के साजो-सामानों का निर्यात किया है। एप्पल के लिए प्रोडक्शन करने वाली एक और कंपनी पेगाट्रॉन कॉर्प भी इस महीने के अंत तक करीब 50 करोड़ डॉलर के Gadgets निर्यात करने वाली है।

खाद्य उत्पादों के निर्यात का भी बढ़ा आंकड़ा

कुल निर्यात के अलावा भारत के अन्न भंडार की मांग भी लगातार बढ़ रही है। कृषि एवं प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने चालू वित्तीय वर्ष में तीन हजार करोड़ डॉलर मूल्य के खाद्य पदार्थों के निर्यात का लक्ष्य रखा है। वहीं, पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान ढाई हजार करोड़ डॉलर से ज्यादा मूल्य के खाद्य पदार्थों का निर्यात किया गया था। गौरतलब है कि अभी डेढ़ सौ से अधिक देशों में भारत के खाद्य पदार्थों का निर्यात किया जा रहा है और इसमें सबसे बड़ा आयातक ब्रिटेन है।

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