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‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने कहा- राम मंदिर पर फैसले को पूरे देश ने दिल खोलकर गले लगाया

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया। पीएम मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का यह 59वां संस्करण है। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम की शुरूआत एनसीसी दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं देने के साथ की। इसमें पीएम मोदी ने अलग-अलग राज्यों के एनसीसी कैडेट्स से उनके अनुभव के बारे में जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने एनसीसी से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया। 

पीएम मोदी ने कहा कि मेरा सौभाग्य रहा कि बचपन में मैं अपने स्कूल में एनसीसी कैडेट रहा, मुझे इसके अनुशासन और यूनिफॉर्म के बारे में मालूम है। यह दुनिया के सबसे बड़े संगठनों में से एक है। इसमें सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों की विशेषताएं शामिल हैं। नेतृत्व, देशभक्ति, सेल्फलेस सर्विस, अनुशासन और कठिन परिश्रम को अपने चरित्र का हिस्सा बनाने की रोमांचक यात्रा का नाम एनसीसी है। मन से आज भी मैं खुद को कैडेट मानता हूं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम सभी देशवासियों को ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि 07 दिसम्बर को Armed Forces Flag Day मनाया जाता है। ये वो दिन है जब हम अपने वीर सैनिकों को, उनके पराक्रम को, उनके बलिदान को याद तो करते ही हैं, साथ ही योगदान भी करते हैं। सिर्फ सम्मान का भाव इतने से बात चलती नहीं है। सहभाग भी जरुरी होता है और 07 दिसम्बर को हर नागरिक को आगे आना चाहिए।

फिट इंडिया अभियान के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि CBSE ने ‘फिट इंडिया विक’ की एक सराहनीय पहल की है। इसे दिसम्बर महीने में कभी भी मनाया जा सकता है। इसमें फिटनेस को लेकर कई प्रकार के आयोजन किए जाने हैं। इसमें विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके शिक्षक और माता-पिता भी भाग ले सकते हैं। Fit Indiaportal पर जाकर स्कूल स्वयं को फिट घोषित कर सकते हैं, जिसके आधार पर उन्हें रैंकिंग दी जाएगी। पीएम मोदी ने फिट इंडिया अभियान को जन आंदोलन बनाने की अपील की।

इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने प्रकृति, पर्यावरण, जल, जमीन, जंगल को बहुत अहमियत दी। उन्होंने नदियों के महत्व को समझा और समाज को नदियों के प्रति सकारात्मक भाव कैसा पैदा हो, एक संस्कार कैसे बनें, नदी के साथ संस्कृति की धारा, नदी के साथ संस्कार की धारा, नदी के साथ समाज को जोड़ने का प्रयास ये निरंतर चलता रहा और मजेदार बात ये है कि समाज नदियों से भी जुड़ा और आपस में भी जुड़ा। मैं चाहता हूं कि प्रकृति, पर्यावरण, पानी ये सारी चीजें हमारे पर्यटन का भी हिस्सा बनें, जीवन का भी हिस्सा बनें।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब अयोध्या मामले में 9 नवम्बर,2019 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो 130 करोड़ भारतीयों ने,फिर से ये साबित कर दिया कि उनके लिए देशहित से बढ़कर कुछ नहीं है। देश में, शांति, एकता और सद्भावना के मूल्य सर्वोपरि हैं। राम मंदिर पर जब फ़ैसला आया तो पूरे देश ने उसे दिल खोलकर गले लगाया। पूरी सहजता और शांति के साथ स्वीकार किया। आज,‘मन की बात’ के माध्यम से मैं देशवासियों को साधुवाद देता हूँ, धन्यवाद देना चाहता हूँ। उन्होंने, जिस प्रकार के धैर्य, संयम और परिपक्वता का परिचय दिया है, मैं, उसके लिए विशेष आभार प्रकट करना चाहता हूँ।

पीएम मोदी ने कहा कि एक ओर, जहाँ, लम्बे समय के बाद कानूनी लड़ाई समाप्त हुई है, वहीं दूसरी ओर, न्यायपालिका के प्रति, देश का सम्मान और बढ़ा है। सही मायने में ये फैसला हमारी न्यायपालिका के लिए भी मील का पत्थर साबित हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद, अब देश, नई उम्मीदों और नई आकांक्षाओं के साथ नए रास्ते पर, नये इरादे लेकर चल पड़ा है। न्यू इंडिया इसी भावना को अपनाकर शांति, एकता और सद्भावना के साथ आगे बढ़े – यही मेरी कामना है, हम सबकी कामना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और भाषाएं पूरे विश्व को, विविधता में, एकता का सन्देश देती हैं। 130 करोड़ भारतीयों का ये वो देश है, जहाँ कहा जाता था, कि, ‘कोस-कोस पर पानी बदले और चार कोस पर वाणी’। हमारी भारत भूमि पर सैकड़ों भाषाएँ सदियों से पुष्पित पल्लवित होती रही हैं। हालांकि, हमें इस बात की भी चिंता होती है कि कहीं भाषाएं और बोलियां ख़त्म तो नहीं हो जाएंगी ! पिछले दिनों, मुझे, उत्तराखंड के धारचुला की कहानी पढ़ने को मिली। मुझे काफी संतोष मिला। इस कहानी से पता चलता है कि किस प्रकार लोग अपनी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए, आगे आ रहें है। कुछ नया  कर रहें हैं। रंग भाषा को बचाने के लिए हर कोई जुट गया।  इस मिशन में सोशल मीडिया का भी भरपूर प्रयोग किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ख़ास बात ये भी है कि संयुक्त राष्ट्र ने 2019 यानी इस वर्ष को ‘International Year of Indigenous Languages’ घोषित किया है। यानी उन भाषाओं को संरक्षित करने पर जोर दिया जा रहा है जो विलुप्त होने के कगार पर है। डेढ़-सौ साल पहले, आधुनिक हिंदी के जनक, भारतेंदु हरीशचंद्र जी ने भी कहा था :-

“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।”

अर्थात, मातृभाषा के ज्ञान के बिना उन्नति संभव नहीं है। ऐसे में रंग समुदाय की ये पहल पूरी दुनिया को एक राह दिखाने वाली है। यदि आप भी इस कहानी से प्रेरित हुए हैं, तो, आज से ही, अपनी मातृभाषा या बोली का खुद उपयोग करें। परिवार को, समाज को प्रेरित करें।

पीएम मोदी ने समुद्री कचरे के बारे में बात करते हुए कहा कि हमारे समुद्र को कचरे से भरा जा रहा है। पिछले कई दिनों से गोताखोर (scuba divers) समुद्र में, तट के, करीब 100 मीटर दूर जाते हैं, गहरे पानी में गोता लगाते हैं और फिर वहां मौजूद कचरे को बाहर निकालते हैं। और मुझे बताया गया है कि 13 दिनों में ही, यानी 2 सप्ताह के भीतर-भीतर, करीब-करीब 4000 किलो से अधिक plastic waste उन्होंने समुद्र से निकाला है। इन scuba divers की छोटी-सी शुरुआत एक बड़े अभियान का रूप लेती जा रही है। उन्हें अब स्थानीय लोगों की भी मदद मिलने लगी हैं। आस-पास के मछुआरें भी उन्हें हर प्रकार की सहायता करने लगे हैं। जरा सोचिये, इस scuba divers से प्रेरणा लेकर अगर हम भी सिर्फ अपने आस-पास के इलाके को प्लास्टिक के कचरे से मुक्त करने का संकल्प कर लें, तो फिर ‘प्लास्टिक मुक्त भारत’ पूरी दुनिया के लिए एक नई मिसाल पेश कर सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दो दिन बाद 26 नवम्बर है। यह दिन पूरे देश के लिए बहुत ख़ास है। हमारे गणतंत्र के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन को हम ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाते हैं। और इस बार का ‘संविधान दिवस’ अपने आप में विशेष है, क्योंकि, इस बार संविधान को अपनाने के 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस बार इस अवसर पर पार्लियामेंट में विशेष आयोजन होगा और फिर साल भर पूरे देशभर में अलग-अलग कार्यक्रम होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर हम संविधान सभा के सभी सदस्यों को आदरपूर्वक नमन् करें, अपनी श्रद्धा अर्पित करें। भारत का संविधान ऐसा है, जो प्रत्येक नागरिक के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करता है और यह हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता की वजह से ही सुनिश्चित हो सका है। मैं कामना करता हूँ कि ‘संविधान दिवस’ हमारे संविधान के आदर्शों को कायम रखने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की हमारी प्रतिबद्धता को बल देगा।

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