संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संबोधन खत्म होने के बाद उन्हें बधाई देने और सेल्फी लेने वालों में होड़ लग गई। संबोधन के बाद वहां मौजूद लोगों ने उन्हें बधाई दिया और सेल्फी लेने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ट्वीट किया है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण बाद बधाई संदेश और सेल्फी के लिए लोग उमड़ पड़े। जिन लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुना, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उन्हें शुभकामनाएं।
Congratulatory messages pour in after the @UN General Assembly speech and so do the selfie requests.
Those who were able to witness PM @narendramodi’s speech at the UN personally convey their good wishes to him. pic.twitter.com/UXiSMFh4hp
— PMO India (@PMOIndia) September 27, 2019
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि इस वर्ष दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव हुआ। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में, दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों ने वोट देकर, मुझे और मेरी सरकार को पहले से ज्यादा मजबूत जनादेश दिया। और इस जनादेश की वजह से ही आज फिर मैं यहां हूं। लेकिन इस जनादेश से निकला संदेश इससे भी ज्यादा बड़ा है, ज्यादा व्यापक है, ज्यादा प्रेरक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘जब एक विकासशील देश, दुनिया का सबसे बड़ा फाइनेंसियल इन्क्लूजन कार्यक्रम सफलतापूर्वक चलाता है, सिर्फ 5 साल में 37 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खोलता है, तो उसके साथ बनी व्यवस्थाएं, पूरी दुनिया के गरीबों में एक विश्वास पैदा करती हैं। जब एक विकासशील देश, अपने नागरिकों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल Identification प्रोग्राम चलाता है, उनको बायोमीट्रिक पहचान देता है, उनका हक पक्का करता है, भ्रश्टाचार को रोककर करीब 20 बिलियन डॉलर से ज्यादा बचाता है, तो उसके साथ बनी आधुनिक व्यवस्थाएं, पूरी दुनिया के लिए एक नई उम्मीद बनकर आती हैं।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘वर्ष 2022, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा, तब तक हम गरीबों के लिए 2 करोड़ और घरों का निर्माण करने वाले हैं। विश्व ने भले ही टी.बी. से मुक्ति के लिए वर्ष 2030 तक का समय रखा हो, लेकिन हम 2025 तक भारत को टी.बी. मुक्त करने के लिए काम कर रहे हैं। सवाल ये है कि आखिर ये सब हम कैसे कर पा रहे हैं, आखिर नए भारत में बदलाव तेजी से कैसे आ रहा है?’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज से तीन हजार वर्ष पूर्व, भारत के महान कवि, कणियन पूंगुन्ड्रनार ने विश्व की प्राचीनतम भाषा तमिल में कहा था- “यादुम् ऊरे, यावरुम् केड़िर”। यानि “हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं और सभी लोग हमारे अपने हैं”। देश की सीमाओं से परे, अपनत्व की यही भावना, भारत भूमि की विशेषता है। भारत ने बीते पाँच वर्षों में, सदियों से चली आ रही विश्व बंधुत्व और विश्व कल्याण की उस महान परंपरा को मजबूत करने का काम किया है, जो संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का भी ध्येय रही है। भारत जिन विषयों को उठा रहा है, जिन नए वैश्विक मंचों के निर्माण के लिए भारत आगे आया है, उसका आधार वैश्विक चुनौतियां हैं, वैश्विक विषय हैं और गंभीर समस्याओं के समाधान का सामूहिक प्रयास है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यू.एन. पीसकीपिंग मिशन्स में सबसे बड़ा बलिदान अगर किसी देश ने दिया है, तो वो भारत है। हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं, शांति का संदेश दिया है। और इसलिए हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी। हम मानते हैं कि ये किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। आतंक के नाम पर बंटी हुई दुनिया, उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर यू.एन. का जन्म हुआ है। औऱ इसलिए मानवता की खातिर, आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत होना, एकजुट होना मैं अनिवार्य समझता हूं।’