प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 20 सितंबर को गुजरात के भावनगर में 34,200 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत का आत्मनिर्भर बनना जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का सबसे बड़ा शत्रु कोई और नहीं, बल्कि विदेशी निर्भरता है, जिसे हर हाल में समाप्त करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि100 दुखों की एक ही दवाई है और वो है आत्मनिर्भर भारत बनाना। उन्होंने कहा कि चाहे चिप्स हों या शिप्स, हमें उन्हें भारत में ही बनाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत ही 140 करोड़ भारतीयों का भविष्य सुनिश्चित कर सकता है।
100 दुखों की एक ही दवाई है — आत्मनिर्भर भारत |
दुनिया में हमारा असली दुश्मन कोई देश नहीं, बल्कि विदेशी निर्भरता है।
140 करोड़ देशवासियों का भविष्य दूसरों पर नहीं छोड़ा जा सकता।
हमारी ताक़त है—आत्मनिर्भर भारत #MaritimeHeritage #ModiHaiToMumkinHai pic.twitter.com/o09HquSPa9— ModiNama (मोदी का परिवार) (@ModiNama2024) September 20, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक समय में समुद्री शक्ति और जहाज निर्माण का वैश्विक केंद्र था। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की गलत नीतियों के कारण देश की जहाज निर्माण प्रणाली ध्वस्त हो गई और भारत को विदेशी जहाजों पर निर्भर रहना पड़ा। उन्होंने बताया कि आज भारत के 95 प्रतिशत समुद्री व्यापार पर विदेशी जहाजों का नियंत्रण है और देश हर वर्ष लगभग 75 बिलियन डॉलर यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपये विदेशी शिपिंग सेवाओं पर खर्च करता है, जो भारत के रक्षा बजट के बराबर है। यदि पूर्ववर्ती सरकारें जहाज निर्माण क्षेत्र को समर्थन देतीं, तो भारत आज वैश्विक समुद्री व्यापार में एक अग्रणी शक्ति होता।
भावनगर, गुजरात: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत में जहाज निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, कांग्रेस ने विदेशी जहाज किराए पर लेना पसंद किया। इससे भारत का जहाज निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र ठप्प हो गया…” pic.twitter.com/MJc5gDJ7k0
— IANS Hindi (@IANSKhabar) September 20, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब से बड़े जहाजों को ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर’ का दर्जा दिया गया है, जिससे भारतीय शिपबिल्डिंग कंपनियों को बैंक ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी और उन्हें कम ब्याज दरों पर वित्तीय सहायता मिल सकेगी। उन्होंने ‘वन नेशन, वन डॉक्यूमेंट’ और ‘वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस’ की शुरुआत की भी घोषणा की, जिससे समुद्री व्यापार को सरल और पारदर्शी बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि समुद्री क्षेत्र के लिए तीन प्रमुख योजनाओं पर काम हो रहा है, जिनमें आधुनिक तकनीक को अपनाना, डिजाइन व गुणवत्ता सुधारना और वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है। इन योजनाओं में आगामी वर्षों में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा।
आज से देश के हर मेजर पोर्ट को भांति-भांति के डॉक्युमेंट्स से, अलग-अलग प्रोसेसेज़ से मुक्ति मिलेगी।
वन नेशन, वन डॉक्युमेंट…
और वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस…अब व्यापार-कारोबार को और सरल करने वाली है।
– मान. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी#SamudraSeSamriddhi @shipmin_india… pic.twitter.com/JGZkIA8jHe
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प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की समृद्ध समुद्री विरासत की चर्चा करते हुए कहा कि गुजरात और खासकर सौराष्ट्र क्षेत्र ने ऐतिहासिक रूप से जहाज निर्माण और समुद्री व्यापार में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने लोथल में एक विश्वस्तरीय समुद्री संग्रहालय बनाए जाने की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि भारत का पहला डीप-वाटर कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट केरल में शुरू हो चुका है और महाराष्ट्र के वधावन में 75,000 करोड़ रुपये की लागत से एक और विश्वस्तरीय बंदरगाह का निर्माण किया जा रहा है, जो दुनिया के टॉप-10 बंदरगाहों में शामिल होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में भारत की पोर्ट क्षमता दोगुनी हो गई है और शिप टर्न-अराउंड टाइम दो दिन से घटकर एक दिन से भी कम हो गया है। उन्होंने बताया कि आज भारत में तीन लाख से अधिक सीफेयरर्स हैं, जबकि एक दशक पहले यह संख्या 1.25 लाख से भी कम थी। भारत आज दुनिया के उन शीर्ष तीन देशों में शामिल है, जो सबसे अधिक समुद्री पेशेवर प्रदान करते हैं।
अपने संबोधन के आखिर में प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आह्वान किया कि वे स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दें। उन्होंने दुकानदारों से अनुरोध किया कि वे अपनी दुकानों पर यह संदेश लगाएं- “गर्व से कहो, यह स्वदेशी है।” उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता की भावना ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाएगी और हर त्योहार को भारत की समृद्धि का उत्सव बनाएगी।