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पीएम मोदी ने किया अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन, कहा- शिक्षा में देश का भाग्य बदलने की ताकत

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जुलाई 2023 को अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। दो दिन तक चलने वाला अखिल भारतीय शिक्षा समागम हाल ही में शुरू हुए भारत मंडपम में हो रहा है। इस मौके पर पीएम मोदी ने बच्चों से बात की और एक प्रदर्शनी का दौरा भी किया। उन्होंने शिक्षा और कौशल की 12 भारतीय भाषाओं में किताबों का विमोचन किया और पीएम श्री की पहली किस्त का अनावरण बटन दबाकर किया। इसके तहत 6207 स्कूलों को करीब 630 करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी। यह भारत सरकार की नई योजना है, जिससे स्कूलों को बेहतर किया जाएगा। इसके तहत करीब 27 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस अवसर पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि यह शिक्षा ही है जो देश की किस्मत बदलने की ताकत रखती है। हमारी शिक्षा प्रणाली आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए भारत की परंपराओं को संरक्षित कर रही है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ट्रेडिशनल नॉलेज सिस्टम और भविष्य की तकनीक को समान महत्व
कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि यह शिक्षा ही है जो देश की किस्मत बदलने की ताकत रखती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने ट्रेडिशनल नॉलेज सिस्टम और भविष्य की तकनीक को समान महत्व दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए भारत की परंपराओं को संरक्षित कर रही है। मुझे खुशी है कि हम चर्चा और संवाद की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 3 साल पूरे
उन्होंने कहा आज हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 3 साल पूरे हो रहे हैं। मैं इसे एक मिशन के रूप में लेकर आगे बढ़ाने वाले सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं। अभी प्रदर्शनी देखी, जिसमें नए-नए इनोवेटिव तरीके दिखाए गए। बच्चों से मिला, देखा कि कैसे वह खेल-खेल में बहुत कुछ सीख रहे हैं। जब युग बदलने वाले परिवर्तन होते हैं तो वह कुछ समय लेते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सभी ने साहस दिखाया है, यह मुझे खुशी देता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की बात की गई है।

भविष्य में भारत की क्षमता का मुकाबला आसान नहीं होगा
अखिल भारतीय शिक्षा समागम में पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया जानती है कि जब सॉफ्टवेयर टेक्नालजी की बात आएगी, तो भविष्य भारत का है। जब स्पेस टेक की बात होगी तो भारत की क्षमता का मुकाबला आसान नहीं है। जब डिफेंस टेक्नालजी की बात होगी तो भारत का ‘लो कॉस्ट’ और ‘बेस्ट क्वालिटी’ का मॉडल ही हिट होगा।

भारत की परंपराओं में दुनिया की दिलचस्पी बढ़ रही
पीएम मोदी ने कहा कि भारत भी जैसे-जैसे मजबूत हो रहा है, भारत की पहचान और परंपराओं में भी दुनिया की दिलचस्पी बढ़ रही है। हमें इस बदलाव को विश्व की अपेक्षा के तौर पर लेना होगा। योग, आयुर्वेद, कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाएं जुड़ी हैं। हमें हमारी नई पीढ़ी को इनसे परिचित करवाना होगा।

अपनी भाषा को बनाएं ताकत, हीन भावना को पीछे छोड़ें
प्रधानमंत्री ने कहा हमारे यहां समृद्ध भाषाएं होने के बावजूद हमने उसे पिछड़ेपन की तरह पेश किया है। जो अंग्रेजी नहीं बोल पाता उसे पिछड़ा समझा जाता है। आज भारत ने इस हीन भावना को पीछे छोड़ने की शुरुआत की है। मैं हर जगह इसीलिए हिंदी में भाषण देता हूं। अब सोशल साइंस से लेकर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई भी भारतीय भाषाओं में होगी। युवाओं के पास भाषा का आत्मविश्वास होगा। भाषा की राजनीति कर के अपनी नफरत की दुकान चलाने वालों का भी शटर डाउन हो जाएगा।

युवाओं को भाषा के आधार पर जज किया जाना अन्याय
पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में परंपरागत ज्ञान व्यवस्था से लेकर भविष्य की टेक्नोलॉजी तक को बराबर अहमियत दी गई है। युवाओं को उनकी प्रतिभा की जगह उनकी भाषा के आधार पर जज किया जाना सबसे बड़ा अन्याय है। मातृभाषा में पढ़ाई होने से भारत के युवा टैलेंट के साथ अब असली न्याय की शुरुआत होने जा रही है।

हर युवा को शिक्षा के समान अवसर देना है मकसद
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के हर युवा को शिक्षा के समान अवसर देना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मकसद है। सिर्फ स्कूल खोलना भर काफी नहीं, हर बच्चे की समझ और पसंद के हिसाब से उसे विकल्प मिलने चाहिए। अब प्रयास ये है कि हर वर्ग के युवाओं को एक जैसा मौका मिले। पहले दूर के इलाकों में अच्छे स्कूल नहीं थे, इसलिए बच्चे नहीं पढ़ पाते थे। आज दूर-दराज के स्कूलों को पीएम श्री स्कूल के तौर पर अपग्रेड किया जा रहा है।

शिक्षा को मिल रहा टेक्नोलॉजी का फायदा
5जी के इस युग में आधुनिक हाईटेक स्कूल हैं। दूर-दराज के इलाकों में भी बच्चे अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं। डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए हर जगह मौके खुल रहे हैं। इस पॉलिसी का मकसद यह भी है कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित ना रहे। इसके लिए वोकेशनल एजुकेशन को जनरल एजुकेशन के साथ जोड़ा जा रहा है, जिसका फायदा कमजोर और पिछड़े बच्चों को मिलेगा। किताबी पढ़ाई के कारण यही बच्चे सबसे ज्यादा पिछड़ते थे। अब तमाम स्कूलों में लैब हैं, जिनमें बच्चे पढ़ रहे हैं। इनमें पढ़कर बच्चे आगे बढ़ेंगे और रिसर्च में देश को आगे बढ़ाएंगे।

आने वाले 25 वर्षों में ऊर्जा से भरी युवा पीढ़ी का निर्माण करना है
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में, आने वाले 25 वर्षों में हमें ऊर्जा से भरी एक युवा पीढ़ी का निर्माण करना है, जो गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो। जो नए-नए इन्वोशेन के लिए लालायित हो। जो साइंस से लेकर स्पोर्ट्स तक हर क्षेत्र में भारत का नाम आगे बढ़ाएं। जो 21वीं सदी के भारत की आवश्यकताओं को समझते हुए अपना सामर्थ्य बढ़ाए। जो कर्तव्य बोध से भरी हुई हो, अपने दायित्व को जानती और समझती हो। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बहुत बड़ी भूमिका है।

छात्र नई व्यवस्थाओं से भली-भांति परिचित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि NEP ने पारंपरिक ज्ञान प्रणाली से लेकर भविष्य की तकनीक तक को संतुलित तरीके से महत्व दिया है। रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए देश के शिक्षा जगत के सभी महानुभावों ने बहुत मेहनत की है। हमारे छात्र नई व्यवस्थाओं से भली-भांति परिचित हैं, वे जानते हैं कि 10+2 शिक्षा प्रणाली की जगह अब 5+3+3+4 लाई जा रही है।

काशी के रूद्राक्ष से भारत मंडपम तक प्राचीनता और आधुनिकता का संगम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि काशी के रुद्राक्ष से लेकर आधुनिक भारत के इस मंडपम तक अखिल भारतीय शिक्षा समागम की यात्रा अपने आप में एक संदेश समेटे हुए है। यह प्राचीनता और आधुनिकता का संगम है। हमारी शिक्षा प्रणाली भारत की परंपराओं को संरक्षित कर रही है, वहीं देश आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी आगे बढ़ रहा है।

पीएम श्री स्कीम के तहत खर्च होंगे 27 हजार करोड़ रुपए
पीएम श्री स्कीम का पूरा नाम प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया है। इसके तहत देश के 14 हजार 500 पुराने स्कूलों का अपग्रेडेशन करके उन्हें आधुनिक विद्यालयों में बदलना है। इससे स्कूलों को मॉडर्न बनाकर बच्चों को स्मार्ट एजुकेशन से जोड़ा जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत साल 2022-23 से 2026 तक पांच साल में इन स्कूलों पर कुल 27 हजार 360 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अपग्रेड किए गए स्कूलों में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के मुताबिक पढ़ाई होगी। और स्कीम के तहत चुने गए स्कूल अपने-अपने क्षेत्रों के दूसरे स्कूलों को मेंटरशिप देंगे और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के गोल अचीव करने के लिए लीडरशिप भी देंगे। इस स्कीम के तहत ग्रीन स्कूल डेवलप किए जाएंगे। इनमें सौलर पैनल, एलइडी लाइट, वेस्ट मैनेजमेंट, जीरो प्लास्टिक यूज और जल संरक्षण को शामिल किया जाएगा।

शिक्षा समागम में शिक्षा सर्वोत्तम तौर-तरीकों पर चर्चा होगी
29 और 30 जुलाई को आयोजित होने वाला यह दो दिवसीय कार्यक्रम शिक्षाविदों, क्षेत्र विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, उद्योग प्रतिनिधियों, शिक्षकों और स्कूलों, उच्च शिक्षा और कौशल संस्थानों के छात्रों सहित अन्य लोगों को एनईपी 2020 को लागू करने संबंधी अपनी अंतर्दृष्टि, सफलता की गाथाओं तथा सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने तथा इन्हें और आगे ले जाने के क्रम में रणनीतियां तैयार करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।

शिक्षा समागम में कुल 16 सत्र होंगे
अखिल भारतीय शिक्षा समागम में सोलह सत्र शामिल होंगे, जिनमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच, न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह के मुद्दे, राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण समेत अन्य विषयों पर चर्चा होगी।

34 साल बाद देश को मिली नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी
साल 2020 में नई एजुकेशन पॉलिसी को लागू किया गया था। 1986 के बाद यानी 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति में बदलाव हुआ था। इसमें बच्चे के प्राइमरी स्कूल में एडमिशन से लेकर हायर एजुकेशन कर जॉब फोर्स से जुड़ने तक काफी बदलाव किए गए हैं। नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट इसरो के वैज्ञानिक रह चुके शिक्षाविद के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी ने बनाया था। भारत की नई शिक्षा नीति, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ (NEP) को सरकार ने जुलाई 2020 में हरी झंडी दे दी। 1968 और 1986 के बाद, यह स्वतंत्र भारत की तीसरी एजुकेशन पॉलिसी है।

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