प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कोरोना संकट के दौरान देश में ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की उपलब्धता को लेकर समीक्षा बैठक की है। बैठक में बताया गया कि स्टील प्लांट, पेट्रोकैमिकल इकाइयों के साथ रिफाइनरियां, रिच कंबस्टन प्रोसेस का उपयोग करने वाले उद्योग, पावर प्लांट जैसे कई उद्योगों के पास ऑक्सीजन प्लांट हैं जो गैसीय ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं जिनका प्रोसेस में उपयोग किया जाता है। मेडिकल उपयोग के लिए इस ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऐसी औद्योगिक इकाइयों की पहचान करने, उनकी सूची बनाने और उस स्रोत के निकट ऑक्सीजनयुक्त बेड के साथ अस्थायी कोविड देखभाल केंद्रों की स्थापना करने के लिए रणनीति का उपयोग किया जा रहा है। ऐसी पांच फैसिलिटीज के लिए पायलट कार्य पहले ही आरंभ किया जा चुका है और इस दिशा में अच्छी प्रगति दर्ज की गई है। उम्मीद है कि ऐसे संयंत्रों के निकट अस्थायी अस्पतालों से कम समय में करीब 10,000 ऑक्सीजनयुक्त बेड का निर्माण किया जा सकता है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने के काम की प्रगति की समीक्षा की चिकित्सा ऑक्सीजन की जरूरत को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन उत्पादन के लिए मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने की कहा है। उद्योगों के साथ विचार-विमर्श के बाद अब तक 14 उद्योगों की पहचान की गई है, जहां नाइट्रोजन संयंत्रों में बदलाव का काम प्रगति पर है। इसके अलावा, उद्योग संघों की मदद से 37 नाइट्रोजन संयंत्रों की इस कार्य के लिए पहचान की गई है।