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ना नाम चाहिए, ना इनाम चाहिए, बस देश आगे बढ़े ये अरमान चाहिए– बुलेट ट्रेन कर्मी के शब्दों ने पीएम मोदी को किया भावुक

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भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम कर रही टीम के जज्बे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सूरत में भावुक कर दिया। मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के सूरत स्टेशन का निरीक्षण करने पहुंचे प्रधानमंत्री ने इंजीनियरों और कर्मचारियों से संवाद किया। इसी दौरान एक कर्मचारी ने कविता के जरिए अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा– ना नाम चाहिए, ना इनाम चाहिए, बस देश आगे बढ़े ये अरमान चाहिए। ये शब्द सुनकर स्थल पर एक प्रेरणादायक माहौल बन गया।

प्रधानमंत्री मोदी मुस्कुराए और बोले, वाह! उन्होंने कर्मचारियों की प्रतिबद्धता और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि यही सच्ची राष्ट्र सेवा है, जब व्यक्ति अपने गौरव से ऊपर उठकर देश को आगे बढ़ाने का संकल्प लेता है।

सूरत स्टेशन पर प्रधानमंत्री ने न सिर्फ निर्माण कार्यों की समीक्षा की, बल्कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से जुड़ी तकनीकी प्रगति और लक्ष्य पूर्ति के बारे में भी जानकारी ली। इस दौरान केरल की एक इंजीनियर ने बताया कि वे नवसारी के Noise Barrier Factory में रोबोटिक यूनिट्स के जरिए वेल्डिंग कार्य देख रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन के निर्माण में योगदान देना उनके परिवार के लिए गर्व और स्वप्न दोनों जैसा है।

कर्नाटक की लीड इंजीनियरिंग मैनेजर श्रुति ने तकनीकी प्रक्रियाओं के बारे में बताया कि उनकी टीम हर स्टेप पर डिजाइन और क्वालिटी कंट्रोल की जांच करती है ताकि कोई त्रुटि न रहे। श्रुति ने कहा कि हम हर फेज में सही-गलत को देखते हैं, और बेहतर समाधान ढूंढने की कोशिश करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया कि इस परियोजना के हर अनुभव को ‘ब्लू बुक’ के रूप में दर्ज किया जाए, ताकि भविष्य में जब देश में और बुलेट ट्रेनें बने, तो उन्हें नई शुरुआत न करनी पड़े, बल्कि यहां की सीख से दिशा मिले। उन्होंने कहा, “अनुकरण तब ही सार्थक है, जब हम यह समझें कि कौन-सा कदम क्यों उठाया गया।”

संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे अपनी कार्ययात्रा को प्रेरक रूप में आने वाली पीढ़ी के लिए छोड़ें। उन्होंने कहा, “हम अपना जीवन यहीं समर्पित करेंगे और देश के लिए कुछ मूल्यवान छोड़ जाएंगे।”

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव भी इस अवसर पर मौजूद थे। प्रधानमंत्री की यह यात्रा न सिर्फ परियोजना की समीक्षा थी, बल्कि उन कर्मियों के समर्पण को सम्मान देने का क्षण भी, जो भारत की पहली बुलेट ट्रेन के सपने को हकीकत में बदलने में जुटे हैं।

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