प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 11 दिसंबर को महान तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती की संपूर्ण रचनाओं के संग्रह का विमोचन किया। इन रचनाओं के 23 खंडों के संग्रह को सीनी विश्वनाथन ने संकलित और संपादित किया है। इसमें सुब्रमण्यम भारती के लेखन के संस्करणों, स्पष्टीकरणों, दस्तावेजों, पृष्ठभूमि की जानकारी और दार्शनिक प्रस्तुति का विवरण शामिल है। एलायंस पब्लिशर्स ने इसे प्रकाशित किया है।
महाकवि भारतियार के नाम से विश्व विख्यात महान तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती का जन्म 11 दिसंबर सन् 1882 में हुआ था और निधन 38 साल की उम्र में 12 सितंबर को 1921 को हो गया था। 7 लोक कल्याण मार्ग, नई दिल्ली में उनकी संपूर्ण रचनाओं के संग्रह का विमोचन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उनके रचनात्मक योगदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सुब्रमण्यम भारती जैसा व्यक्तित्व सदियों में कभी एक बार मिलता है। उनका चिंतन, उनकी मेधा, उनका बहु-आयामी व्यक्तित्व, ये आज भी हर किसी को भी हैरान करता है। केवल 39 वर्ष के जीवन में भारती जी ने हमें इतना कुछ दिया है, जिसकी व्याख्या में विद्वानों का जीवन निकल जाता है। बचपन में खेलने और सीखने की उम्र में वो राष्ट्रप्रेम की भावना जगा रहे थे। एक ओर वो अध्यात्म के साधक भी थे, दूसरी ओर वो आधुनिकता के समर्थक भी थे।
Subramania Bharati Ji’s thoughts and intellectual brilliance continue to inspire us even today. pic.twitter.com/uUmUufXRJu
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प्रधानमंत्री ने कहा कि सुब्रह्मण्य भारती जी ऐसे महान मनीषी थे, जो देश की आवश्यकताओं को देखते हुए काम करते थे। उन्होंने हर उस दिशा में काम किया, जिसकी जरूरत उस समय देश को थी। भारतियार केवल तमिलनाडु और तमिल भाषा की ही धरोहर नहीं हैं। वो एक ऐसे विचारक थे, जिनकी हर सांस मां भारती की सेवा के लिए समर्पित थी। भारत का उत्कर्ष, भारत का गौरव, ये उनका सपना था।
सुब्रमण्यम भारती ऐसे महान मनीषी थे, जो देश की आवश्यकताओं को देखते हुए काम करते थे, उनका विजन बहुत व्यापक था।
उन्होंने हर उस दिशा में काम किया, जिसकी जरूरत उस कालखंड में देश को थी।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज गीता जयंती का पावन अवसर भी है। सुब्रमण्यम जी की गीता के प्रति गहरी आस्था थी और गीता ज्ञान को लेकर उनकी समझ भी उतनी ही गहरी थी। उन्होंने गीता का तमिल में अनुवाद किया और सरल व्याख्या भी की।
#WATCH दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकवि सुब्रमण्यम भारती की रचनाओं के संकलन के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “आज गीता जयंती का पावन अवसर भी है। श्री सुब्रमण्यम भारती जी की गीता के प्रति गहरी आस्था थी और गीता ज्ञान को लेकर उनकी समझ भी उतनी ही गहरी थी।… pic.twitter.com/5I4uVtCe6h
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प्रधानमंत्री ने कहा कि वो दो टूक कहते थे, समाज को दिशा दिखाते थे। भारती जी समाज को कमजोर और वंचित लोगों की मदद के लिए प्रेरित करते थे। अपनी कविता संग्रह कण्णन पाट्टु में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की कल्पना 23 रूपों में की है। अपनी एक कविता में वो गरीब परिवारों के लिए, सबसे जरूरतमंद लोगों के लिए कपड़ों का उपहार मांगते हैं। इस तरीके से वो उन लोगों तक संदेश पहुंचा रहे थे, जो दान कर पाने में सक्षम थे। परोपकार की प्रेरणा से भरी उनकी कविताओं से हमें आज भी प्रेरणा मिलती है।
समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतियार अपने समय से बहुत आगे देखने वाले, भविष्य को समझने वाले व्यक्ति थे। उस दौर में भी, जब समाज दूसरी मुश्किलों में उलझा था। भारतियार युवा और महिला सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक थे। भारतियार का विज्ञान और इनोवेशन में भी अपार भरोसा था। उन्होंने उस दौर में ऐसी कम्युनिकेशन की परिकल्पना की थी, जो दूरियों को कम करके पूरे देश को जोड़ने का काम करे।
Mahakavi Subramania Bharati possessed a remarkable foresight into future possibilities. Even during a time when society faced numerous challenges, he championed the empowerment of youth and women. He also placed great faith in the advancement of science and innovation: Prime… pic.twitter.com/gZTIE2EHUk
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में तमिल भाषा के गौरव के लिए देश ने समर्पित भाव से काम किया है। मैंने यूनाइटेड नेशंस में तमिल के गौरव को पूरी दुनिया के सामने रखा। हम दुनिया भर में थिरुवल्लवर कल्चरल सेंटर्स भी खोल रहे हैं। एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना में सुब्रह्मम्य भारती के विचारों का प्रतिबिंब है।