प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज, 15 नवंबर को गुजरात के डेडियापाड़ा में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने 9,700 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
अपने भाषण की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2021 में उनकी सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को पहली बार राष्ट्रीय पटल पर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में स्थापित किया, जबकि आजादी के बाद लंबे समय तक आदिवासी नायकों को भूला दिया गया। उन्होंने तिलका मांझी, सिधो-कान्हो, रानी गाइदिनल्यू, वीर नारायण सिंह, अल्लूरी सीताराम राजू और लक्ष्मण नायक जैसे अनेक आदिवासी नायकों के बलिदान को याद किया और कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज की भूमिका अभूतपूर्व रही है, लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने इसे उचित स्थान नहीं दिया।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि छह दशक तक शासन करने वाली कांग्रेस ने आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, कनेक्टिविटी और पोषण जैसी बुनियादी जरूरतों की भारी कमी रही, पर कांग्रेस सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं। उन्होंने कहा कि 2013 में कांग्रेस द्वारा जनजातीय विकास के लिए कुछ हजार रुपये की योजना बनाना इस उपेक्षा का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद भाजपा सरकार ने जनजातीय मंत्रालय का बजट कई गुना बढ़ाया, इसे प्राथमिकता दी और आदिवासी विकास को राष्ट्र के एजेंडा के केंद्र में रखा।

अपने गुजरात के अनुभव साझा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि दो दशक पहले अंबाजी से उमरगांव तक के आदिवासी पट्टे में साइंस स्ट्रीम का एक भी स्कूल नहीं था, और डेडियापाड़ा-सागबारा के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच मुश्किल थी। उन्होंने कहा कि गुजरात में बड़े पैमाने पर स्कूल, कॉलेज, होस्टल और दो ट्राइबल यूनिवर्सिटियां स्थापित की गईं, जिसकी वजह से आज इस क्षेत्र के हजारों युवा डॉक्टर, इंजीनियर और शोधकर्ता बन रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों पर 18,000 करोड़ रुपये खर्च करने से ट्राइबल छात्रों के एडमिशन में 60 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार वंचित को वरीयता के सिद्धांत पर काम करती है और इसी विजन के चलते अनेक योजनाएं आदिवासी बहुल इलाकों से शुरू की गईं। आयुष्मान भारत योजना रांची के आदिवासी क्षेत्र से लॉन्च हुई, जबकि आयुष्मान आरोग्य मंदिर की शुरुआत छत्तीसगढ़ से हुई। सबसे पिछड़े आदिवासियों तक पहली बार बिजली, पानी, सड़क और अस्पताल पहुंचाने के उद्देश्य से पीएम जनमन योजना झारखंड के खूंटी से शुरू की गई, जिसके लिए 24,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ ही धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत देशभर के 60,000 से अधिक गांवों में पहली बार पाइपलाइन से पीने का पानी और कई जगह टेली-मेडिसिन की सुविधा शुरू हुई है।

सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी सरकार आदिवासी जीवन के हर पहलू पर काम कर रही है- वन उपज को बढ़ाकर, एमएसपी सुधार कर, और सिकिल सेल जैसी बीमारियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत कर। उन्होंने यह भी बताया कि नई शिक्षा नीति से अब बच्चे अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ रहे हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आदिवासी समाज भारत की आत्मा और चेतना का अभिन्न हिस्सा है। उनकी बोली, ज्ञान, कला, जीवन शैली और प्रकृति की समझ देश की अनमोल धरोहर है। सरकार इन परंपराओं को संरक्षित करने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।









