प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 नवंबर को पहले लेखा-परीक्षण दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में कार्यक्रम को संबोधित करने के साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण भी किया। इस कार्यक्रम में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था, जब देश में लेखा-परीक्षण को आशंका और भय के साथ देखा जाता था। ‘सीएजी बनाम सरकार,’ यह हमारी व्यवस्था की सामान्य सोच बन गई थी। लेकिन, आज ये मानसिकता बदली है और ऑडिट को वैल्यू एडिशन का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीएजी न केवल राष्ट्र के लेखा-खातों पर नजर रखता है, बल्कि उत्पादकता और दक्षता में मूल्यवर्धन भी करता है, इसलिए लेखा-परीक्षण दिवस पर विचार-विमर्श और संबंधित कार्यक्रम हमारे सुधार व आवश्यक बदलाव का हिस्सा हैं। सीएजी एक ऐसी संस्था है, जिसका महत्व बढ़ गया है और इसने समय बीतने के साथ एक विरासत को विकसित किया है।
उन्होंने कहा, “आज हम ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं, जिसमें ‘सरकार सर्वम्’ की सोच, यानी सरकार का दखल भी कम हो रहा है और आपका काम भी आसान हो रहा है।” उन्होंने लेखा-परीक्षकों को बताया, “यह मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के अनुसार किया जा रहा। संपर्क रहित प्रक्रिया, स्वचालित नवीनीकरण, व्यक्ति की उपस्थिति के बिना मूल्यांकन, सेवाओं के लिये ऑनलाइन आवेदन – इन सभी सुधारों ने सरकार की अनावश्यक दखलंदाजी को खत्म कर दिया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुराने समय में सूचनाएं, कहानियों के जरिये प्रसारित होती थीं। कहानियों के जरिए ही इतिहास लिखा जाता था। उन्होंने कहा कि आज 21वीं सदी में डेटा ही सूचना हैं और आने वाले समय में हमारा इतिहास भी डेटा के जरिए ही देखा और समझा जाएगा। प्रधानमंत्री ने आखिर में कहा कि भविष्य में आंकड़े ही इतिहास को दिशा दिखाएंगे।