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प्रधानमंत्री मोदी की ‘मन की बात’ : कुछ दिलचस्प बातें जो आप जानना चाहेंगे

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‘मन की बात’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अति लोकप्रिय और मासिक रेडियो संबोधन है। विजुअल मीडिया के दौर में यह ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर में रेडियो के इतिहास में सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम है। ‘मन की बात’ कार्यक्रम अपनी पॉजिटिविटी के कारण आम लोगों में व्यापक पहुंच बना चुका है और इसके कई एपिसोड जन भागीदारी के लिए अहम प्लेटफॉर्म साबित हुए हैं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की अपील हो या कैशलेस ट्रांजेक्शन की अपील या फिर सेल्फी विद डॉटर शेयर करने की अपील, सबका असर हुआ और देश के आम लोगों ने इनमें अपना योगदान दिया है। अगर ‘मन की बात’ का विश्लेषण किया जाए तो इसके कुछ आंकड़े बेहद दिलचस्प हैं।

इन विषयों पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई
मन की बात कार्यक्रम में किस विषय पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई अगर इसपर ध्यान दिया जाए तो स्किल डेपलेपमेंट और एजुकेशन 31 प्रतिशत, महिला- बाल कल्याण के साथ सामाजिक उत्थान और सामाजिक परिवर्तन पर 20 प्रतिशत चर्चा हुई। अर्थव्यवस्था और डिजिटल इंडिया से जुड़े विषय पर 17 प्रतिशत, किसानों पर 14 प्रतिशत और गवर्नेंस पर 13 प्रतिशत चर्चा हुई।

सबसे ज्यादा चर्चा  प्रतिशत
स्किल डेवपलेपमेंट और एजुकेशन        31
महिला-बाल कल्याण और सामाजिक उत्थान        20
अर्थव्यवस्था और डिजिटल इंडिया        17
किसान        14
गवर्नेंस        13 

 

महिला-बाल विकास और खादी पर चर्चा
कुछ विषय मौसम और समय के हिसाब से चर्चा में रहे। 2015 और 2016 के मई, जून, जुलाई और अगस्त में योग और स्वास्थ्य के विषयों पर लगातार चर्चा हुई। महिला और बाल विकास पर भी ज्यादातर एपिसोड में उल्लेख हुआ है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और जनवरी के दौरान खादी के विषय पर उल्लेखनीय चर्चा हुई।

कालेधन के खिलाफ लड़ाई
कालेधन के खिलाफ सरकार की लड़ाई को लेकर भी ‘मन की बात’ के कई एपिसोड में चर्चा हुई। नोटबंदी के दौरान नवंबर 2014, अक्तूबर 2015, नवंबर 2015, दिसंबर 2015 और 2016 को भी इसपर चर्चा की। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अलग-अलग विषयों को उठाते रहे हैं। उन्होंने हर विषय को अलग तरीके से उठाया, उनसे जुड़ी कहानियां सुनाईं और फोन कॉल भी जोड़े गए।

स्वच्छता मिशन
‘मन की बात’ कार्यक्रम में साफ-सफाई, शौचालय और स्वच्छ भारत मिशन जैसे विषयों को लगातार खास स्थान मिलता रहा है। शुरुआती कुछ एपिसोड को छोड़कर हर समय इन विषयों पर चर्चा हुई है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रयासों को मिल रहे ठोस नतीजों के कारण 2016 के अंत से स्वच्छता पर चर्चा बढ़ी है।

मन की बात की देशव्यापी पहुंच
‘मन की बात’ की गूंज कश्मीर के पहाड़ों से लेकर कन्याकुमारी तक सुनाई पड़ी। यह राजस्थान और कच्छ के मरुस्थल में भी सुना गया, छत्तीसगढ़ और झारखंड के जंगलों के साथ-साथ उत्तर पूर्व में भी इसकी गूंज सुनाई पड़ी। ‘मन की बात’ की लोकप्रियता और पहुंच जानने के लिए ऑल इंडिया रेडियो ने अक्तूबर, 2016 को देशभर में सर्वे कराया। 22 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में हुए इस सर्वे में कई दिलचस्प बिन्दु उभरकर सामने आए-

*प्रधानमंत्री मोदी के इस रेडियो कार्यक्रम के बारे में देश के करीब 92 प्रतिशत लोग जानते थे और करीब 80 प्रतिशत ने इसे एक बार जरूर सुना था। मणिपुर में 95.5 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 92.5 प्रतिशत, गुजरात में 92.5 प्रतिशत, असम और गोवा में 90 प्रतिशत जागरूकता का स्तर देखा गया।

*जागरूकता के हिसाब से पश्चिमी जोन 96.7 प्रतिशत के साथ सबसे आगे रहा, इसके बाद पूर्वी जोन 88.5% का स्थान रहा।

*जहां लोगों ने कम से कम एक बार ‘मन की बात’ जरूर सुनी, उनमें मध्य प्रदेश और गुजरात 85 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर रहे, इसके बाद बिहार 78.5 प्रतिशत और गोवा एवं महाराष्ट्र का करीब 70 प्रतिशत का नंबर रहा।

*इसी तरह कम से कम एक बार ‘मन की बात’ सुनने वाले जोन में पश्चिम जोन 85.6 और पूर्वी जोन 82.4 प्रतिशत के साथ पहले और दूसरे स्थान पर रहा।

आम लोगों का जुड़ाव बढ़ा
‘मन की बात’ कार्यक्रम से लगातार लोगों का जुड़ाव देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी हर एपिसोड से पहले आम लोगों से अपना विचार साझा करने की अपील करते हैं। आमंत्रण, सुझाव, भागीदारी, योगदान, विचार जैसे शब्दों का मन की बात में बार-बार प्रयोग हुआ है।

‘मन की बात’ की अवधि
अगर मन की बात को अवधि के हिसाब से देखें तो सबसे छोटा एपिसोड पहला ही था जो 13 मिनट का था और सबसे लंबा एपिसोड 27 नवंबर 2016 का था, जो 37 मिनट का था।

स्रोत: ‘मन की बात रेडियो पर सामाजिक क्रांति’ पुस्तक

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