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लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी की अनूठी बातें

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हर साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से दिए जाने वाले प्रधानमंत्री के भाषण को पूरे देश में बहुत ध्यान से सुना जाता है। इसमें हमें सरकार की प्राथमिकताओं की झलक तो मिलती ही है, साथ ही यह अंदाज भी लगता है कि सरकार जनता की समस्याओं के समाधान के लिए क्या नीतियां बना रही हैं। इसमें सरकार की उपलब्धियों का बखान भी होता है। 2014 के पहले स्वतंत्रता दिवस पर दिया जाने वाला यह भाषण एक रस्म अदायगी सा बन गया था। पिछले चार वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतनी ऊर्जा, इतने आत्मविश्वास और सरलता से अपनी बात कही है कि देश के सवा सौ करोड़ लोगों की दिलचस्पी इसमें बढ़ गई है।

प्रधानमंत्री मोदी 2014 से अब तक चार बार लाल किले से देश को संबोधित कर चुके हैं। पिछले चार सालों में लाल किले से दिए अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक वादे किए, कई नई योजनाओं का जिक्र किया। साथ ही अपनी सरकार की नई कार्यशैली से भी देश की जनता को परिचित कराया। आइए देखते हैं चार साल बाद वे वादे और नीतियां कहां तक पहुंच सकी हैं, उन पर कितना अमल हुआ है।

बिना लिखा हुआ धारा प्रवाह भाषण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को जब लाल किले से अपना पहला भाषण दिया तो उन्होंने कई सारी परंपराओं को तोड़ते हुए एक नई लकीर खींच दी। अपने पूर्ववर्तियों के उलट उन्होंने बिना लिखा हुआ ऐसा धाराप्रवाह भाषण दिया कि राजनीतिक पंडितों से लेकर आम जनमानस तक उस पर मंत्रमुग्ध हो गया। लाल किले से अपने पहले भाषण की शुरुआत में ही उन्होंने खुद को प्रधानमंत्री के बजाय प्रधान सेवक कह कर लोगों का दिल जीत लिया था।

बिना बुलेट प्रूफ बॉक्स के ही भाषण
लाल किले पर अपने भाषण के दौरान उन्होंने एक पुरानी परंपरा को तोड़ दिया और बरसों बाद कोई प्रधानमंत्री बिना बुलेट प्रूफ बॉक्स के ही जनता से संवाद करता नजर आया। उन्होंने लाल किले के प्राचीर से देश को संदेश दिया कि अब वो चौकीदार बनकर सबकी सेवा करेंगे। अपनी जान की परवाह किए बगैर वो हर पल देश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।

बहुमत नहीं बल्कि सहमति की सरकार
अपने पहले भाषण में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनका पूरा फोकस ‘गुड गवर्नेंस’ पर है। उन्होंने कहा कि गुड गवर्नेंस के लिए बहुमत के साथ-साथ सहमति की भी जरूरी है। प्रधानमंत्री ने उपनिषदों में लिखे गये श्लोक ‘संगच्छद्वम् , संवदद्वम् संवो मनांसि जानृताम्’ को उद्धृत करते हुए कहा कि वे सबको साथ लेकर चलेंगे। प्रधानमंत्री की इस बात से तब विपक्ष को भी हैरानी हुई थी।

“होता है”, “चलता है”, से देश नहीं चल सकता
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्पर्धा में कोटि-कोटि भारतीयों के सपनों को साकार करना होगा तो यह “होता है”, “चलता है”, के रवैये से देश नहीं चल सकता। जन-सामान्य की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए, शासन व्यवस्था नाम का जो पुर्जा है, जो मशीन है, उसे गतिशील बनाना है और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयास का ही नतीजा है कि आज भारत की अर्थव्यवस्था तेजी बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। साथ ही विश्व की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था है।

योजना आयोग की जगह नीति आयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले भाषण में योजना आयोग की जगह नीति आयोग बनाने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेरा सपना एक ऐसी संस्था बनाना है, जिसके माध्यम से राज्यों को अपनी बात रखने के ज्यादा अवसर मिल सकें। इस तरह 1 जनवरी, 2015 को योजना आयोग की जगह नीति आयोग ने ले ली।

नई योजनाओं की सौगात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को अपने पहले भाषण में कई नई योनजाओं की घोषणा कीं, जिनमें जन धन योनजा, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, स्वच्छ भारत अभियान, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में ये योजनाएं काफी सफल रही हैं। जहां 11 अप्रैल, 2018 तक जनधन खातों की संख्या बढ़कर 31.45 करोड़ हो गई थी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन बन चुका है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब तक ग्रामीण भारत में 6.8 करोड़ से भी ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से एक नया नारा दिया- ‘मेक इन इंडिया’। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को मैन्युफैक्चरिंग हब और आयातक से निर्यातक देश बनाना है। प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में आज ‘मेक इन इंडिया’ अभियान परवान चढ़ता जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के लिए देश में ही बने 12 उच्च क्षमता वाले राडार खरीदने सहित 5,500 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक के सैन्य साजो सामान खरीदने को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों और युवाओं से ‘स्किल इंडिया’ के जरिए विकास को मिशन बनाने का संकल्प लेने को कहा। उन्होंने विदेशों में रह रहे भारतीयों को भी देश के निर्माण में भागीदारी का निमंत्रण दिया।

कृषि मंत्रालय का नाम किसान कल्याण मंत्रालय किया
15 अगस्त, 2015 को लाल किले से अपने दूसरे भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कृषि मंत्रालय अब कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के रूप में जाना जाएगा। साथ ही उन्होंने 2022 तक देश के किसानों की आमदनी को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मोदी सरकार लगातार काम कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कृषि में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में शिद्दत से लगी है। मोदी सरकार ने लागत का 1.5 गुना MSP देने का जो वादा किया था, उसे पूरा कर दिया है। धान के एमएसपी में 200 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की। इसके साथ ही खरीफ की कई अन्य फसलों का एमएसपी भी बढ़ाया। हाल ही में मोदी सरकार ने देश के गन्ना किसानों को राहत देने के लिए 8,500 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया।

स्टार्ट अप इंडिया-स्टैंड अप इंडिया
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ‘स्टार्ट अप इंडिया-स्टैंड अप इंडिया’ का ऐलान किया ताकि नये उद्यमियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंक नए उद्यमियों को आसान कर्ज देंगे। देश की सवा लाख बैंक शाखाएं दलितों-वंचितों के लिए विशेष योजनाएं बनाएंगी। देश में सवा लाख दलित उद्यमी पैदा किए जाएंगे। उन स्टार्टअप प्रोजेक्ट को अधिक मदद दी जाएगी, जिनसे अधिक रोजगार पैदा होंगे।
15 अगस्त, 2016 को लाल किले की प्राचीर से अपने तीसरे भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने रणनीति में परिवर्तन के संकेत दिए। वे प्रधानमंत्री के तौर पर अपना आधा कार्यकाल पूरा कर चुके थे और उन्होंने साबित किया कि वे सिर्फ कहने में नहीं बल्कि करने में विश्वास करते हैं। इसलिए पिछले दो स्वाधीनता दिवस पर बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा करने वाले भाषणों की तुलना में इस बार का उनका भाषण कुछ अलग रहा।

हम टालना नहीं, टकराना जानते हैं
अपने तीसरे भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब तक हम समस्याओं को सामने रखकर भिड़ते नहीं हैं, समस्याएं नहीं सुलझती हैं। उन्होंने कई वर्षों से टल रहे सेना के जवानों के वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे का समाधान कर हर जवान के घर खुशहाली पहुंचा दी। उन्होंने कहा कि आम आदमी को तकनीकी जानकारी नहीं होती है और वह फंस जाता है। पूरी पूंजी लगा देने के बाद भी समय पर मकान नहीं मिल पाता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने रियल एस्टेट बिल लाकर बिल्डरों के नकेल डाल दी है। हम टालना नहीं, टकराना जानते हैं।

समस्याएं हैं तो सामर्थ्य भी है
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि हां, हमने कई समस्याओं का सामना किया है, लेकिन हम इनसे निपटने में सक्षम हैं। भारत में लाखों समस्याएं हैं, लेकिन देश के 125 करोड़ नागरिकों के पास इससे सफलतापूर्वक निपटने की क्षमता है। उन्होंने कहा है कि देश को और ऊंचाई पर ले जाने के लिए हमें अपने काम करने की रफ्तार को और बढ़ाना होगा ताकि भारत वैश्विक पटल पर शीर्ष पर कायम हो सके।

कश्मीर पर ना गोली-ना गाली
15 अगस्त, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से लगातार चौथा भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने कई नई बातें कहीं, जिसने देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर में जारी हिंसा के समाधान के लिए मूल मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में जो कुछ भी घटनाएं घटती हैं, मुठ्ठी भर अलगाववादी लड़ते हैं। लेकिन ये समस्या ना गाली से सुलझेगी ना ही गोली से, ये समस्या सुलझेगी तो सिर्फ हर कश्मीरी को गले लगाने से।

आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से स्पष्ट संदेश दिया कि आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी आस्था के नाम पर धैर्य के अभाव में कुछ लोग ऐसी चीजें करते हैं जो समाज के ताने-बाने को बिगाड़ती हैं। ये धरती गांधी और बुद्ध की भूमि है, आस्था के नाम पर हिंसा को बल नहीं दे सकते हैं। पहले भारत छोड़ो का नारा था, अब भारत जोड़े का नारा है।

15 अगस्त, 2018 को प्रधानमंत्री मोदी पांचवीं बार लाल किले से देश को संबोधित करेंगे। जाहिर है जिस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से संबोधन को सिर्फ रस्म अदायगी से आगे बढ़कर जनता के साथ संवाद का एक बड़ा प्लेटफॉर्म बनाया है, ऐसे में लोगों की उम्मीदें भी बढ़ती जा रही हैं। यही नहीं पिछली बार की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री ने आम जनता से राय मांगी है कि वो प्रधानमंत्री के संदेश पर अपनी राय दें कि उन्हें किन विषयों पर बात करनी चाहिए। ऐसा करने वाले भी वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं।

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