Home नरेंद्र मोदी विशेष नवीन विचारों के प्रेरक स्रोत हैं पीएम मोदी

नवीन विचारों के प्रेरक स्रोत हैं पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईमानदारी, ऊर्जा, कर्मठता, क्षमता और दृढ़ निश्चयता पर देश को भरोसा है। वे इंडिया फर्स्ट के सूत्र वाक्य को लेकर देश को विकास के पथ पर लेकर चल रहे हैं। पीएम मोदी अक्सर कहते हैं कि हिंदुस्‍तान संभावनाओं का देश है। यहां अपार अवसर इंतजार कर रहे हैं और दुनिया हिंदुस्‍तान की तरफ देख रही है। उनकी ऐसी ही बातें लोगों में देश के लिए कुछ करने का हौसला प्रदान करती हैं। ऐसे कई लोग हैं जो पीएम मोदी की बातों से प्रेरणा लेकर कई ऐसे काम किए हैं जो देश-समाज के लिए न सिर्फ मिसाल बने हैं बल्कि भारत के भविष्य को लेकर एक निश्चिंतता का भाव उत्पन्न करते हैं।

आइए हम ऐसे ही कुछ उदाहरण देखते हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेकर कुछ ऐसे कार्य किए हैं जो उनकी प्रतिष्ठा में चार चांद तो लगा ही रहा है, लोगों को प्रेरणा भी दे रहा है।

चार दोस्तों ने बनाई फ्री वाई-फाई पंचायत
देश भर में डिजिटल इंडिया थीम पर जो काम केंद्र की मोदी सरकार कर रही हैं युवाओं में काफी उत्साह है। युवाओं की लगातार कोशिश है कि वो अपनी काबिलियत से इस मुहिम का हिस्सा बनें। इसी से प्रेरणा लेकर मध्य प्रदेश में चार युवाओं ने अद्भुत काम किया। युवा इंजीनियर शकील अंजुम, तुषार भरथरे, भानू यादव एवं अभिषेक भरथरे ने आपसी सहमति से राजगढ़ जिले के शिवनाथपुरा गांव और उसकी पंचायत बावडीखेड़ा जागीर को मुफ्त वायरलेस तकनीक से वाई फाई गांव बनाने की योजना बनाई, और उसे पूरा किया। बड़ी बात ये है कि इन्होंने बिना सरकारी सहायता के अपनी जेब से पैसे लगाकर इस काम को अंजाम दिया।

मेक इन इंडिया से मकरानी को प्रेम
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि क्लासरूम के सबसे पिछले बैंच पर बैठे छात्र में भी देश का एक बेहतरीन दिमाग मिल सकता है। मध्यप्रदेश के सागर जिले के रहने वाले 55 साल के मैकेनिक रईस महमूद मकरानी पीएम मोदी के मेक इन इंडिया से काफी प्रभावित हैं। उन्होंने पेट्रोल की बजाय पानी से चलने वाली कार और मोबाइल से कार ऑपरेट करने की तकनीक से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के होश उड़ा दिए। इस कामयाबी के बाद कई देशों की नामी कंपनियां उनसे तकनीक बेचने या फिर उनके देश में आकर सेवा देने का आग्रह कर चुकी हैं। मकरानी ने इस कार के फॉर्मूले का पेटेंट भी हासिल कर लिया है। लेकिन उनकी चाहत तो मेक इन इंडिया है।

चाय बेचने वाला बना चार्टर्ड अकाउंटेंट
महाराष्ट्र में पुणे के सदाशिव पेठ इलाके में चाय का ठेला लगाने वाला 28 साल का सोमनाथ गिराम अपनी मेहनत के दम पर चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गया। किसान परिवार में जन्मे सोमनाथ को पढ़ाई छोड़ने तक की नौबत आ गई थी। सोमनाथ पर भी रिश्तेदारों ने पढ़ाई छोड़ने का दबाव बनाया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और किताब से लेकर फीस तक का पूरा खर्च खुद उठाया। सोमनाथ ने बताया कि एक अखबार में प्रधानमंत्री मोदी की कहानी पढ़ी और उनसे प्रेरणा लेते हुए संघर्ष जारी रखा।


परिश्रम की पराकाष्ठा को तत्पर नवीन
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के धरियावद में उपखंड अधिकारी नवल किशोर गुप्ता ने जब पदभार संभाला तो वहां काम बहुत था। लोग समस्याओं से जूझ रहे थे। तब 1985 बैच के इस आरटीएस अधिकारी ने काम करने के तरीके में बदलाव करने की ठानी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सतत काम करने की शैली को अपनाते हुए गुप्ता ने शनिवार और रविवार को अवकाश के बावजूद काम करने का निर्णय लिया। जिसमें कार्यालय में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों का भी उन्हें पूरा सहयोग मिला। श्री गुप्ता की इस पहल को सभी की सराहना मिली।


मिसाल बनीं लता देवी
उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाली लता देवी दिवाकर ने अपने घर पर शौचालय बनवाने के लिए अपना मंगलसूत्र बेच दिया। लता के घर में कोई शौचालय नहीं था, जिससे परिवार को काफी परेशानी होती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्‍वच्‍छ भारत’ अ‍भियान से प्रेरित होकर लता ने घर में शौचालय बनवाने की सोची। मगर इसके लिए उन्‍होंने सरकार की सहायता लेने की बजाय अपना मंगलसूत्र बेचकर पैसे इकट्ठा किए। लता कहती हैं कि-हमें बहुत दिक्‍कत होती थी, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के अभियान से मुझे प्रेरणा मिली। आखिर में मैंने टॉयलेट बनवाने का फैसला किया। लता का कहना है कि शौचालय एक मूल जरूरत है जो आभूषण से बढ़कर है।

स्वच्छता की ब्रांड अंबेसेडर बनीं फूल कुमारी
बिहार के सासाराम के बाराहखन्ना गांव की एक महिला ने घर में शौचालय बनाने के लिए अपना मंगलसूत्र गिरवी रख दिया। स्थानीय पंचायत में काम करने वाली फूल कुमारी का पहले तो पुरुष सदस्यों ने विरोध किया लेकिन वो अड़ी रही। बाद में जिला प्रशासन ने उनके इस हौसले को सम्मान देते हुए उन्हें स्वच्छता अभियान का ब्रांड अंबेसेडर बना दिया।


पीएम की तारीफ से मिली प्रेरणा
टेमसुटुला एमसांग और दर्शिका शाह नई पीढ़ी के लिए उदाहरण हैं। अपने मिशन से ये दोनों ने वाराणसी के घाटों को स्वच्छ और खूबसूरत बनाने में लगी रहीं हैं। मिशन प्रभुघाट की पीएम मोदी भी तारीफ कर चुके हैं। टेमसुला का कहना है कि प्रधानमंत्री की प्रशंसा के बाद वह अब इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हुई हैं। नागालैंड की रहने वाली टेमसुला ने 2012 में मिशन प्रभुघाट शुरू किया था। जो पीएम मोदी की प्रेरणा से और आगे बढ़ रहा है।

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