Home समाचार पीएम मोदी ने किया जनऔषधि परियोजना के लाभार्थियों से संवाद, कम कीमत...

पीएम मोदी ने किया जनऔषधि परियोजना के लाभार्थियों से संवाद, कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के लाभार्थियों से बात की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि हर वर्ष सात मार्च को जन औषधि दिवस मनाने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि योजना से बीमारी के कारण संकट में फंसे परिवारों को मदद पहुंचाई जा रही है। हमारी सरकार कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध करा रही है। योजना से 850 से ज्यादा दवाओं का मूल्य नियंत्रित किया है। हार्ट स्टेंट और घुटना प्रत्यारोपण से जुड़े इक्यूपमेंट्स के दाम कम किए गए हैं।

2014 के बाद खुले 5 हजार से अधिक जन औषधि केंद्र

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2008 से लेकर 2014 तक 6 वर्षों में केवल 80 दुकानें खोली गईं। लेकिन 2014 के बाद 5 साल से भी कम अवधि में हमारी सरकार द्वारा 5 हजार से अधिक जन औषधि केंद्र खोले गए। आजादी के 65 वर्ष में देश में 7 एम्स बने थे। हमारी सरकार के बीते पांच साल में 15 एम्स या तो बन चुके हैं या बनने की प्रक्रिया चल रही है। पिछले साढ़े चार साल में मेडिकल क्षेत्र में एमबीबीएस और स्नातकोत्तर की 31,000 सीटें बढ़ाई गई हैं।

जन औषधि परियोजना से 1 हजार करोड़ रुपये की बचत

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरे देश में 5 हजार जन औषधि केंद्रों की श्रृंखला स्थापित की गई है, जहां कम कीमत पर दवाइयां उपलब्ध करायी जा रही है। इसका लाभ लाखों परिवारों को मिल रहा है। जन औषधि परियोजना से दवाइयों पर होने वाले खर्च में कमी आई है। इससे एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है।

जन औषधि केंद्र के ग्राहकों का सम्मेलन 

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई इलाज से वंचित न रहे इसके लिए हमारी सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सभी जन औषधि केंद्र संचालकों को मेरा कहना है कि आपको साल में एक बार अपने ग्राहकों का छोटा सा सम्मेलन करना चाहिए, जिससे वो और लोगों को भी इस विषय में बताएं और जागरूक करें।

टोकन नहीं, टोटल अप्रोच वाली सरकार

पीएम मोदी ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले टोकन देने की प्रथा थी, जबकि हम टोटल अप्रोच के साथ काम कर रहे हैं। कांग्रेस सरकार में फीता काट दो और अखबार में फोटो छपवा दो काम पूरा हो गया समझा जाता था। सामान्य मानवी को लाभ मिला या नहीं, योजना फैली या नहीं , इनकी जानकारी नहीं ली जाती थी। योजना में क्या कमियां हैं,  अगर है तो वह दूर हुईं या नहीं इस पर विचार करने का स्वभाव पहले की सरकार का नहीं था।

Leave a Reply Cancel reply