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कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन पर बोले पीएम मोदी- “जब यह ‘रुद्राक्ष’ काशी ने धारण कर लिया है, तो काशी का विकास और ज्यादा चमकेगा”

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को वाराणसी के अपने एक दिवसीय दौरे के आखिरी चरण में रुद्राक्ष सेंटर का लोकार्पण किया। इसकी बिल्डिंग को शिवलिंग की तरह डिजाइन किया गया है, इसे आधुनिक तकनीक के साथ बनाया गया है। इसमें 108 रुद्राक्ष लगाए गए हैं.जापान के सहयोग से 186 करोड़ की लागत से निर्मित इस कन्वेंशन सेंटर का शिलान्यास पीएम मोदी ने जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ मिलकर किया था। लोकार्पण के अवसर लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “काशी के बारे में तो कहते ही हैं, बाबा की ये नगरी कभी थमती नहीं, कभी थकती नहीं, कभी रुकती नहीं! विकास की इस नई ऊंचाई ने काशी के इस स्वभाव को एक बार फिर सिद्ध कर दिया है। कोरोनाकाल में जब दुनिया ठहर सी गई, तब काशी संयमित तो हुई, अनुशासित भी हुई, लेकिन सृजन और विकास की धारा अविरल बहती रही। काशी के विकास के यह आयाम, यह ‘इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर- रुद्राक्ष’ आज इसी रचनात्मकता का, इसी गतिशीलता का परिणाम है। मैं आप सभी को, काशी के हर एक जन को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई देता हूं।”

पीएम मोदी ने कहा, “जब पिछले 7 सालों में इतनी सारी विकास परियोजनाओं से काशी का श्रंगार हो रहा है, तो यह श्रंगार बिना रुद्राक्ष के कैसे पूरा हो सकता था? अब जब यह रुद्राक्ष काशी ने धारण कर लिया है, तो काशी का विकास और ज्यादा चमकेगा और ज्यादा काशी की शोभा बढ़ेगी।”

प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए भारत के परम मित्र जापान को, जापान के लोगों को, प्राइम मिनिस्टर शुगा योशीहिदे को और एंबेसडर सुजुकी सातोशी को शुक्रिया कहा। इस अवसर पर पीएम मोदी ने जापाने के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भी याद किया। उन्होंने कहा, “मुझे याद है, शिंजो आबे जी जब प्रधानमंत्री के तौर पर काशी आए थे, तो रुद्राक्ष के आइडिया पर उनसे मेरी चर्चा हुई थी। उन्होंने तुरंत ही अपने अधिकारियों से इस आइडिया पर काम करने को कहा। इसके बाद जापान के चिरपरिचित perfection और प्लानिंग के साथ इस पर काम शुरू हुआ और आज ये भव्य इमारत काशी की शोभा बढ़ा रही है।” 

प्रधानमंत्री ने कहा इस इमारत में आधुनिकता की चमक भी है और सांस्कृतिक आभा भी है। इसमें भारत जापान रिश्तों का कनेक्ट भी है और भविष्य के लिए अनेकों संभावनाओं का स्कोप भी है। श्री मोदी ने कहा, “काशी के रुद्राक्ष की तरह ही अभी कुछ हफ्ते पहले ही गुजरात में भी जापानी जेन गार्डेन और काइजेन एकेडमी का भी लोकार्पण हुआ था। जैसे ये रुद्राक्ष जापान की ओर से भारत को दी गई प्रेम की माला की तरह है, वैसे ही जेन गार्डेन भी दोनों देशों के आपसी प्रेम की सुगंध फैला रहा है।”

पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जापान की सोच है कि हमारा विकास हमारे उल्लास के साथ जुड़ा होना चाहिए। यह विकास सर्वमुखी होना चाहिए, सबके लिए होना चाहिए, और सबको जोड़ने वाला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर-रुद्राक्ष भी पूरी दुनिया को आपसी प्रेम, कला और संस्कृति के जरिए जोड़ने का एक माध्यम बनेगा।

श्री मोदी ने कहा, “काशी तो वैसे भी दुनिया का सबसे प्राचीन जीवंत शहर है। शिव से लेकर सारनाथ में भगवान बुद्ध तक, काशी ने अध्यात्म के साथ-साथ कला और संस्कृति को सदियों से संजोकर रखा है। आज के समय में भी, तबला में ‘बनारसबाज’ की शैली हो, ठुमरी, दादरा, ख्याल, टप्पा और ध्रुपद हो, धमार, कजरी, चैती, होरी जैसी बनारस की चर्चित और विख्यात गायन शैलियां हों, सारंगी और पखावज हो, या शहनाई हो, मेरे बनारस के तो रोम-रोम से गीत-संगीत और कला झरती है। यहां गंगा के घाटों पर कितनी ही कलाएं विकसित हुई हैं, ज्ञान शिखर तक पहुंचा है और मानवता से जुड़े कितने गंभीर चिंतन हुए हैं। इसीलिए, बनारस गीत-संगीत का, धर्म-आध्यात्म का और ज्ञान-विज्ञान का एक बहुत बड़ा ग्लोबल सेंटर बन सकता है।” 

पीएम मोदी ने कहा कि काशी के सांस्कृतिक सौंदर्य को, काशी की प्रतिभाओं को इस सेंटर से जोड़ना है। आप जब इस दिशा में काम करेंगे तो आप काशी के साथ पूरे देश को और दुनिया को भी जोड़ेंगे। जैसे-जैसे यह सेंटर सक्रिय होगा, इसके जरिए भारत-जापान के रिश्तों को भी दुनिया में एक नई पहचान मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास जताया कि महादेव के आशीर्वाद से आने वाले दिनों में यह सेंटर काशी की एक नई पहचान बनेगा, काशी के विकास को नई गति देगा।

रुद्राक्ष के लोकार्पण से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने BHU में MCH विंग का निरीक्षण किया। यहां उन्होंने डॉक्टर्स से मुलाकात कर कोरोना से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान सीएम योगी भी उनके साथ मौजूद रहे।

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