प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के मामले में बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है। मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के 17 साल बाद आखिरकार वो वक्त मोदी सरकार के दौरान ही आया, जबकि हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद भारत लाया गया है। दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर प्लेन लैंड होने के बाद राणा को पहले एनआईए हेडक्वार्टर और उसके बाद मेडिकल जांच कराने के बाद सीधे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जा सकता है। राणा की कस्डडी की मांग कोर्ट से की जाएगी। इससे पहले भारत लैंड होते ही उसे आधिकारिक तौर पर अरेस्ट गया। भारत में उसे एनआईए द्वारा अपनी धुनाई का डर सता रहा है। इसी आधार पर उसने अमेरिकी कोर्ट में बचने का लगातार प्रयास भी किया था। मुंबई हमलों में 175 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। यह भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत है। 64 वर्षीय राणा मुंबई हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी रहा है।
अमेरिका में राणा के सारे प्रयास फेल, भारत की बड़ी जीत
पाकिस्तानी आतंकी तहव्वुर राणा दुबई के रास्ते मुंबई आया था और 11 नवंबर 2008 से 21 नवंबर 2008 तक पवई के होटल रिनैसां में ठहरा था। इस दौरान उसने हमले से जुड़े सारे ठिकानों और इंतजामों का जायजा लिया। हर टारगेट स्थल की बारीकी से रेकी की। और उसके जाने के ठीक 5 दिन बाद 26 नवंबर को मुंबई में आतंकी हमला हो गया। तहव्वुर राणा के भारत आने से पाकिस्तान की परेशानी बढ़ जाएगी।. हालांकि तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की राह आसान नहीं थी और मुंबई हमले के साजिशकर्ता राणा ने अपना प्रत्यर्पण रोकने की हरचंद कोशिशें कीं, लेकिन भारत की मोदी सरकार के कूटनीतिक प्रयासों के सामने उसकी एक न चली। यही वजह है कि तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण देश की कूटनीति की बड़ी जीत माना जा रहा है। न्यूज एजेंसी एनआईए ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि तहव्वुर राणा को भारत लाना काफी मुश्किल था, लेकिन दो तथ्यों ने आतंकी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को आसान बना दिया।
आतंकी की दोहरे खतरे के सिद्धांत के बहाने पर भी नहीं मानी बात
पहला फैक्टर है कानूनी दांव-पेच, दरअसल तहव्वुर राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दोहरे खतरे सिद्धांत (Double Jeopardy) का हवाला दिया था। इसके तहत किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार सजा नहीं दी जा सकती। तहव्वुर राणा ने तर्क दिया कि मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोप में वह अमेरिका में सजा काट चुका है। ऐसे में उसे अब भारत प्रत्यर्पित करना दोहरे खतरे के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। हालांकि भारत का प्रतिनिधित्व मोदी सरकार की एक मजबूत कानूनी टीम कर रही थी, जिसने अपने तर्कों से तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण से बचने की हर कोशिश को नाकाम कर दिया।
पीएम मोदी के अमेरिकी प्रेसिडेंट से अच्छे रिश्ते काम आए
दूसरा फैक्टर है भारत का वैश्विक स्तर पर बढ़ता हुआ कूटनीतिक प्रभाव। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण भारत की बढ़ती हुई कूटनीतिक पहुंच, इसके अमेरिका के साथ मजबूत संबंधों का सबूत है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व की बाइडन सरकार या मौजूदा ट्रंप सरकार दोनों ने ही तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। ट्रंप ने तो अपने एक बयान में साफ कर दिया था कि तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा। तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण में कई बार मुश्किलें भी आईं, लेकिन भारत ने अमेरिका के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों का फायदा उठाते हुए उन मुश्किलों को समाप्त कर दिया।
कनाडाई नागरिक राणा पाक फौज में कर चुका है काम
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक है, जो पाकिस्तानी सेना में भी काम कर चुका है। तहव्वुर राणा को आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के लिए काम करने के लिए दोषी पाया गया था। वह साल 2009 से अमेरिका की जेल में बंद था। अब भारत लाकर उसे 2008 के मुंबई हमले के मामले में न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। केंद्र सरकार ने नरेंद्र मान को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है, जो एनआईए की तरफ से सुनवाई में शामिल होंगे।
‘यह प्रधानमंत्री मोदी का नया भारत है’
मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण पर भाजपा नेता तरुण चुघ ने कहा, “यह एक स्वागत योग्य कदम है। यह भारत और भारत की सोच की जीत है। अब यह दुनिया भी मानने लगी है कि भारत के नागरिकों पर हमला करने वाले लोग विश्व के किसी भी कोने में छिप जाएं, उन्हें पकड़ कर लाया जाएगा और कानून संगत सजा भी दी जाएगी। यह प्रधानमंत्री मोदी का नया भारत है।” आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण पर आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने भी इसे स्वागत योग्य कदम बताया। उन्होंने कहा कि देश उस बर्बर हिंसा को भूला नहीं है। इसलिए मुंबई हमलों में मारे गए लोगों को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मिलेगी, जबकि हमले में शामिल आतंकी तहव्वुर राणा को कड़ी सजा मिलेगी।
ऑपरेशन का हिस्सा रहे पूर्व एनएसजी कमांडो सुनाई पूरी कहानी
मुंबई आतंकी हमले के दौरान ऑपरेशन का हिस्सा रहे पूर्व एनएसजी कमांडो और अब भाजपा नेता सुरेंद्र सिंह ने कहा कि यह देश के लिए बड़ा दिन है। मैं प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति और इस प्रत्यर्पण प्रक्रिया में शामिल एजेंसियों को धन्यवाद देता हूं। जब उसे फांसी दी जाएगी, तो यह न केवल आतंकवाद पर बल्कि पाकिस्तान पर भी करारा तमाचा होगा। वे (आतंकवादी) अच्छी तरह प्रशिक्षित थे, लेकिन मरीन कमांडो ताज होटल में प्रवेश नहीं कर सके। मैंने दो आतंकवादियों को मार गिराया और हमने ताज होटल से 627 लोगों को बचाया। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी, जबकि 5 अन्य कमांडो घायल होने के बाद अस्पताल भेजे गए। पत्रकार भी अपनी जान जोखिम में डालकर रिपोर्टिंग कर रहे थे। हालांकि, लाइव कवरेज से पाकिस्तान के आकाओं को आतंकवादियों को गाइड करने में मदद मिल रही थी।
देशद्रोहियों को भारत के कानून से सजा दिलाएंगे: गोयल
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, “जब से नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, देश के खिलाफ लोगों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। पीएम मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में देश में आतंकवाद और नक्सलवाद का खात्मा होने वाला है। देशद्रोहियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है।” केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण पर कहा, “कांग्रेस की सरकार ने आरोपियों को सख़्त सजा दिलाने के लिए कुछ नहीं किया। कसाब जो पकड़ा गया था उसे भी बिरयानी खिलाते थे। आज हम सभी को प्रधानमंत्री मोदी पर गर्व है। जिन्होंने हमारे देश पर हमला किया था उन्हें हम भारत की ज़मीन पर, भारत के कानून से सजा दिलाएंगे।आतंकी तहव्वुर राणा को ये सबूत फांसी के फंदे तक पहुंचाएंगे!
1.मुंबई अटैक केस में सबसे बड़ा सबूत खुद आतंकी डेविड हेडली बन गया था। वह अमेरिका कोर्ट में इस मामले में अपने जुर्म को स्वीकार कर चुका है। भारत ने पड़ताल में यह साबित कर दिया है कि तहव्वुर राणा उसी मास्टरमाइंड डेविड हेडली का खास सहयोगी है।
2.भारतीय जांच एजेंसियों की ओर से जुटाए गए सबूत तहव्वुर राणा के गले में ऐसा फंदा बनकर फंसे कि उसे भारत तक खींच लाए। भारत में उसे तिहाड़ जेल में रखा जा सकता है. यहां पर उससे मुंबई अटैक केस में पूछताछ होगी और पाकिस्तान का आतंकवाद वाला राज फिर सामने आ सकता है।
3.इस जांच के दौरान जो अहम सबूत जांच एजेंसियों के हाथ लगे, इन्हें देखकर एक बारगी तो खुद आरोपी और अमेरिकी अदालत दोनों हिल गए। दरअसल, तहव्वुर राणा पाकिस्तान फौज में डॉक्टर रह चुका है। फौज से निकलने के बाद भी वह लगातार बड़े अधिकारियों, आतंकियों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का करीबी बना हुआ था।
4.इतना ही नहीं तहव्वुर राणा मुंबई हमले को अंजाम देने वाले गुनहगारों के संपर्क में भी काफी समय से था। इन सबूतो में वो ईमेल भी शामिल थे, जिन्हें गुनहगार राणा ने भारत और अन्य जगहों से पाकिस्तान भेजे थे। यह ऐसा इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस था, जिसका कोई तोड़ इस आतंकवादी के पास नहीं है।
5.दस्तावेज की सबूतों में जांच एजेंसियों के पास तहव्वुर राणा के आठ बार भारत आने के सबूत हैं। साथ ही वह कोच्चि, अहमदाबाद, दिल्ली, आगरा और मुंबई गया था। जिन जगहों पर रुका था उसके भी सबूत हैं। इसमें सबसे बड़ा सबूत मुंबई के ताज होटल का था, जिसमें हमले के कुछ दिन पहले वह रुका था।
6.तहव्वुर राणा ने ताज होटल की पूरी रेकी की थी। जिन जगहों के फोटो खींचकर उसने आतंकवादियों तक पहुंचाये थे, वह ईमेल भी जांच एजेंसी के हाथ लगा है। जांच एजेंसी वह दस्तावेज भी खोज चुकी है, जिसमें तहव्वुर राणा जब आठ बार भारत आया तो उसने 231 बार इस मामले के दूसरे आरोपी डेविड हेडली से बात की थी।भारत के दबाव में आतंक के आका पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ेंगी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत की धमक पूरी दुनिया में सुनाई पड़ रही है। मोदी सरकार के कूटनीतिक दबावों का असर है कि पाकिस्तान अब मुंबई हमले के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयार हुआ है। कुछ समय पहले पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने पहली बार स्वीकार किया कि मुंबई में हुए 26/11 हमले में पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ था। अब तहव्वुर राणा के पाकिस्तान कनेक्शन एक बार फिर खुलकर सामने आएंगे। ऐसे में आतंक के आका पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
एफआईए ने माना है कि ताज होटल पर हुए हमले लश्कर-ए-तैयबा के 11 आतंकवादियों ने योजनाबद्ध तरीके से किए थे। पाकिस्तान ने इन आतंकवादियों को मोस्ट वांटेड घोषित कर दिया है और इनकी नई सूची तैयार की है। साथ ही कड़ी कार्रवाई का फैसला लिया है। एफआईए के मुताबिक हमले के लिए बोट खरीदने वाले आतंकवादी मुल्तान के मोहम्मद अमजद खान के अब भी देश में होने की बात को पाकिस्तान ने स्वीकार लिया है। इसे भी तब भारत की बड़ी कामयाबी माना गया था। इसके अलावा मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली के भी मुंबई अटैक से जुड़े होने के सबूत मिले थो।
नई सूची में 26/11 हमलों को लेकर जानकारी दी गई है कि नाव में 9 आतंकवादी सवार थे। इनके नाम हैं साहिवाल जिले के मोहम्मद उस्मान, लाहौर जिले के अतीक-उर-रहमान, हाफिजाबाद के रियाज अहमद, गुजरांवाला जिले के मुहम्मद मुश्ताक, डेरा गाजीपुर जिले के मुहम्मद नईम, सरगोधा जिले के अब्दुल शकूर, मुल्तान के मुहम्मद साबिर, लोधरान जिले का मोहम्मद उस्मान, रहीम यार खान जिले के शकील अहमद है। इन सभी का नाम संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध किए गए आतंकी ग्रुप में शामिल हैं जो कि लश्कर ए तैय्यबा के आतंकी हैं।
गौरतलब है कि 26 नवंबर, 2008 की रात आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल सहित 6 जगहों पर हमला कर दिया था। हमले में करीब 160 लोगों ने अपनी जान गंवाई। सबसे ज्यादा लोग छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में मारे गए। जबकि ताजमहल होटल में 31 लोगों को आतंकियों ने अपना शिकार बनाया था। लगभग 60 घंटों तक सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में करीब 160 लोगों की जानें गईं। लेकिन इस अचानक हुए हमले को भी हमारे देश के वीरों ने काबू में कर लिया।