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पीएम मोदी ने 2017 में दिया था सोलर कुकर का विजन, किचन क्रांति का किया था आह्वान, भारत ने 2023 में बना डाला सोलर कुकटॉप

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन और दूरदर्शिता का ही कमाल है कि जिस किचन क्रांति का अह्वान उन्होंने 2017 में किया था वर्ष 2023 की शुरुआत में ही वह हकीकत में बदल गया। पीएम मोदी की इसी कार्यशैली से भारत आज विकास के पथ तेज गति से अग्रसर है। यही वजह है कि आज पूरी दुनिया में हिंदुस्तान का डंका बज रहा है। वहीं करीब 60 वर्षों तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी की बात करें तो उसकी नीति अटकाने, लटकाने और भटकाने की रही है। कांग्रेस काल में करीब 400 से अधिक परियोजनाएं ऐसी थी जिसके शिलान्यास का पत्थर लगा दिया गया और काम कभी शुरू ही नहीं किया गया। लेकिन आज मोदी सरकार में काम करने की शैली बिलकुल बदल चुकी है। यही वजह है कि चाहे जनता का भरोसा हो या विकास का ग्राफ, कानून व्यवस्था हो या महिला सुरक्षा, किसानों की खुशहाली हो या युवाओं को रोजगार, इन सभी मोर्चे पर मोदी सरकार अव्वल साबित हो रही है।

25 सितंबर 2017: पीएम मोदी का चैलेंज
पीएम मोदी ने 2017 में किया था सोलर चूल्हा के लिए इनोवेशन का आह्वान

2017 में पीएम मोदी ने कहा था- एक क्षेत्र ऐसा है जो शायद बहुत बड़ा रिवोल्यूशन ला सकता है। और मैं चाहूंगा कि ओएनजीसी इस इनीशिएटिव को उठाए। देश के युवाओं का आह्वान करे। इनोवेशन के लिए आह्वान करे। इनोवेशन के कंपीटीशन ओएनजीसी आर्गनाइज करे। काम ये कि बिजली से चलने वाला चूल्हा। जिस पर हर प्रकार की रसोई हो सके। पकौड़ी बनानी होगी तो भी हो जाए और चपाती बनानी होगी तो भी बन जाए। अगर ऐसे यूजर फ्रेंडली इक्विपमेंट तैयार हो सके तो वो दिन दूर नहीं होगा जब लोग सोलर एनर्जी से अपने घर में चूल्हा जलाएंगे। आपको गैस सिलेंडर, एलपीजी, उज्जवला की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। और आज इलेक्ट्रिक कार पर जितने रिसर्च हो रहे हैं, मैं मानता हूं इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट और कूकिंग पर होंगे तो शायद भारत जैसे देश में वो ज्यादा ताकतवर होगा। इसके लिए 25 सितंबर 2017 को एक चुनौती मैं दे रहा हूं और मैं आशा करता हूं कि महीनेभर में कोई योजना लेकर मेरे पास आइए और इसको कुछ करके दिखाइए।

6 फरवरी 2023: चैलेंज हुआ पूरा
सोलर कुकटॉप लांच से भारत किचन में क्रांति लाएगाः पीएम मोदी

आज जो सोलर कुकटॉप लांच किया गया है वो भारत में ग्रीन और क्लीन कुकिंग को नया आयाम देने जा रहा है। उम्मीद है कि अगले दो-तीन साल में ही तीन करोड़ से अधिक घरों में सोलर कुकटॉप की पहुंच बन जाएगी। इससे एक तरह से भारत किचन में क्रांति लाने का काम करेगा। भारत में 25 करोड़ से अधिक परिवार हैं, आप कल्पना कर सकते हैं कि सिर्फ सोलर कुकटॉप से जुड़े निवेश में आपके लिए कितनी संभावनाएं बन रही हैं।

किचन क्रांति के तहत हर घर पहुंचेगा सौर चूल्हा

मोदी सरकार के द्वारा उज्जवला योजना के तहत गैस चूल्हा का वितरण किया गया था जिसमें गरीब परिवारों को गैस चूल्हा एवं सिलेंडर दिया गया था लेकिन अब आने वाले दिनों में हर घर की रसोई में सौर चूल्हा अपनी जगह बनाने वाला है। ग्रीन एनर्जी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार किचन क्रांति की तैयारी में है। उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक घरों को गैस चूल्हे के इस्तेमाल के प्रति प्रेरित करने में सफल रही सरकार आने वाले समय में बड़ा कदम उठाने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया एनर्जी वीक के दौरान इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के इंडोर सौर कुकिंग प्रणाली के ट्विन-कुकटॉप मॉडल को लॉन्च किया। सौर ऊर्जा से चलने वाले इस चूल्हे को धूप में रखने की जरूरत नहीं है। सोलर चूल्हा सोलर व इलेक्ट्रिक दोनों मोड में काम करेगा। इसे बिजली से भी रिचार्ज किया जा सकता है।

स्वच्छ ईंधन पर है मोदी सरकार का जोर

मोदी सरकार का जोर अब स्वच्छ ईंधन पर है। ऐसे में सरकार आम लोगों की रसोई में स्वच्छ ईंधन पहुंचाने की तैयारी कर रही है। सरकार सौर चूल्हा उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। पीएम मोदी ने इंडिया एनर्जी वीक में स्वच्छ ईंधन जुड़ी एक अन्य योजना लांच की। उन्होंने पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिलाने की पायलट परियोजना का शुभारंभ किया। पहले फेज में 13 राज्यों के 100 पेट्रोल पंपों में यह सेवा शुरू होगी। अभी पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिलाया जाता है। वहीं, तीसरी योजना प्लास्टिक की बोतलों से कपड़े बनाने की है।

सोलर चूल्हे से अब खाना पकाना बेहद सस्ता

भारत की प्रमुख तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने घर के अंदर इस्तेमाल किया जाने वाला सौर चूल्हा पेश किया, जिसे रिचार्ज किया जा सकता है। सौर ऊर्जा से चलने वाले इस चूल्हे को रसोई घर में रखकर उपयोग में लाया जा सकता है। इस चूल्हे को खरीदने की लागत के अलावा रखरखाव पर कोई खर्च नहीं है और इसे जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने आधिकारिक आवास पर एक कार्यक्रम की मेजबानी की, जहां इस चूल्हे पर पका खाना परोसा गया। यह चूल्हा सौर कुकर से अलग है, क्योंकि इसे धूप में नहीं रखना पड़ता है। चूल्हे को फरीदाबाद में आईओसी के अनुसंधान और विकास विभाग ने विकसित किया है, जो छत पर रखे पीवी पैनल के जरिए प्राप्त सौर ऊर्जा से चलता है।

सोलर चूल्हा में गैस भराने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी

केंद्र सरकार की ओर से उज्ज्वला योजना के तहत जरूरतमंदों को रसोई गैस सिलेंडर और चूल्हा उपलब्ध कराया गया है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले मोदी सरकार की इस योजना का काफी लाभ उठा रहे हैं। अब मोदी सरकार नई योजना पर काम कर रही है, जिसमें लोगों को ऐसा चूल्हा दिया जाएगा, जिसमें गैस भराने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यानी यह आपको एक बार खरीदने के बाद मुफ्त का पड़ेगा।

सोलर चूल्हा 7 साल में एक लाख करोड़ रुपये बचाएगा

अभी तक देश में जितने भी सौर चूल्हे बने हैं, उनमें लगभग एक सी समानता दिखी है। यह चूल्हा एक बक्से की तरह होता है। उसमें चावल-दाल आदि भर दीजिए। फिर चूल्हे को धूप में रखना पड़ता है। लेकिन इंडियन ऑयल ने एक अनूठा चूल्हा विकसित किया है। इसे आप अपने किचन में रखिए और सोलर पैनल को छत या बाहर खुले में ताकि धूप से आपको खाना बनाने के लिए एनर्जी मिलती रहे। इसी चूल्हे को पीएम मोदी ने लांच किया है। यह सोलर चूल्हा 7 साल में एक लाख करोड़ बचाएगा।

सूर्य की किरणों से चार्ज होता है चूल्हा

सोलर चूल्हा सूरज की किरणों से चार्ज होता है। इस चूल्हे की लाइफ लगभग 10 साल बताई जाती है। यह चूल्हा सोलर प्लेट से जुड़ा होता है। चूल्हा केबल तार के जरिए सोलर प्लेट से जुड़ा होता है और सौर ऊर्जा प्राप्त करता है।

रात में भी किया जा सकता है इस्तेमाल

ये चूल्हा घर के बाहर लगे सोलर पैनल से एनर्जी स्टोर कर लेगा और इससे बिना कोई खर्च किए दिन का तीन टाइम का खाना आसानी से बनाया जा सकेगा। इसकी खासियत है कि इसे ना तो धूप में रखना है और ये रात में भी खाना बनाने के लिए सक्षम है।

एक बार चार्ज करने पर 3 बार बनाया जा सकता है भोजन

यह स्टोव हाइब्रिड मोड पर भी काम करता है। यानी इस चूल्हे में सौर ऊर्जा के अलावा बिजली के अन्य स्रोतों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. सूर्य नूतन का इन्सुलेशन डिजाइन सौर विकिरण और गर्मी के नुकसान को कम करता है। सूर्य नूतन तीन अलग-अलग मॉडलों में उपलब्ध है। सूर्या नूतन का प्रीमियम मॉडल एक बार चार्ज करने पर चार लोगों के परिवार के लिए तीन भोजन बना सकता है।

सोलर चूल्हा क्या है और इसके फायदे

सोलर चूल्हा एक प्रकार का सूरज की रोशनी में चलने चूल्हा है जिसमें गैस चूल्हे की तरह ही आप खाना बना सकते हैं, पानी गर्म कर सकते हैं फर्क सिर्फ इतना है कि यह सूरज की रोशनी में ही काम करता है या फिर बैटरी की मदद से इसको चार्ज करके बाद में इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

# साल में एक लाख करोड़ से अधिक एलपीजी खर्च की बचत होगी।
# 50 हजार करोड़ रुपए के करीब विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
# लेह, लक्षद्वीप, ग्वालियर, उदयपुर, दिल्ली और एनसीआर में ट्रायल सफल।
# Solar Chulha Price इसकी कीमत करीब 15 हजार रुपए है।
# सब्सिडी के बाद 10 हजार रुपए तक मिलेगा।
# इंडियन आयल से पेंटेंट लेकर लिस्टेड कंपनियां सोलर चूल्हा बनाएंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2011 में ही दिया था गांवों के लिए सौर ऊर्जा का विजन। अब पीएम मोदी के विजन के अनुरूप इसे हकीकत में बदला जा रहा है। इस पर एक नजर-

सोलर एनर्जी पॉलिसी बनाने वाला गुजरात पहला राज्य

भारत विविध जलवायु वाला देश है। भगवान ने इस देश को सबकुछ दिया है। यहां सूरज की रोशनी भी भरपूर है। ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही दुनिया में सौर ऊर्जा के महत्व को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत पहले ही पहचान लिया था। गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान ही उन्होंने इस पर काम शुरू कर दिया था। पीएम मोदी के नेतृत्व में दुनिया में गुजरात चौथी सरकार थी जिसने एक अलग क्लाइमेंट चेंज डिपार्टमेंट बनाया था। गुजरात पहला राज्य था जिसने सोलर एनर्जी का पॉलिसी बनाया था। गुजरात देश का पहला राज्य था जिसने सिंगल लोकेशन पर सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट देश को समर्पित किया था। उन्होंने वर्ष 2011 में ही यह विजन दिया था कि पावर प्लांट से गांवों तक बिजली ले जाने में इंफ्रास्ट्रक्चर, जमीन, तार लगाकर बिजली ले जाने की जगह अगर हम सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करें तो ऊर्जा की जरूरत कम खर्च में पूरी हो सकती है।

पीएम मोदी ने 2011 में दिया था सौर ऊर्जा का विजन

वर्ष 2011 में पीएम मोदी ने कहा था, ” पावर स्टेशन से गांव तक बिजली ले जाने में जो इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्चा होता है, मेन्टेनेंस का खर्चा होता है। और मान लीजिए उसी गांव में सोलर पावर प्लांट डाल दिया, उस गांव की जरूरत के लिए। तो एक हिसाब लगाना चाहिए कि कौन सा कम खर्चे वाला है। मेरा अहमदाबादी माइंड कहता है कि गांव में सोलर प्लांट सस्ते में हो जाएगा। इतना इंफ्रास्ट्रक्चर लगा दें, इतनी जमीन ले लें, इतने तार लगाएं और फिर बिजली वहां जाए और फिर गांव को बिजली मिले।”

मोढेरा बना देश का अनोखा सौर संचालित गांव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2022 में गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित मोढेरा गांव को सातों दिन, 24 घंटे सौर ऊर्जा आपूर्ति वाला गांव घोषित किया। सौर ऊर्जा संचालित गांव घोषित करने के दौरान पीएम ने कहा कि आज मोढेरा के लिए, मेहसाणा के लिए और पूरे नॉर्थ गुजरात के लिए विकास की नई ऊर्जा का संचार हुआ है। पीएम ने कहा कि बीते कुछ दिनों से सूर्य ग्राम को लेकर, मोढेरा को लेकर पूरे देश में चर्चा चल पड़ी है। कोई कहता है कभी सोचा नहीं था कि सपना हमारी आंखों के सामने साकार हो सकता है। आज सपना सिद्ध होता देख रहे हैं। पीएम ने कहा कि अब तक ये होता था कि सरकार बिजली पैदा करती थी और जनता खरीदती थी। केंद्र सरकार ये प्रयास कर रही है कि अब लोग अपने घरों में सोलर पैनल लगाएं। किसान अपने खेतों में बिजली पैदा करें। देश में सोलर पॉवर को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी जा रही है।

देश का पहला ‘सोलर किसान’, फसल के साथ खेत में बिजली बेचकर की कमाई

केंद्र सरकार लगातार सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए छोटे कारोबारियों को प्रोत्साहित कर रही है। ऐसे में ऑपरेशन फ्लड यानी की दुग्ध क्रांति का केंद्र रहा गुजरात का आणंद जिला अब ऑरेंज रिवेल्‍यूशन (सोलर एनर्जी) का केंद्र बन चुका है। यहां सिर्फ सरकारी और निजी स्‍तर पर सोलर पार्क ही नहीं विकसित हो रहे हैं, बल्कि खेती करने वाले किसान भी अब सोलर फार्मर बन गए हैं। इसकी शुरुआत आणंद जिले में थामणा गांव के रहने वाले रमणभाई परमार ने की है। परमार देश के पहले सोलर फार्मर हैं। खेतों में सोलर पैनल लगाने वाले रमण परमार के मुताबिक, उन्‍होंने शुरुआती चार महीने में ही 7500 रुपए की बिजली बेची दी थी। इसके बाद लगातार कमाई जारी है। इन्‍होंने अपनी खेतिहर जमीन पर सोलर पैनल के माध्यम से बिजली पैदा कर उसे सरकार को बेचकर कमाई की है। वे अपने खेतों की सिंचाई सोलर पैनल से प्राप्त ऊर्जा से करते हैं। सरकारी बिजली आपूर्ति पर अब रमण की निर्भरता खत्म हो गई।

राजस्थान में 15 हजार मेगावाट सोलर एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य

राजस्थान के नोख में एनटीपीसी की ओर से 735 मेगावाट का सोलर प्रोजेक्ट का 30 जुलाई 2022 को देश केप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल शिलान्यास किया था। सितंबर 2023 तक यहां उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। मरुस्थलीय जैसलमेर जिला अब ग्रीन एनर्जी हब बनने की ओर अग्रसर है। एक के बाद एक सोलर प्रोजेक्ट आ रहे हैं। जैसलमेर में सोलर एनर्जी उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए राज्य व केन्द्र सरकार के साथ साथ कई बड़ी कंपनियां आगे आ रही है। इसी क्रम में सरकारी उपक्रम की कंपनी एनटीपीसी ने जैसलमेर व बीकानेर में छह से ज्यादा प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। जैसलमेर के नोख क्षेत्र में एनटीपीसी की ओर से 735 मेगावाट का सोलर पार्क बनाया जा रहा है। एनटीपीसी ने तीन कंपनियों के 245-245 मेगावाट के प्रोजेक्ट इसमें शामिल किए हैं। इनका काम शुरू हो चुका है और सितंबर 2023 तक यहां से 735 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

जम्मू की पल्ली पंचायत बनी देशभर के लिए मिसाल, सोलर प्लांट लगने के बाद बदली गांव की तस्वीर

जम्मू के सांबा जिले की एक छोटी सी पल्ली पंचायत, जिसका नाम शायद ही कोई जानता था, आज पूरे देश के लिए मिसाल बन गई है। इस पंचायत के लोग ना सिर्फ अपनी बल्कि दूसरे पंचायतों की तस्वीर बदलने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ग्रामीण आत्मनिर्भर गांव के निर्माण के साथ ही विकास की एक नई कहानी लिख रहे हैं। यह सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस पहल की वजह से संभव हुआ है, जिसके तहत इस गांव में 18 दिनों के रिकॉर्ड समय में 500 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने देश की पहली कार्बन फ्री पंचायत घोषित किया था। इससे पल्ली पंचायत का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। प्रधानमंत्री मोदी ने 24 अप्रैल, 2022 को पंचायती राज दिवस के अवसर पर पल्ली पंचायत का दौरा किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने वहां 500 किलोवाट के सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया था।

पीएम मोदी के सोलर विजन को साकार कर रही महिलाएं

प्रधानमंत्री के सोलर ऊर्जा के मिशन में राजस्थान की महिलाएं किस तरह से योगदान कर रही हैं इसका एक उदाहरण आईआईटी के कॉग्निजेंस-2017 में बेअरफुट कालेज नामक संस्था की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी में देखने को मिला। संस्था से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि वे सोलर संबंधित उपकरण खुद बनाकर इन्हें बेचती हैं। प्रदर्शनी में संस्था से जुड़ी सीता देवी और गीता देवी ने बताया कि उन्होंने सोलर से बनने वाले उपकरणों का प्रशिक्षण हासिल किया है और अब वे आत्मनिर्भर हैं। गांव की पृष्ठभूमि सरीखे व्यक्तित्व और परिधान को देखकर कोई यह सोच भी नहीं पा रहा था कि ये महिलाएं आत्मनिर्भर हैं। महिलाओं ने सोलर से खाना बनाने के उपकरण का डैमो दिखाया। जिसमें बिना रसोई गैस के खर्च के खाना बनाया जा रहा था। इसके अलावा प्रदर्शनी में सोलर से जलने वाले बल्ब, सोलर कुकर, सोलर से चार्ज होने वाली बैटरी, पंखे एवं सोलर से संचालित प्रोजेक्टर आदि का बेहतरीन प्रदर्शन किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आइए देखते हैं उनकी मुहिम किस तरह रंग ला रही है…

भारत ने 2022 की पहली छमाही में ईंधन लागत में 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत की

पिछले दशक में सौर ऊर्जा के विकास के विश्लेषण के आधार पर एनर्जी थिंक टैंक एम्बर, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर, और इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस ने गुरुवार यानी 10 नवंबर, 2022 को एक रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक भारत ने 2022 की पहली छमाही में सौर उत्पादन के माध्यम से ईंधन लागत में 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (32603 करोड़ रुपये) और 1.94 करोड़ टन कोयले की बचत की है। अगर ऐसा नहीं होता तो पहले से ही तनाव से गुजर रही घरेलू कोयला आपूर्ति पर और अधिक प्रभाव पड़ता। बढ़ते जीवाश्म ईंधन की कीमतों के मद्देनजर भारत में बिजली की मांग को पूरा करने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में सौर ऊर्जा पहले से ही महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

सोलर पॉवर के क्षेत्र में दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्था में भारत शामिल

सोलर पॉवर के क्षेत्र में दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्था में 5 देश एशिया के हैं। इनमें चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया और वियतनाम शामिल हैं। सौर ऊर्जा उत्पादन ने जनवरी से जून 2022 तक सात प्रमुख एशियाई देशों- चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, फिलीपींस और थाईलैंड में कुल मिलाकर लगभग 34 अरब डॉलर की संभावित जीवाश्म ईंधन पर लागत की बचत की। यह इस अवधि के दौरान कुल जीवाश्म ईंधन लागत के 9 प्रतिशत के बराबर है। इसमें भारत का हिस्सा चार अरब डॉलर से भी अधिक है।

भारत फिर बना अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का अध्यक्ष

17-20 अक्टूबर, 2022 तक नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पांचवी सभा का आयोजन हुआ। इसमें 109 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के मंत्री, मिशन और प्रतिनिधि शामिल हुए। आईएसए की इस महासभा में भारत को एक बार फिर अध्यक्ष और फ्रांस को सह अध्यक्ष चुना गया। आईएसए का बहुत तेजी से विकास हुआ है और अब इसके सदस्यों की संख्या 110 तक पहुंच चुकी है।

2030 तक सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 1 लाख करोड़ डॉलर के निवेश का लक्ष्य

आईएसए के मिशन 2030 में सौर ऊर्जा में 1 लाख करोड़ डॉलर का निवेश करना है, जबकि प्रौद्योगिकी और इसके वित्तपोषण की लागत कम करना है। यह कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है। आईएसए के सदस्य देश नीतियों और नियमों को लागू करके, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करके, साझा मानकों पर सहमत होकर और निवेश जुटाकर बदलाव ला रहे हैं।

पीएम मोदी के बताये रास्ते पर चलने लगे विकसित देश

वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद इतना ऊंचा हो चुका है कि उनके दिखाये रास्ते पर आज दुनिया के सबसे विकसित और ताकतवर देश भी चलने के लिए तैयार है। इसका फिर प्रमाण ठीक एक साल पहले 10 नवंबर, 2021 को ग्लासगो में क्लाइमेट चेंज पर चर्चा के लिए आयोजित COP26 में मिला, जब प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर 2015 में शुरू की गई इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) में अमेरिका ने भी शामिल होने की घोषणा की। अब इस अलायंस के सदस्यों की संख्या बढ़कर 101 हो गई है। आईएसए के सदस्य के रूप में अमेरिका का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह एक चिरस्थायी ग्रह के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने की गठबंधन की साझा तलाश में उसे और मजबूती प्रदान करेगा।

सोलर अलायंस का हिस्सा बनने पर अमेरिका ने जतायी खुशी

आईएसए की रूपरेखा वाले समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने कहा, “हम इंटरनेशनल सोलर अलायंस में शामिल होकर खुश हैं जिसकी स्थापना में प्रधानमंत्री मोदी ने अगुआई की। हमने इस संबंध में ब्योरे का अध्ययन किया है और यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका हिस्सा बनकर हम खुश हैं। यह वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के तेजी से और ज्यादा उपयोग की दिशा में अहम योगदान होगा। यह विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण होगा।’ वहीं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि खुशी है कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से शुरू किए गए विजनरी प्रयोग का अब अमेरिका भी औपचारिक तौर पर हिस्सा बन गया है। इससे इंटरनेशनल सोलर अलायंस को दुनिया भर में मजबूती मिलेगी।

पीएम मोदी के ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव को मिल रहा समर्थन

प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव के तहत ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ का जो विजन दिया है, उसे तमाम देशों का समर्थन मिलता जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटेन के ग्लासगो में ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ का आह्वान किया। इसे ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका ने भी अपना समर्थन दे दिया है। एक-एक कर के दुनिया भर के देश सूरज की ताकत को समझते हुए इस प्रोजेक्ट से जुड़ रहे हैं। अमेरिका की ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रैनहोम ने कहा कि अमेरिका का ऊर्जा विभाग ‘ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव- ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ का पार्टनर बनने से बेहद खुश है।

पीएम मोदी का ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ का विजन

प्रधानमंत्री मोदी के ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ के विजन के पीछे मूल विचार यह है क‍ि ‘सूरज कभी अस्‍त नहीं होता।’ दुनिया के किसी न किसी कोने तक उसकी रोशनी पहुंचती ही रहती है। इसका इस्‍तेमाल विभिन्‍न इलाकों में बड़े पैमाने पर सोलर एनर्जी तैयार करने में हो सकता है। ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव दुनियाभर से समेटी गई सौर ऊर्जा को अलग-अलग लोड सेंटर्स तक पहुंचाएगी। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्‍यों को पूरा करने की दिशा में गेमचेंजर कहा जा रहा है।

एक दुनिया, एक सूर्य, एक ग्रिड’ COP26 में PM मोदी ने बताया सौर ऊर्जा की चुनौती से निपटने का तरीका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कॉटलैंड में आयोजित सीओपी-26 जलवायु शिखर सम्मेलन में सौर ऊर्जा के फायदे और इससे जुड़ी चुनौती से निपटने के तरीकों पर बात की थी। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा पूरी तरह से स्वच्छ और टिकाऊ है। चुनौती यह है कि यह ऊर्जा केवल दिन के समय उपलब्ध होती है और मौसम पर निर्भर करती है। ऐसे में एक दुनिया, एक सूर्य, एक ग्रिड, सिर्फ दिन में सौर ऊर्जा उपलब्धता की चुनौती से निपट सकता है। यह सौर ऊर्जा की व्यवहार्यता को बेहतर बना सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वव्यापी ग्रिड के माध्यम से, स्वच्छ ऊर्जा को कहीं भी और कभी भी संचारित किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने सूर्योपनिषद का हवाला देते हुए कहा: हर चीज सूर्य से पैदा हुई है, सूर्य ऊर्जा का एकमात्र स्रोत है और सौर ऊर्जा सबका ख्याल रख सकती है। उन्होंने बताया, इसरो जल्द ही दुनिया को एक सौर ऊर्जा कैलकुलेटर प्रदान करेगा, जो दुनियाभर में किसी भी क्षेत्र की सौर ऊर्जा क्षमता को माप सकता है। यह एप्लिकेशन सौर परियोजनाओं का स्थान तय करने में उपयोगी होगा और ‘एक सूर्य, एक दुनिया और एक ग्रिड’ को मजबूत करेगी।

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