डोनाल्ड ट्रंप दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे मजबूत सैन्य शक्ति वाले देश अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। ट्रंप के इस शासनकाल में भारत-अमेरिका के रिश्ते नई उड़ान भरेंगे। ट्रंप पहले कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना खास दोस्त बता चुके हैं। पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कैमिस्ट्री भी अच्छी नजर आती है। साल 2020 की शुरुआत में ट्रंप ने अहमदाबाद में आयोजित ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम के लिए भारत का दौरा किया, जिसमें दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में 1 लाख से ज्यादा लोगों ने उनका तहेदिल से स्वागत किया था। यह किसी विदेशी नेता के लिए भारत में सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी। पिछले एक दशक से भारत-अमेरिका के रिश्तों में बेहद सुधार हुआ है। पिछला चुनाव हारने के चार साल बाद डोनाल्ड ट्रंप ने पहले की तुलना में अधिक सीटों के साथ राष्ट्रपति चुनाव जीता। उनकी जीत से यह पता चलता है कि उन्होंने पूरे देश में, लगभग हर काउंटी में चुनावी लाभ हासिल किया और अपनी स्थिति को बेहद मजबूत किया है।भारत समेत दुनियाभर के कई देशों पर इस सत्ता परिवर्तन का होगा असर
अमरीकी मतदाताओं के लिए अर्थव्यवस्था बेहद महत्त्वपूर्ण थी। मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है और आर्थिक संकट दिखाई दे रहा है। कई अमरीकियों के लिए लोकतंत्र और गर्भपात के अधिकार से संबंधित मुद्दे भी मायने रखते हैं। ये चुनाव दिखाते हैं कि राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों दोनों के मामले में अधिकांश अमरीकी किस तरह वोट करते हैं। कई अल्पसंख्यक समूहों ने भी 2020 या 2016 की तुलना में इस चुनाव में ट्रंप को अधिक वोट दिए। आव्रजन भी अमरीकी मतदाताओं के लिए एक प्रमुख मुद्दा था। इससे ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी को फायदा हुआ। अमेरिका के नए राष्ट्रपति बनने के बाद दूरगामी असर पड़ सकता है। भारत समेत दुनियाभर के देश इस सत्ता परिवर्तन के आधार पर बड़े बदलावों का अनुभव कर सकते हैं। आइए, देखते हैं कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत को कितना और क्या-क्या फायदा होने वाला है।
Heartiest congratulations my friend @realDonaldTrump on your historic election victory. As you build on the successes of your previous term, I look forward to renewing our collaboration to further strengthen the India-US Comprehensive Global and Strategic Partnership. Together,… pic.twitter.com/u5hKPeJ3SY
— Narendra Modi (@narendramodi) November 6, 2024
1.पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच दोस्ती और शानदार कैमिस्ट्री
राष्ट्रपति ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में हैं और पीएम मोदी लगातार तीसरे कार्यकाल में देश को मजबूत बनाने में लगे हैं। डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी के बीच दोस्ती कोई नई बात नहीं है। साल 2019 में टेक्सास में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में उनकी गहरी दोस्ती की झलक साफतौर पर देखने को मिली थी। ट्रंप ने 50 हजार लोगों की भीड़ के सामने पीएम मोदी की मेजबानी की थी। यह दुनिया के किसी भी विदेशी नेता के लिए अमेरिका में सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी। पीएम मोदी ने इसका जबाव एक साल बाद ही अपने खास अंदाज में दिया। उनके निमंत्रण पर साल 2020 की शुरुआत में ट्रंप ने अहमदाबाद में आयोजित ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम के लिए भारत का दौरा किया। तब दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में 1 लाख से ज्यादा लोगों ने ट्रंप का पूरे जोश और उत्साह के साथ वेलकम किया। इस हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम से अभिभूत ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और भारत की आर्थिक प्रगति की प्रशंसा की थी। दोस्ती का यह सिलसिला अब और तेजी से आगे बढ़ेगा।2.ट्रंप का चीन विरोध जगजाहिर, इससे भारत को होगा फायदा
अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चीन के प्रति विरोध जगजाहिर है। खास तौर पर व्यापार और सुरक्षा के मामले में ट्रंप भारत के साथ खड़े नजर आएंगे, जिसका लाभ हमें मिलेगा। चीनी विनिर्माण पर निर्भरता कम करने के लिए उनके प्रशासन का प्रयास अमेरिकी कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। अनुकूल नीतियों के साथ, भारत इन कंपनियों को पहले ही आकर्षित कर रहा है। भारत खुद को एक वैकल्पिक उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है। अब ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत में तेज आर्थिक विकास को और गति मिल सकती है। ट्रम्प अपने पहले कार्यकाल में चीन की हुआवे जैसी बड़ी टेक कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। उनके इस फैसले का भारत को लाभ मिला था। अगर वे सख्ती की पुरानी नीति पर कायम रहे तो चीन से बड़ी कंपनियां भारत का रुख कर सकती हैं। इसके साथ ही ट्रम्प का फोकस वैश्विक सप्लाई चेन में चीन का प्रभाव कम करने पर भी है। यह भी भारत के लिए फायदेमंद है।
3.बांग्लादेश हिंदुओं पर हिंसा के मामले में ट्रंप खुलकर भारत के साथ
अमेरिकी विदेश नीति में संभावित बदलाव: डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हाल ही में हुई हिंसा की निंदा की है। डोनाल्ड ट्रंप का संदेश दक्षिण एशिया में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सम्मान को बनाए रखने के उनके इरादे को रेखांकित करता है, जो उनके प्रशासन के तहत अमेरिकी विदेश नीति में संभावित बदलावों का संकेत देता है। बांग्लादेश के सवाल पर ट्रंप ने खुलकर भारत का साथ दिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया था।4.आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान-कनाडा पर कंट्रोल से आएगा दबाव
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में पाकिस्तान की जवाबदेही की भी मांग की थी। जिस तरह भारत आतंकवाद वे सख्त खिलाफ है। उसी तरह ट्रंप का ‘शक्ति के माध्यम से शांति’ दृष्टिकोण आतंकवाद और उग्रवाद पर अमेरिका के सख्त रुख का संकेत दे सकता है। यानि आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका पूरी तरह भारत के साथ है। ऐसे में अब ट्रंप के नेतृत्व वाला अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अधिक दबाव डाल सकता है, जिससे संभावित रूप से भारत के सुरक्षा उद्देश्यों को लाभ हो सकता है। आतंकवाद विरोध मुहिम पर साथ मिलने से अमेरिका और कनाडा में खालिस्तानी आतंकवाद पर नकेल कस सकती है। आतंकी पन्नू का प्रत्यर्पण संभव है। ट्रम्प 2020 में आतंकियों को पनाह देने पर पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक सहायता बंद कर चुके हैं।
5. रक्षा सहयोग से भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा
ट्रंप के पिछले प्रशासन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए क्वाड-अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक सुरक्षा साझेदारी को मजबूत किया था। ट्रंप के नेतृत्व में, दूसरे कार्यकाल में संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारों की बिक्री और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जारी रहने की संभावना है। इस तरह चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ तनाव को देखते हुए रक्षा सहयोग से भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा। ट्रंप के आने से एफ-35 फाइटर जेट मिलने की उम्मीद बढ़ी है। ट्रंप ने भारत को 30 हजार करोड़ के सैन्य उपकरण बेचने कर ऐलान किया था। बाइडेन के समय सबमरीन और ड्रोन सौदा हुआ, पर एफ 35 फाइटर जेट नहीं मिले। अब भारत को ये इलीट क्लास फाइटर मिल सकता है।
6. मोदी-ट्रंप का दृष्टिकोण समान, बढ़ेगा आर्थिक सहयोग
डोनाल्ड ट्रंप के ‘अमेरिका फर्स्ट’ का दृष्टिकोण पीएम मोदी के ‘इंडिया फर्स्ट’ से बहुत मेल खाता है, जिसमें दोनों वैश्विक नेता घरेलू विकास, आर्थिक राष्ट्रवाद और सुरक्षित सीमाओं पर जोर देते हैं। उनकी समान विचारधाराओं ने अमेरिका-भारत हितों के बीच एकता को बढ़ावा दिया है। जो ट्रंप के चुनाव जीतने पर और भी गहरा हो सकता है। रणनीतिक साझेदारी पर ट्रम्प के जोर से भारत के साथ आर्थिक और रक्षा सहयोग बढ़ सकता है, जिसका असर व्यापार से लेकर सैन्य सहयोग तक के क्षेत्रों पर पड़ेगा।
7. ऐलन मस्क की टेस्ला के भारत में निवेश का मामला सुलझेगा!
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के पक्ष में एलन मस्क खुलकर आए थे। अब ट्रंप जीतकर आए हैं और उनकी पीएम मोदी से गहरी दोस्ती है। ऐसे में मस्क की टेस्ला के भारत में निवेश का मामला सुलझ सकता है। नोमुरा रेटिंग एजेंसी ने ट्रम्प की नीति से फायदा उठाने वाले टॉप तीन देशों में भारत को रखा है। इसमें जापान और मलेशिया भी हैं। रूस के प्रति ट्रम्प का नरम रुख भी भारत के लिए फायदेमंद होगा। रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में भारत-रूस साझेदारी निर्बाध होगी। ट्रम्प खुद को भारत का सच्चा दोस्त कहते रहे हैं। भारत की बड़ी कंपनियों में अमेरिका का निवेश 5 हजार करोड़ बढ़ सकता है। भारतीयों के लिए 50 हजार नए जॉब अमेरिका में एक साल में बनने की संभावना है। इसमें सबसे ज्यादा 20 हजार जॉब आईटी सेक्टर में होंगे। ट्रम्प ने अमेरिका में ग्रेजुएशन के बाद भारत के छात्रों को ग्रीन कार्ड देने का वादा किया है। 5 लाख छात्रों को फायदा मिलेगा।
इन सात वजहों से अमेरिकियों ने फिर से ट्रंप को राष्ट्रपति बनाया
- युद्धः यूक्रेन-रूस युद्ध एक दिन में रुकवाने का वादा किया। अमेरिका यूक्रेन को 10 अरब डॉलर दे चुका है। ट्रम्प ने कहा- यह पैसा अमेरिका पर खर्च होता।
- धर्मः गोली लगने के बाद सुरक्षित रहने को ईश्वर का चमत्कार बताया। ईसाई वोटरों में धर्म रक्षक की छवि बनी।
- महंगाईः मिडिल क्लास को बड़ी राहत देने व अमेरिका फर्स्ट नीति से स्थानीय को रोजगार का वादा किया। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (मागा) में यह भी शामिल।
- नो एंट्रीः उन्होंने अवैध प्रवासियों को देश से निकालने और बॉर्डर सील करने का ऐलान किया, जो चुनाव के मुख्य मुद्दों में से एक बना।
- वोट बैंकः हिस्पैनिक (स्पेनी मूल) और अश्वेतों में वोट शेयर बढ़ाया। हर 10 में से 6 हिस्पैनिक और हर 10 में से 2 अश्वेतों ने ट्रम्प को चुना। दोनों समूहों में ट्रम्प को समर्थन 2020 से बढ़ा है।
- कानून-व्यवस्थाः शहरों में क्राइम रेट बढ़ रहा था। ट्रम्प ने अपराधियों के खिलाफ कड़ी सजा का ऐलान किया।
- बेबाकीः प्रचार अभियान के दौरान ट्रम्प ने सभी अहम मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात वोटरों के सामने रखी। कमला इसमें ट्रम्प से काफी पिछड़ गईं।