प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक हुई। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे वर्ष की यह पहली कैबिनेट बैठक थी। बैठक में कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए जिनका देश के मेहनती किसानों, एमएसएमई क्षेत्र और रेहड़ी विक्रेताओं के रूप में काम करने वाले लोगों के जीवन पर एक परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ेगा। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में चुपचाप काम करते हुए 6 करोड़ से अधिक एमएसएमई की एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है।
कोरोना संकट के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र निर्माण में एमएसएमई की भूमिका को देखते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान इसे एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया। इस पैकेज के तहत एमएसएमई क्षेत्र के लिए न केवल पर्याप्त आवंटन किया गया है, बल्कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उपायों के कार्यान्वयन में भी प्राथमिकता दी गई है। केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत अन्य घोषणाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए रोड मैप भी तैयार किया है। इसमें शामिल है:
*एमएसएमई परिभाषा का संशोधन। यह व्यवसाय करने को आसान बनाने की दिशा में एक और कदम है। यह एमएसएमई क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने और अधिक नौकरियां पैदा करने में मदद करेगा;
*स्ट्रेस्ड एमएसएमई को इक्विटी सहायता प्रदान करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के प्रावधान। इससे 2 लाख स्ट्रेस्ड एमएसएमई को फायदा होगा।
*एमएसएमई के लिए 50,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश प्रस्ताव को भी मंजूरी।
मोदी सरकार ने एमएसएमई परिभाषा को और संशोधित करने का निर्णय लिया। पैकेज घोषणा में सूक्ष्म मैन्यूफ़ैक्चरिंग और सेवा इकाई की परिभाषा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपयों के निवेश तथा 5 करोड़ रुपयों का कारोबार कर दिया गया है। लघु इकाई की सीमा बढ़ा कर 10 करोड़ रुपये का निवेश तथा 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर कर दिया गया है। इसी प्रकार एक मध्यम इकाई की निवेश सीमा को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये तथा 100 करोड़ रुपये का कारोबार कर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने मध्यम मेन्यूफ़ेक्चरिंग और सेवा इकाइयों की सीमा को और बढ़ाने का निर्णय लिया। अब यह 50 करोड़ रूपये के निवेश और 250 करोड़ रुपये के कारोबार की सीमा का होगा। यह भी निर्णय लिया गया है कि निर्यात के संबंध में कारोबार को एमएसएमई इकाइयों की किसी भी श्रेणी के लिए टर्नओवर की गणना में नहीं गिना जाएगा, चाहे वह सूक्ष्म, लघु या मध्यम हो।
रेहड़ी विक्रेताओं को पीएम स्व-निधि
रेहड़ी विक्रेताओं को सस्ते ब्याज पर ऋण प्रदान करने के लिए एक विशेष माइक्रो-क्रेडिट सुविधा योजना – पीएम स्व-निधि (PMSVANidhi) प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म निर्भर निधि शुरू की है। यह योजना उन्हें फिर से काम शुरू करने और अपनी आजीविका कमाने में सक्षम बनाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगी। विभिन्न क्षेत्रों संदर्भों में वेंडर, हॉकर, ठेले वाले, रेहड़ी वाले, ठेली फलवाले आदि सहित 50 लाख से अधिक लोगों को इस योजना से लाभ मिलने की संभावना है।
खरीफ सीजन 2020-21 के लिए सरकार ने उत्पादन की लागत का कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का अपना वादा निभाया है।कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिश के आधार पर खरीफ सीजन 2020-21 के लिए 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन दामों की घोषणा की गई है। इन 14 फसलों के लिए लागत पर वापसी 50% से 83% तक होगी।
गरीबों का खास ध्यान
कोरोना वायरस महामारी के दौरान लॉकडाउन की घोषणा के पहले दिन से ही सरकार गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति संवेदनशील रही है। लॉकडाउन शुरू होने के दो दिन के भीतर 26 मार्च, 2020 को प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना पैकेज की घोषणा में इस संवेदनशीलता की झलक देखने को मिलती है। सरकार की ओर से जो क़दम उठाए गए उनमें 80 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा का लाभ सुनिश्चित करना, 20 करोड़ महिलाओं के बैंक खातों में नक़दी का हस्तांतरण करना, वरिष्ठजन, ग़रीब विधवाओं और ग़रीब निःशक्तजन के खातों में पैसा डालना तथापी एम किसान के तहत करोड़ों किसानों को वित्तीय सहायता मुहैया कराना शामिल है।