Home समाचार भारत की ज्ञान परंपरा आज भी इतनी समृद्ध है, क्योंकि इसकी नींव...

भारत की ज्ञान परंपरा आज भी इतनी समृद्ध है, क्योंकि इसकी नींव 4 मुख्य पिलर्स पर आधारित है- प्रधानमंत्री मोदी

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 सितंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ज्ञान भारतम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह कार्यक्रम भारत की पुरानी परंपराओं और ज्ञान को फिर से दुनिया के सामने लाने का बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा सदियों से समृद्ध रही है क्योंकि इसकी नींव चार प्रमुख स्तंभों पर टिकी है—Preservation, Innovation, Addition और Adaptation। Preservation के अंतर्गत वेद जैसे प्राचीन ग्रंथ पीढ़ी-दर-पीढ़ी श्रुति परंपरा से बिना किसी त्रुटि के संरक्षित किए गए। Innovation के माध्यम से आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र, ज्योतिष और धातु विज्ञान जैसे क्षेत्रों में निरंतर नए विचार और शोध सामने आते रहे। Addition के अंतर्गत हर पीढ़ी ने पुराने ज्ञान को समृद्ध करते हुए नए योगदान दिए, जैसे विभिन्न रामायणों की रचना और उपनिषदों पर भाष्य। Adaptation के जरिये समाज ने समय-समय पर आत्ममंथन कर अप्रासंगिक विचारों को छोड़ा और नए विचारों को अपनाया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ज्ञान भारतम् मिशन भारत की संस्कृति, साहित्य और वैज्ञानिक धरोहर को डिजिटल रूप में सुरक्षित करने का बड़ा प्रयास है। उन्होंने बताया कि हमारे ऋषियों-आचार्यों की हजारों वर्षों की ज्ञान परंपरा और शोध इस मिशन के जरिए नई पीढ़ी तक पहुंचेगा। उस दौर में जब आधुनिक साधन नहीं थे, तब भी लोग मेहनत से एक-एक अक्षर और ग्रंथ लिखते थे और विशाल पुस्तकालय खड़े कर दिए। आज भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा पांडुलिपि संग्रह है, जिसमें करीब 1 करोड़ manuscripts शामिल हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की असली पहचान उसकी संस्कृति, चेतना और मूल्यों में है, न कि सिर्फ सत्ता परिवर्तन या राज्यों की सीमाओं में। हमारी पांडुलिपियों में दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, गणित, कला और साहित्य का अद्वितीय भंडार है, जो विविधता में एकता की मिसाल पेश करता है। आज भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा manuscript संग्रह है, और ज्ञान भारतम् मिशन के जरिए लाखों पांडुलिपियों को डिजिटल रूप में सुरक्षित किया जा रहा है। देशभर की संस्थाओं और नागरिकों ने इसमें योगदान दिया है। अब जरूरत है इस ज्ञान को खोजकर, नए संदर्भों में दुनिया के सामने लाने की, ताकि भारत की बौद्धिक विरासत और भी गौरवपूर्ण तरीके से प्रकट हो सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने कभी भी अपने ज्ञान को धन से नहीं तौला, बल्कि हमेशा उसे दान के रूप में साझा किया है। हमारे ऋषियों ने भी कहा था कि विद्या सबसे बड़ा दान है। इसी परंपरा के तहत प्राचीन समय में लोग manuscripts दूसरों को मुक्त भाव से सौंपते थे। ज्ञान भारतम् मिशन का लक्ष्य दुनिया भर में बिखरी इन धरोहरों को जोड़ना और संरक्षित करना है। इसके तहत कई भाषाओं की पांडुलिपियां डिजिटाइज भी की गई हैं। इस मिशन से न सिर्फ पुराना ज्ञान सुरक्षित होगा बल्कि विदेशी पेटेंट और बौद्धिक चोरी पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।

उन्होंने कहा कि ज्ञान भारतम् मिशन से रिसर्च और इनोवेशन के नए क्षेत्र खुल रहे हैं। आज दुनिया की ढाई ट्रिलियन डॉलर की कल्चरल और क्रिएटिव इंडस्ट्री में भारत की करोड़ों पांडुलिपियाँ एक विशाल डेटाबैंक बनकर नई वैल्यू चेन्स को मजबूती देंगी। इनके डिजिटलीकरण से युवाओं और शोधकर्ताओं को ‘डेटा ड्रिवेन इनोवेशन’ के बड़े अवसर मिलेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इन manuscripts को गहराई से समझने और विश्लेषण करने में AI जैसी आधुनिक तकनीक की अहम भूमिका होगी। AI मानव प्रतिभा का विकल्प नहीं, बल्कि सहायक है, जिससे बिखरी हुई पांडुलिपियों को जोड़ने और उनमें छिपे सूत्रों को उजागर करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस मिशन से जुड़ें। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में 70% प्रतिभागी युवा हैं, जो इस अभियान की बड़ी सफलता है। मोदी ने कहा कि यह मिशन स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत की भावना को और सुदृढ़ करेगा और ज्ञान के संरक्षण व प्रसार का एक नया अध्याय खोलेगा।

Leave a Reply