प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भूमि क्षरण रोकने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग खत्म करने का समय आ गया है। सोमवार को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में जमीन को बंजर बनाने की समस्या से निपटने की संयुक्त राष्ट्र संधि में शामिल देशों के 14वें (COP14) सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने ने कहा कि भारत प्रभावी योगदान देने के लिए तत्पर है क्योंकि हम दो वर्ष के कार्यकाल के लिए सह-अध्यक्ष का पदभार संभाल रहे हैं। सदियों से हमने भूमि को महत्व दिया है। भारतीय संस्कृति में पृथ्वी को पवित्र माना गया है और मां का दर्जा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि आप यह जानकार चौंक जायेंगे कि मरूस्थलीकरण से दुनिया के दो-तिहाई से भी ज्यादा देश प्रभावित हैं। यह दुनिया के सामने आ रहे जल संकट से निपटने की कार्रवाई के साथ-साथ भूमि के बारे में भी कार्रवाई करने के लिए एक महत्वपूर्ण मामला बन जाता है। जब हम बंजर भूमि का समाधान खोजते हैं तो हमें जल संकट के मुद्दे से भी निपटना होगा। पानी की अधिक आपूर्ति, जल के पुनर्भरण में बढोत्तरी, पानी कम बहना और भूमि में नमी बनी रहने जैसे उपाय समग्र भूमि और जल रणनीति के हिस्से हैं। मैं वैश्विक जल यूएनसीसीडी के नेतृत्व से ग्लोबर वाटर एक्शन एजेंड़ा बनाने का आह्वान करता हूं जो भूमि के बंजर होने की रोकथाम की रणनीति का केन्द्र बिन्दु है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने विभिन्न प्रयासों के द्वारा फसल उपज बढ़ाकर किसानों की आय दोगुनी करने का कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें भूमि को खेती योग्य बनाना और सूक्ष्म सिंचाई शामिल है। हम प्रति बूंद अधिक फसल मोटो के साथ काम कर रहे हैं। हमने जैव उर्वरकों का उपयोग बढ़ाया है और कीटनाशकों तथा रसायनिक उर्वरकों का उपयोग कम किया है। हमने कुल मिलाकर जल संबंधित मुख्य मुद्दों के समाधान के लिए जल शक्ति मंत्रालय बनाया है। भारत आने वाले वर्षों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा देगा।
प्रधानमंत्री ने वैश्विक भूमि एजेंडा में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि मैं उन देशों को भारत की सहायता का प्रस्ताव करता हूं जो एलडीएन रणनीतियों को समझना और अपनाना चाहते हैं। मैं इस मंच से यह घोषणा करना चाहता हूं कि भारत अपने कुल क्षेत्र की महत्वकांक्षाओं को बढ़ायेगा और अब से 2030 के बीच 21 मिलियन हैक्टेयर से 26 मिलियन हैक्टेयर तक अपनी बंजर भूमि को खेती योग्य बनायेगा।