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गीता प्रेस सिर्फ एक संस्था नहीं, एक जीवंत आस्था है, लोगों के लिए यह किसी मंदिर से कम नहीं- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि गीता प्रेस प्रिंटिंग प्रेस सिर्फ एक संस्था नहीं है बल्कि एक जीवंत आस्था है। शुक्रवार, 7 जुलाई को को गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समापन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘गीता प्रेस विश्व का ऐसा इकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ एक संस्था नहीं है बल्कि, एक जीवंत आस्था है। गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों-करोड़ लोगों के लिए किसी मंदिर से कम नहीं है। इसके नाम में भी गीता है, और इसके काम में भी गीता है।’

उन्होंने कहा, ‘1923 में गीता प्रेस के रूप में यहां जो आध्यात्मिक ज्योति प्रज्ज्वलित हुई, आज उसका प्रकाश पूरी मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है। हमारा सौभाग्य है कि हम सभी इस मानवीय मिशन की स्वर्ण शताब्दी के साक्षी बन रहे हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर ही हमारी सरकार ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार भी दिया है। गांधी जी का गीता प्रेस से भावनात्मक जुड़ाव था। एक समय में, गांधी जी, कल्याण पत्रिका के माध्यम से गीता प्रेस के लिए लिखा करते थे। मुझे खुशी है कि आज ये पुरस्कार गीता प्रेस को मिला है। ये देश की ओर से गीता प्रेस का सम्मान है, इसके योगदान का सम्मान है, और इसकी 100 वर्षों की विरासत का सम्मान है।’

शताब्दी वर्ष समापन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘गीताप्रेस जैसी संस्था सिर्फ धर्म और कर्म से ही नहीं जुड़ी है, बल्कि इसका एक राष्ट्रीय चरित्र भी है। गीताप्रेस, भारत को जोड़ती है, भारत की एकजुटता को सशक्त करती है। देशभर में इसकी 20 शाखाएं हैं। देश के हर कोने में रेलवे स्टेशनों पर हमें गीताप्रेस का स्टॉल देखने को मिलता है। 15 अलग-अलग भाषाओं में यहां से करीब 16 सौ प्रकाशन होते हैं। गीताप्रेस अलग-अलग भाषाओं में भारत के मूल चिंतन को जन-जन तक पहुंचाती है। गीताप्रेस एक तरह से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को प्रतिनिधित्व देती है।’

उन्होंने यह भी कहा, ‘गीताप्रेस एक ऐसा संस्थान है, जिसने हमेशा सामाजिक मूल्यों को समृद्ध किया है, लोगों को कर्तव्य पथ का रास्ता दिखाया है। गंगा जी की स्वच्छता की बात हो, योग विज्ञान की बात हो, पतंजलि योग सूत्र का प्रकाशन हो, आयुर्वेद से जुड़ा आरोग्य अंक हो, भारतीय जीवनशैली से लोगों को परिचित करवाने के लिए ‘जीवनचर्या अंक’ हो, समाज में सेवा के आदर्शों को मजबूत करने के लिए ‘सेवा अंक’ और ‘दान महिमा’ हो, इन सब प्रयासों के पीछे, राष्ट्रसेवा की प्रेरणा जुड़ी रही है, राष्ट्र निर्माण का संकल्प रहा है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज देश विकास और विरासत दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आज एक ओर भारत डिजिटल टेक्नालजी में नए रिकॉर्ड बना रहा है, तो साथ ही, सदियों बाद काशी में विश्वनाथ धाम का दिव्य स्वरूप भी देश के सामने प्रकट हुआ है। आज हम वर्ल्डक्लास इनफ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं, तो साथ ही केदारनाथ और महाकाल महालोक जैसे तीर्थों की भव्यता के साक्षी भी बन रहे हैं। सदियों बाद अयोध्या में भव्य राममंदिर का हमारा सपना भी पूरा होने जा रहा है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि संतों की तपस्या कभी निष्फल नहीं होती, उनके संकल्प कभी शून्य नहीं होते! इन्हीं संकल्पों का परिणाम है कि, आज हमारा भारत सफलता के नित्य नए आयाम स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस विकसित और आध्यात्मिक भारत का विचार हमारे मनीषियों ने हमें दिया है, आज हम उसे सार्थक होता हुआ देख रहे हैं। मुझे विश्वास है, हमारे संतों-ऋषियों की आध्यात्मिक साधना भारत के सर्वांगीण विकास को ऐसे ही ऊर्जा देती रहेगी। हम एक नए भारत का निर्माण करेंगे और विश्व कल्याण की अपनी भावना को सफल बनाएंगे।

 

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