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हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास- RNG Lecture में प्रधानमंत्री

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार 17 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित छठे रामनाथ गोयनका व्याख्यान (RNG Lecture) में देश की सभी राज्य सरकारों को एक सीधा और स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र हो या राज्य, किसी भी दल की सरकार हो, उनकी ‘सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए- विकास, विकास और सिर्फ विकास।’

अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों को विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बिहार ने यह दिखा दिया है कि जनता अब केवल उन्हीं सरकारों को स्वीकार करती है जो ईमानदारी से शासन चलाती हैं और विकास को प्राथमिकता देती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहार के नतीजे हमें यह सबक देते हैं कि आप आज किस तरह की सरकार चला रहे हैं, यही आने वाले वर्षों में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि ‘आरजेडी को बिहार ने 15 वर्ष का अवसर दिया, लालू यादव जी चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते। इसलिए आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास।’

उन्होंने कहा कि ‘बिहार के ऐतिहासिक नतीजों ने साफ कर दिया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं बहुत अधिक हैं और वे उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं जो नेक नीयत से विकास को प्राथमिकता देते हैं। इसलिए मैं हर राज्य सरकार को कहता हूं, आप अपने यहां बेहतर इंवेस्टमेंट का माहौल बनाने, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए कंपटीशन करिए, डेवलपमेंट पैरामीटर्स में आगे जाने के लिए कंपटीशन करिए, फिर देखिए, जनता कैसे आप पर अपना विश्वास जताती है।’

भाजपा पर लगाए जाने वाले इस आरोप पर कि पार्टी हर समय चुनाव मोड में रहती है, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार चुनाव मोड में नहीं बल्कि ‘इमोशनल मोड’ में रहती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का हर प्रयास इस बेचैनी से प्रेरित है कि गरीबों की तकलीफ कम हो और उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं के समर्पण को याद करते हुए कहा कि कई राज्यों में कार्यकर्ताओं ने संगठन को केवल पसीने से नहीं, बल्कि अपने खून से भी सींचा है। भाजपा के लिए जनता के दिल जीतना चुनाव जीतने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

सामाजिक न्याय को विकास से सीधा जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि असली सामाजिक न्याय तब संभव है जब सरकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के गरीब, दलित, वंचित और शोषित तक पहुंचे। उन्होंने बताया कि 12 करोड़ शौचालयों, करोड़ों जनधन खातों और पक्के घरों ने गरीबों के जीवन में सम्मान और आत्मविश्वास पैदा किया है। प्रधानमंत्री के कहा कि आज 94 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी नेट के दायरे में हैं, जबकि दस साल पहले यह संख्या मात्र 25 करोड़ थी। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त किया है, और यह इस बात का प्रमाण है कि डेमोक्रेसी डिलिवर्स।

प्रधानमंत्री ने देश के एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स का जिक्र करते हुए कहा कि वे जिले जिन्हें कभी पिछड़ा मानकर नजरअंदाज किया गया था, आज विकास के नए मॉडल बन रहे हैं। उन्होंने बस्तर का उदाहरण देते हुए कहा कि जो क्षेत्र कभी नक्सलवाद का केंद्र माना जाता था, वहां आज बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई प्रशासनिक सोच, युवाओं की तैनाती और निगरानी व्यवस्था ने इन क्षेत्रों को नई दिशा दी है।

नक्सलवाद पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वर्षों तक माओवादी आतंक को संरक्षण दिया और अर्बन नक्सलवाद को संस्थाओं के अंदर तक पनपने दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अब ‘मुस्लिम लीगी–माओवादी कांग्रेस में बदलती जा रही है और यह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन रही है।

अपने भाषण के अंतिम हिस्से में प्रधानमंत्री ने व्यापक सांस्कृतिक विमर्श का उल्लेख किया। उन्होंने 1835 में मैकाले द्वारा लागू की गई शिक्षा नीति को भारत की आत्मा पर सबसे बड़ा आघात बताया और कहा कि इससे भारतीयों के मन में हीन भावना पैदा हुई और स्वदेशी पर गर्व का भाव कमजोर हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2035 यानी मैकाले की नीति के 200 वर्ष पूरे होने तक भारत को गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार अंग्रेजी भाषा के विरोध में नहीं, बल्कि भारतीय भाषाओं और अपनी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के पक्ष में है।

अंत में, प्रधानमंत्री ने रामनाथ गोयनका की निर्भीक पत्रकारिता और राष्ट्रवादी साहस को नमन करते हुए कहा कि जब भारत विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तब गोयनका की विरासत और भी अधिक प्रेरणादायक बन जाती है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस समूह को धन्यवाद देते हुए अपना संबोधन समाप्त किया।

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