एसोचैम की सालाना आम सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस सरकार की पहचान ही है कि जो संकल्प लेती है, उस संकल्प के साथ देश को जोड़ती है और उस संकल्प को सिद्धि में बदलने के लिए पूरी शक्ति से कार्य करती है। 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का लक्ष्य भी संभव है। ऐसी बहुत सी बातें जो पहले असंभव लगती थी, उसे देश ने संभव करके दिखाया है।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में उतार चढाव पहले भी आये हैं, लेकिन देश में वो सामर्थ्य है कि वो हर बार ऐसी परिस्थिति से बाहर निकला है और पहले से ज्यादा मजबूत होकर निकला है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘ये सब ऐसे ही हुआ होगा क्या? बहुत लोगों की नाराजगी मोल लेनी पड़ती है, बहुत लोगों का गुस्सा सहना पड़ता है भांति-भांति के आरोपों से गुजरना पड़ता है लेकिन ऐसा इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि देश के लिए करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने अर्थव्यवस्था के ज्यादातर आयामों को फॉर्मल व्यवस्था में लाने का प्रयास किया है। इसके साथ ही हम अर्थव्यवस्था को आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए मोडर्नाइज और स्पीड अप करने की दिशा में भी आगे बढ़े हैं। आज देश में वो सरकार है जो किसान की भी सुनती है, मजदूर की भी सुनती है, व्यापारी की भी सुनती है और उद्योग जगत की भी सुनती है। उनकी आवश्यकताओं को समझने का प्रयास करती है और उनके सुझावों पर संवेदनशीलता से काम करती है।
उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया के उन टॉप 10 देशों में शामिल है, जिसने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में पिछले 3 वर्षों में लगातार सबसे अच्छा सुधार किया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कहने में चार शब्द लगते हैं लेकिन इसकी रैंकिंग में बदलाव तब होता है जब दिन-रात मेहनत की जाती है, जमीनी स्तर पर जाकर नीतियों में, नियमों में बदलाव होता है।
उन्होंने कहा किकुछ लोग ये भी मानते थे कि इस क्षेत्र में कुछ न करना ही लेबर वर्ग के हित में है। यानि उन्हें अपने हाल पर छोड़ दो, जैसे चलता रहा है, वैसे ही आगे भी चलेगा। लेकिन हमारी सरकार ऐसा नहीं मानती है। अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और मजबूत बनाने के लिए, उद्योग जगत के लिए किये जा रहे हर फैसले पर सवाल उठाना ही अब कुछ लोगों का राष्ट्रीय कर्तव्य बन गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब 2014 से पहले के वर्षों में अर्थव्यवस्था तबाह हो रही थी, उस समय अर्थव्यवस्था को संभालने वाले लोग किस तरह तमाशा देख रहे थे, ये देश को कभी नहीं भूलना चाहिए। तब अखबारों में किस तरह की बात होती थी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख कैसी थी, इसे आप भली-भांति जानते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम ये कह सकते हैं कि देश की बैंकिंग प्रणाली की नींव अब इतनी पारदर्शी हो रही है कि 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को ऊर्जा दे सकते हैं। आज हम दुनिया के टॉप 10 FDI डेस्टीनेशन्स में से एक हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत में FDI आने की गति बढ़ी है।
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