Home समाचार प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से की दिल से बात, स्वदेशी भाव जगाने का...

प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से की दिल से बात, स्वदेशी भाव जगाने का आह्वान करते हुए कहा- देश सेवा से कम नहीं है आपका काम

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 4 सितंबर को नई दिल्ली में अपने आवास पर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों से मुलाकात की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में शिक्षक को सिर्फ ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शक माना जाता है। “मां जन्म देती है, लेकिन जीवन गुरु देता है,” कहकर उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व का जिक्र किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘एक शिक्षक सिर्फ वर्तमान नहीं होता है, बल्कि देश की भावी पीढ़ी को भी गढ़ता है, वो भविष्‍य को निखारता है और ये मैं समझता हूं कि ये भी देश सेवा की श्रेणी में किसी भी प्रकार से किसी की भी देश सेवा से कम नहीं है। आज करोड़ों शिक्षक आपकी तरह ही पूरी निष्ठा, तत्परता और समर्पण भाव से देश सेवा में जुटे हैं। आप सबके सामूहिक प्रयासों का परिणाम है कि राष्ट्र निरंतर उन्नति करता है, नई-नई पीढ़ी तैयार होती हैं, जो राष्ट्र के लिए जीती हैं और उसमें सबका योगदान होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कार केवल एक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत है। अब समाज की नजरें आप पर हैं, आपका प्रभाव क्षेत्र और बढ़ गया है। ऐसे में इस सम्मान को अवसर मानकर और ज्यादा योगदान देने की जरूरत है। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे आत्मनिर्भर भारत की सोच को विद्यार्थियों के भीतर बीजारोपित करें और लोकल के लिए वोकल होने के इस अभियान में टीचर्स की बहुत बड़ी भूमिका कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपके पढ़ाए बच्चे देश के किसी कोने में जाकर देश का भविष्य बदल सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने हाल ही में किए गए जीएसटी रिफॉर्म्स की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि 22 सितंबर से नया जीएसटी लागू हो जाएगा, जिसमें अब केवल दो मुख्य टैक्स स्लैब होंगे 5% और 18%। इससे रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे पनीर, साबुन, शैंपू, स्कूटर, कार आदि सस्ती हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि यह GST 2.0, देश की आर्थिक मजबूती और जनता की बचत दोनों के लिए डबल डोज है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर जीएसटी में हुए इस रिफॉर्म्स का अगर मैं सार बताऊं, तो यही कह सकता हूं कि इससे भारत की शानदार अर्थव्यवस्था में पंचरत्न जुड़े हैं। पहला, टैक्स सिस्टम कहीं अधिक सिंपल हुआ। दूसरा, भारत के नागरिकों की क्वालिटी ऑफ लाइफ और बढ़ेगी। तीसरा, कंजम्शन और ग्रोथ दोनों को नया बूस्टर मिलेगा और चौथा, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से निवेश और नौकरी को बल मिलेगा और पाँचवां, विकसित भारत के लिए को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म यानि राज्यों और केंद्र की साझेदारी और मजबूत होगी।

उन्होंने बताया कि 2014 से पहले की सरकारें आवश्यक वस्तुओं पर भारी टैक्स लगाती थीं, जिससे आम आदमी का बजट बिगड़ जाता था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राज में टूथपेस्ट, साबुन, होटल रूम, साइकिल, सिलाई मशीन, यहां तक कि बच्चों की टॉफी तक पर 17% से 28% तक टैक्स लिया जाता था। उन्होंने यह भी बताया कि अब इन सब पर सिर्फ 5% टैक्स लगेगा।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी जोर दिया कि स्वदेशी और वोकल फॉर लोकल का भाव स्कूलों में ही बच्चों में जगाना होगा। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे विद्यार्थियों को यह समझाएं कि देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा जब हम विदेशी वस्तुओं की पहचान करके स्वदेशी विकल्प अपनाएंगे। उन्होंने एक दिलचस्प प्रयोग सुझाया कि बच्चे एक सूची बनाएं कि वे दिनभर किन-किन वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं और उनमें से कितनी विदेशी हैं।

डिजिटल युग की चुनौतियों पर चिंता जताते हुए उन्होंने हाल ही में बनाए गए ऑनलाइन गेमिंग कानून का जिक्र किया और शिक्षकों से अपील की कि वे छात्रों को इसके खतरों के प्रति जागरूक करें। उन्होंने यह साफट किया कि गेमिंग बुरा नहीं है, लेकिन गेम्बलिंग यानी जुआ एक गंभीर खतरा है और इससे विद्यार्थियों को बचाना जरूरी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अटल टिंकरिंग लैब्स और अटल इनोवेशन मिशन का भी जिक्र किया, जिनके माध्यम से बच्चों में नवाचार की भावना को प्रोत्साहन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की नई पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच और टेक्नोलॉजी के प्रति नया उत्साह है, और इसमें शिक्षकों की बड़ी भूमिका है।

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने शिक्षकों को एक तरह से “होमवर्क” देते हुए कहा कि वे देश में स्वदेशी अपनाने के अभियान का नेतृत्व करें, छात्रों को आत्मनिर्भर भारत के विचार से जोड़ें और ऑनलाइन गेमिंग के खतरे से अवगत कराएं। उन्होंने कहा, “जो काम आप करते हैं, आज वही काम मैं कर रहा हूं – होमवर्क दे रहा हूं। मुझे विश्वास है कि आप इसे जरूर पूरा करेंगे।”

Leave a Reply