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AAP के बड़े नेताओं के संपर्क में PFI, केजरीवाल के पक्ष में जारी किया फतवा

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अपने को तथाकथित सेक्युलर कहलाने वाले सियासी दल चुनाव के समय अपने पक्ष में फतवा जारी करवाना जरूरी समझते हैं, क्योंकि मुसलमानों के ध्रुवीकरण से उन्हें सियासी फायदा होता है। हर चुनाव में उलमा और मुस्लिम संगठनों के फतवे सुर्खियां बनते हैं। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए मुख्य रूप से मुस्लिमों के कट्टरपंथी संगठन पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने फतवा जारी किया है।

बीजेपी को हराने का फतवा

पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में फतवा जारी किया है। उन्होंने कहा कि हम हर विधानसभा में जाकर लोगों से बीजेपी को हराने वाले सेक्युलर दल को जीताने की अपील कर रहे हैं।  पीएफआई पर ही सीएए के खिलाफ पूरे देश में हिंसा फैलाने का आरोप लगा है। आप भी सुन लीजिए केजरीवाल के समर्थन में क्या कहा जा रहा है। देखिए वीडियो…

मुसलमान करेंगे केजरीवाल का समर्थन

मुस्लिम नेता हाफिज गुलाम सरवर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि केजरीवाल जी ने साफ शब्दों में कहा कि मैं काम के नाम पर वोट मांगता हूं मेरे विधायक ने जहां काम किया है, वहां वोट दें। ये मैटर साफ हो गया। इसी तरह का ऐलान होना चाहिए था। हम लोग इसका समर्थन करते हैं।

बीजेपी के खिलाफ मुस्लिमों को भड़काने में लगे हैं उलेमा

शाहीन बाग में कुछ मुस्लिम नेता लोगों को भड़काते नजर आए। उनके मुताबिक फैसला शाहीन बाग से हो चुका है। ये तीन प्रतिशत आरएसएस के लोग इस देश को नहीं बदल सकते, हम बदल सकते हैं। ऐसे आतंकवादी और हत्यारे इस तरह से शासन में आए और ये पहले भी आ रहे थे। 

शाहीन बाग प्रदर्शनों के पीछे पीएफआई की साजिश

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को शाहीन बाग प्रदर्शनों के तार पीएफआई से जोड़ने वाले कुछ सबूतों का पता चला है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सामने आने वाली इस सूचना का संबंध पीएफआई के साथ आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं के साथ भी है।

संजय सिंह का पीएफआई से संबंध- ईडी

ईडी सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय जांच एजेंसी ने पीएफआई का कुछ अन्य संगठनों के साथ संबंधों का पता लगाया है, जिसमें आम आदमी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के नाम भी शामिल हैं। प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के अनुसार PFI का मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में है, जहां प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों के लिए लाखों रुपये जमा किए जाते हैं। ईडी के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि दिल्ली के पीएफआई अध्यक्ष मोहम्मद परवेज अहमद लगातार आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और उदित राज समेत कांग्रेस के कई नेताओं  से संपर्क में बने हुए हैं। 

परवेज अहमद ने की संजय सिंह से निजी मुलाकात

प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने दावा किया है कि जांच में सामने आया है कि परवेज अहमद केवल सीएए विरोधी गतिविधियों में ही शामिल नहीं था बल्कि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह से निजी मुलाकात, फोन कॉल व व्हाट्सएप चैट के जरिए संपर्क में बना हुआ था।

PFI के शाहीन बाग स्थित मुख्यालय को मिला डोनेशन 

ईडी सूत्रों ने पाया कि 120.5 करोड़ रुपए 17 विभिन्न बैंकों के कुल 73 बैंक खातों में भेजा गया, जिसमें से 27 बैंक खाते पीएफआई, नौ बैंक खाते रेहाब इंडिया फाउंडेशन और कुछ खाते निजी लोगों और संस्थानों द्वारा संचालित है। ईडी सूत्रों ने यह भी पता लगाया कि इस दौरान बड़ी संख्या में कैश के जरिए डोनेशन दिया गया, जिसमें से एक तिहाई डोनेशन को पीएफआई के शाहीन बाग स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में रखा गया है।

पीएफआई के संपर्क में कांग्रेस के कई नेता

जांच से पता चला कि पीएफआई दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मोहम्मद परवेज अहमद आप और कांग्रेस के कई नेताओं के संपर्क में थे। जनवरी में, ईडी ने सीएए-विरोधी प्रदर्शनों के लिए पीएफआई और आरएफआई को 120 करोड़ रुपए के फंडिंग के सबूत जुटाए थे, जोकि मुख्यत: दिल्ली के शाहीनबाग क्षेत्र के लिए थे। ईडी ने पहले ही पीएफआई और आरएफआई के बैंक खातों में पैसे भेजने वाले लोगों की जानकारी के लिए पश्चिमी उत्तरप्रदेश में अपनी कई टीमों को भेजा है।

समर्थन के बदले संरक्षण की कोशिश

पीएफआई जैसे संगठन और उलेमा हर चुनावी सीजन में स्वार्थवश मुसलमानों को गुमराह करके अपने संगठन को मजबूत बनाने के साथ ही सत्ता में आने वाली सरकार को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। ऐसे संगठन चुनाव में समर्थन के बदले सरकार से संरक्षण चाहते हैं, ताकि देश विरोधी गतिविधियों को बिना किसी बाधा के चला सके। ऐसे संगठनों द्वारा किसी पार्टी की विचारधारा या उसकी बैकग्राउंड पर नहीं उनके मोटे ऑफर पर उसे वोट देने का फरमान जारी किया जाता है।

सेक्युलर दलों को उलेमाओं का सहारा

सियासी पार्टियों का मानना है कि मौलाना अपनी क़ौम को जिधर हांक देगा झुंड उधर ही जाएगा। कभी इस दल का समर्थन और उस दल का विरोध तो कभी उस दल की मुखालिफत और इस दल का समर्थन। किसी पार्टी का समर्थन करने या उसे वोट देने की अपील करने वाले कोई भी मौलाना कभी भी अपनी जुबान पर कायम नहीं रहा।

चुनाव के समय दलबदलू उलेमाओं की बहार

दलबदलू उलेमा हर चुनाव में पार्टियों पर अपनी आस्था बदलते रहे। कभी भाजपा को हराने के लिये कांग्रेस के लिए वोट मांगा तो कभी आम आदमी पार्टी को जिताने की अपील की। आम तौर पर वो जिस पार्टी की सरकार आती है उस पार्टी और उसकी सरकार पर आस्था व्यक्त कर देते हैं। चुनावी मौसम में जिसकी सरकार बनती देखते हैं उस पार्टी को मुसलमानों की हमदर्द पार्टी होने का फरमान जारी कर देते हैं।

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