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भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए राकेश टिकैत, लोगों ने कहा- अब समझ में आया कि किसान आंदोलन में किसान नहीं, सब कांग्रेस के प्यादे थे, धीरे-धीरे सभी सपोले बिल से बाहर आ रहे हैं

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चेहरे बेनकाब हो रहे हैं। जो चेहरे पहले किसान नेता, अभिनेता, सामाजिक कार्यकर्ता, अर्थशास्त्री, बुद्धिजीवी, ब्यूरोक्रेट और खिलाड़ी के रूप में जाने जाते थे और जनता उन्हें निष्पक्ष मानती थी, लेकिन अब उनकी असलियत दुनिया के सामने आ चुकी है। दरअसल ये कांग्रेस के टुकड़ों पर पलने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता है, जो नकाब लगाकर विभिन्न रूपों में कांग्रेस के इशारों पर नाच रहे थे। कांग्रेस ने पहले इनके बयानोंं को निष्पक्ष बताकर केंद्र और राज्यों की बीजेपी सरकारोंं पर हमले के लिए इस्तेमाल किया। उसके बाद चुनाव से पहले इन्हें आंदोलनकारी बनाकर सड़कों पर बैठा दिया। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा ने दुनिया को दिखा दिया कि ये सभी कांग्रेस के प्यादे थे। ये आम जनता और किसानों को धोखा देकर अपने और कांग्रेस के राजनीतिक स्वार्थ के लिए काम कर रहे थे। 

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू हो चुका है। यह यात्रा सोमवार (09 जनवरी, 2023) को हरियाणा के कुरुक्षेत्र से होकर गुजर रही थी। इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत भी यात्रा में शामिल हुए। जब यात्रा गांव पट्टी बोरीपुर से शुरू हुई, तो राकेश टिकैत समेत कई किसान नेता राहुल गांधी के साथ पैदल चले। टिकैत के अलावा युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव और पंजाब के किसान नेता भी थे, जिन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन किया था। इन नेताओं ने किसानी से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर राहुल गांधी से बात करने के बहाने कांग्रेस से अपनी एकजुटता दिखाने की कोशिश की। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और किसान नेता एक-दूसरे का हाथ पकड़े नजर आए। 

किसानों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले ये तथाकथित किसान नेता कुरूक्षेत्र के शाहबाद के रेस्ट हाउस में राहुल गांधी से मिले। इस दौरान राहुल गांधी करीब एक घंटे तक इन किसान नेताओं से चर्चा की। इन नेताओं ने दिल्ली बॉर्डर पर एक साल तक चले किसान आंदोलन को लेकर भी बात की। जब मीडिया ने राकेश टिकैत से भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने को लेकर सवाल पूछा तो राकेश टिकैत ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि उन्हें बुलाया गया है, तभी वह यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि देश में कई जगह कांग्रेस की सरकार है, कांग्रेस के दिग्गज नेता से मिलने में क्या गुरेज है।

कुरूक्षेत्र के शाहबाद के रेस्ट हाउस में बैठे ये वहीं चेहरे हैं, जो एक साल तक आंदोलन के नाम पर पूरी दिल्ली को बंधक बनाये रखा। किसानों की आड़ में इन्होंंने उत्तर प्रदेश और केंद्र की बीजेपी की सरकार को चुनौती दी थी। इन नेताओं ने किसानों के मंच से बीजेपी सरकारों को उखाड़ फेंकने की घोषणा की। कांग्रेस के इशारों पर काम करते हुए इन तथाकथित किसान नेताओं ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कुर्सी से हटाने का पूरा जोर लगा दिया। लेकिन यूपी की आम जनता इनके बहकावे में नहीं आई और समय रहते इनके असली इरादे को पहचान लिया। गरीब किसानों की कीमत पर अपनी राजनीतिक दुकान चलाने वाले ये तथाकथित किसान नेताओं के बयान आज भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं।

भारत जोड़ो यात्रा में आंदोलनजीवी किसान नेताओं की तस्वीर सामने आते ही सोशल मीडिया में लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि इनकी असली तस्वीर तो अब सामने आई है और समझ भी आ गया कि वो किसान आंदोलन नहीं, कांग्रेस की गंदी राजनीति थी, ताकि देश को किसान की हालत कहीं सुधर ना जाए। नहीं तो इनको वोट कौन देगा। किसान कर्ज माफी के नाम पर जो घोटाला करते थे सब बंद हो जाएगा। लोगों का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा में धीरे-धीरे सभी सपोले बिल से बाहर निकल रहे हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में जो लोग शामिल हो रहे हैं उससे ये सवाल उठ रहा है कि यह भारत जोड़ो यात्रा है या भारत तोड़ो यात्रा। एक तरफ राहुल गांधी भारत जोड़ने की बातें करते हैं, मोहब्बत की दुकान खोलने का दावा करते हैं, तो दूसरी तरफ उन लोगों के साथ यात्रा में कदमताल करते हैं जिनका मकसद भारत को जोड़ना नहीं बल्कि तोड़ना है। आइए उन चेहरों को एक-एक कर बेनकाब करते हैं। जो अपने दिल में नफरत की ज्वाला लेकर भारत जोड़ने निकले हैं।

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