Home समाचार भारत और पीएम मोदी की बड़ी कूटनीतिक जीत, जम्मू-कश्मीर को भारत का...

भारत और पीएम मोदी की बड़ी कूटनीतिक जीत, जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानती है दुनिया, पहली बार बिलावल भुट्टो ने मानी हार, कहा- कश्मीर पर अपनी बात मनवाने में नाकाम रहा पाकिस्तान

SHARE

वैश्विक भू-राजनीति में भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका और रूस जैसी विश्व की महाशक्तियां भी आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की कायल हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति का जलवा है कि भारत भू-राजनीति का केंद्र बन गया और पाकिस्तान पूरी तरह से अलग थलग पड़ गया है। जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार की आक्रामक विदेश नीति ने पाकिस्तान को पूरी तरह पस्त कर दिया है। जम्मू-कश्मीर पर लगातार प्रोपेगेंडा कर रहे पाकिस्तान की बात कोई नहीं सुन रहा है। वहीं भारत ने जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान की हर चाल को नाकाम करते हुए इसे अपना अभिन्न हिस्सा बताने और उसके पक्ष में अंतरराष्ट्रीय जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। 

दरअसल भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार (13 मार्च, 2023) को 2022-23 का सालाना रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया है कि अब दुनिया मानने लगी है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इससे संबंधित कोई भी मामला भारत का आंतरिक मामला है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक पाकिस्तान ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया। लेकिन भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसकी सभी कार्रवाई और बयानों को अंदरूनी मामला बताकर पूरी तरह खारिज कर दिया। भारत यह साबित करने में सफल रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अंदरूनी मामला है। भारत अपने पड़ोसी देश के साथ शांति और सद्भाव का संबंध रखना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान अपने घरेलू अव्यवस्था और असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए जम्मू-कश्मीर के खिलाफ प्रोपेगेंडा करता रहता है।

भारत की कूटनीतिक सफलता का परिणाम है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को पहली बार मानना पड़ा है कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर अपनी बात मनवाने में नाकाम रहा है। बिलावल ने कहा कि भारत के कूटनीतिक प्रयासों के कारण कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे के “केंद्र” में लाना मुश्किल हो गया है। महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के आयोग (सीएसडब्ल्यू) से इतर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बिलावल भुट्टो ने कहा, “जब भी कश्मीर का मुद्दा उठाया जाता है। हमारे पड़ोसी देश कड़ी आपत्ति जताते हैं, मुखर रूप से आपत्ति जताते हैं और वे पोस्ट फैक्टो नैरेटिव को आगे बढ़ाते हैं।” बिलावल ने कहा कि कश्मीर पर पाकिस्तान जो सोचता है, उसे स्वीकार कराना मुश्किल है। वहीं भारत कश्मीर पर अपने कब्जे को सही साबित करने का प्रयास करता है और उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी मिलता है।

विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत द्वारा पाकिस्तान को जनवरी 2004 में व्यक्त की गई प्रतिबद्धता का पालन करने के लिए लगातार अनुरोध किए जाने बावजूद आतंकवाद, घुसपैठ और एलओसी के पार हो रही हथियारों की गैरकानूनी तस्करी में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। मुबंई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में पाकिस्तान ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। भारत सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए पाकिस्तान से अपेक्षा करता है, लेकिन पाकिस्तान इस मामले में गंभीर नहीं है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने जनवरी 2004 में प्रतिबद्धता व्यक्त की थी कि वह अपनी भूमि का उपयोग भारत के विरुद्ध आतंकवाद के लिए नहीं होने देगा।

Leave a Reply